फोर्टिस के मालिक शिविंदर सिंह को निचली अदालत द्वारा दी गई जमानत को दिल्ली उच्च न्यायालय ने रद्द किया

फोर्टिस के मालिक की जमानत रद्द; क्या दिल्ली ईओडब्ल्यू उसे हिरासत में लेगी?

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फोर्टिस के मालिक की जमानत रद्द; क्या दिल्ली ईओडब्ल्यू उसे हिरासत में लेगी?
फोर्टिस के मालिक की जमानत रद्द; क्या दिल्ली ईओडब्ल्यू उसे हिरासत में लेगी?

शिविंदर सिंह को जमानत नहीं!

दिल्ली उच्च न्यायालय ने फोर्टिस हेल्थकेयर के पूर्व मालिक शिविंदर मोहन सिंह को रेलिगेयर फिनवेस्ट लिमिटेड (आरएफएल) में धन की हेराफेरी के एक मामले में दी गई जमानत को सोमवार को यह कहते हुए रद्द कर दिया कि उनकी गिरफ्तारी “उनके द्वारा रची गई साजिश” का पता लगाने और ठगे गए धन का पता लगाने के लिए आवश्यक थी। जस्टिस सुरेश कुमार कैत का यह फैसला आरएफएल की उस याचिका पर आया, जिसमें शिविंदर को धोखाधड़ी, आपराधिक साजिश और आपराधिक विश्वासघात के मामले में आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) द्वारा दर्ज मामले में निचली अदालत के तीन मार्च के आदेश को चुनौती दी गई थी। आरएफएल ने 2397 करोड़ रुपये की हेराफेरी करने के मामले में शिविंदर और भागीदारों के खिलाफ ईओडब्ल्यू से शिकायत दर्ज की थी।

“इतनी बड़ी मात्रा में धन की धोखाधड़ी, हितों के आपराधिक उल्लंघन से जुड़े मामला जो बहुत बड़ी संख्या में लोगों को प्रभावित करता है, में जमानत देने से न केवल मामले की प्रगति पर बल्कि लोगों का जो विश्वास आपराधिक न्याय प्रणाली पर है, उस पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। वर्तमान मामले के तथ्यात्मक बिंदुओं और विभिन्न निर्णयों में सर्वोच्च न्यायालय की प्रासंगिक टिप्पणियों को ध्यान में रखते हुए, मुझे यह मानने में कोई संकोच नहीं है कि आक्षेपित आदेश गंभीर दोषों से ग्रस्त है, जिसके परिणामस्वरूप न्याय की अवहेलना होती है।

फोर्टिस के मालिक दोनों भाई शिविंदर और मालविंदर पिछले पांच साल से कई वित्तीय अनियमितताओं में उलझे हुए हैं।

निचली अदालत द्वारा फोर्टिस हॉस्पिटल ग्रुप के प्रमोटर शिविंदर को दी गई जमानत को खारिज करते हुए 29 पेज के फैसले में न्यायमूर्ति सुरेश कैत ने कहा – “इसके अलावा, इस प्राथमिकी मामले में प्रतिवादी नंबर 2 की निरंतर हिरासत न केवल उसके द्वारा रची गई साजिश का पता लगाने के लिए आवश्यक है, बल्कि उसके व्यक्तिगत लाभ के लिए जमा किए गए धन का पता लगाने के लिए भी जरूरी है।”

इस खबर को अंग्रेजी में यहाँ पढ़े।

दिल्ली पुलिस के ईओडब्ल्यू ने मार्च 2019 में आरएफएल के मनप्रीत सूरी से शिविंदर, रेलिगेयर एंटरप्राइजेज लिमिटेड (आरईएल) के पूर्व सीएमडी सुनील गोधवानी और आरएफएल के पूर्व सीईओ कवि अरोड़ा और अन्य के खिलाफ शिकायत प्राप्त होने के बाद एक प्राथमिकी दर्ज की थी, प्राथमिकी में आरोप लगाया गया था कि फर्म के प्रबंधन के दौरान उनके द्वारा ऋण लिया गया था लेकिन पैसा अन्य कंपनियों में निवेश कर दिया गया था।

अभियोजन पक्ष के अनुसार, आरएफएल के अधिकृत प्रतिनिधि मनप्रीत सूरी ने आरोप लगाया कि इन आरोपियों ने बिना वित्तीय आधार वाली संस्थाओं को ऋण देकर आरएफएल को खराब वित्तीय स्थिति में डाल दिया और चुकौती (रिपेमेंट) में जानबूझकर धोखाधड़ी की जिससे आरएफएल को 2,397 करोड़ रुपये का गलत नुकसान हुआ।

फोर्टिस के मालिक दोनों भाई शिविंदर और मालविंदर पिछले पांच साल से कई वित्तीय अनियमितताओं में उलझे हुए हैं। 2019 में फोर्टिस समूह ने एजेंसियों से 474 करोड़ रुपये के गबन से जुड़े मामले में दोनों भाइयों की गिरफ्तारी के लिए कहा था[1]

2018 में अरबपति भाईयों के बीच मारपीट भी हुई। बड़े भाई मलविंदर ने शिविंदर द्वारा हमला किये जाने का आरोप लगाया[2]

भाइयों को बड़ी फार्मा कंपनी रैनबैक्सी में 34% से अधिक शेयर विरासत में मिले थे और 2015 से उनका व्यापारिक साम्राज्य ढह रहा था[3]

संदर्भ:

[1] Fortis asks Sebi to arrest Malvinder, Shivinder Singh to recover Rs 472 croreFeb 25, 2019, HT

[2] Fortis fight comes to blows: Malvinder Singh accuses Shivinder of assaultDec 07, 2018, Economic Times

[3] The Malvinder, Shivinder Singh story: Why the brothers, once billionaires, are in the dockOct 11, 2019, India Today

2 COMMENTS

  1. […] दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को निचली अदालत के उस आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया जिसमें आईएमए (भारतीय चिकित्सक संघ) अध्यक्ष जेए जयलाल को किसी धर्म का प्रचार करने के लिए संगठन के मंच का इस्तेमाल नहीं करने का निर्देश दिया गया था और उन्हें आगाह किया गया था कि जिम्मेदार पद की अध्यक्षता करने वाले व्यक्ति से इस तरह की ओछी टिप्पणियों की उम्मीद नहीं की जा सकती है। न्यायमूर्ति आशा मेनन ने कहा कि अदालत कोई एकतरफा आदेश पारित नहीं करेगी क्योंकि उस व्यक्ति की ओर से कोई भी पेश नहीं हुआ जिसकी शिकायत पर निचली अदालत ने चार जून को आदेश दिया था। […]

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