केरल में पिनराई विजयन चला रहे मनमानी भ्रष्टाचारी सरकार
केरल में शिक्षा विभाग में नेताओं के करीबियों को नियुक्ति देने का मामला लगातार तूल पकड़ता जा रहा है। बुधवार को केरल हाई कोर्ट ने मुख्यमंत्री पिनराई विजयन के करीबी और पूर्व राज्यसभा सदस्य केके रागेश की पत्नी प्रिया को लेकर टिप्पणी की। कोर्ट ने कहा कि जब आप पौधे रोप रही थीं, तो आपको टीचिंग का अनुभव कैसे मिल गया।
प्रिया कन्नूर यूनिवर्सिटी में एसोसिएट प्रोफेसर हैं। इस पद के लिए उनसे ज्यादा अनुभव एक अन्य अभ्यर्थी को था, लेकिन उन्हें प्राथमिकता दी गई। उनके वकील ने तर्क दिया कि प्रिया ने नेशनल सर्विस स्कीम (एनएसएस) के तहत यूनिवर्सिटी स्तर के समन्वयक के रूप में 6 साल काम किया। इस अनुभव को टीचिंग अनुभव में जोड़ा जाना चाहिए। इस पर कोर्ट ने कहा-एनएसएस पेड़ लगाने के लिए गड्ढे खोदने का काम करता है। ये टीचिंग अनुभव नहीं है। प्रिया को ये पोस्टिंग सरकार की मदद से मिली है।
दरअसल, कई नेताओं ने राजनीतिक रसूख के दम पर अपनी पत्नियों को यूनिवसिर्टी में नियुक्त कराया है। पूर्व सांसद पीके बीजू की पत्नी को केरल यूनिवर्सिटी में शिक्षिका का पद मिला। राज्य के उद्योग मंत्री पी राजीव की पत्नी कोचीन यूनिवर्सिटी में पढ़ाती हैं। आबकारी मंत्री एमबी राजेश की पत्नी कलाड़ी के श्री शंकर संस्कृत यूनिवर्सिटी में पढ़ा रही हैं। इन सभी नियुक्तियों को कोर्ट में चुनौती दी गई है।
इससे पहले, केरल हाई कोर्ट ने हाल ही में विधानसभा अध्यक्ष एएन शमसीर की पत्नी शहला की कन्नूर यूनिवर्सिटी में सहायक प्रोफेसर के रूप में नियुक्ति पर रोक लगा दी थी। विजयन सरकार पर बीते 6 साल में मनमाने तरीके से सरकारी नियुक्तियां करने के आरोप लग रहे हैं। करीबियों को नियुक्ति देने का पहला मामला साल 2016 में उजागर हुआ था।
तत्कालीन उद्योग मंत्री ईपी जयराजन पर पत्नी की बहन और सीपीआई(एम) की नेता पीके श्रीमती के बेटे सुधीर नांबियार को नियमों के विरुद्ध नियुक्ति देने का आरोप लगा था। इसके बाद जयराजन को इस्तीफा देना पड़ा था।
केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम शहर के सीपीआई(एम) के मेयर आर्य राजेंद्रन ने हाल ही में पार्टी के जिला सचिव को डॉक्टरों, नर्सों और स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के 249 पद भरने के लिए एक पत्र से नामांकन मांगे थे। इसके बाद ये पत्र सार्वजनिक हो गया। इसी हफ्ते सीपीआई(एम) के दो अन्य नेताओं के पात्र भी सामने आए।
कांग्रेस और भाजपा नेताओं ने इसका विरोध जताना शुरू कर दिया। उनका आरोप है कि सत्ताधारी दल के नेता नियमों का उल्लंघन करते हुए अपने कैडर के लोगों को नियुक्ति दे रहे हैं।
राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान लगातार कहते आए हैं कि सरकार अपने करीबियों को शिक्षा विभाग में नियुक्ति दे रही है। हाल ही में उन्होंने कुछ विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को नोटिस जारी करते हुए कहा था कि उनकी नियुक्ति राजनीतिक दबाव के तहत की गई है। जबकि सीपीआई(एम) का आरोप है कि राज्यपाल उच्च शिक्षा विभाग में लगातार दखल दे रहे हैं।
वहीं, राज्यपाल का कहना है कि, मैं सरकारी कामकाज में तब तक दखल नहीं दूंगा, जब तक कि संवैधानिक मशीनरी पूरी तरह ध्वस्त न हो जाए।
[आईएएनएस इनपुट के साथ]
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