भारत ने मंगलवार को सभी चीनी कंपनियों को दरकिनार करते हुए 5जी ट्रायल (परीक्षण) शुरू करने का फैसला किया। दूरसंचार विभाग ने एयरटेल, रिलायंस जियो, वोडाफोन आइडिया और एमटीएनएल जैसे प्रमुख दूरसंचार ऑपरेटरों (टीएसपी) को मूल उपकरण निर्माताओं और प्रौद्योगिकी प्रदाताओं एरिक्सन, नोकिया, सैमसंग और सी-डॉट के साथ मिलकर ग्रामीण, अर्ध-शहरी और शहरी क्षेत्रों में 5जी परीक्षण शुरू करने की अनुमति दी है। इसके अलावा, रिलायंस भी अपनी स्वदेशी तकनीक का उपयोग करके परीक्षण करेगी। सी-डॉट (सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ टेलीमैटिक्स) भारत सरकार की फर्म है।
दूरसंचार विभाग ने कहा – “टीएसपी द्वारा स्वयं पहचाने जाने वाले प्राथमिकताओं और प्रौद्योगिकी भागीदारों के अनुसार टेलिकॉम विभाग द्वारा अनुमति दी गई है। प्रायोगिक स्पेक्ट्रम विभिन्न बैंडों में दिया जा रहा है जिसमें मिड-बैंड (3.2 गीगाहर्ट्ज़ से 3.67 गीगाहर्ट्ज़), मिलीमीटर वेव बैंड (24.25 गीगाहर्ट्ज़ से 28.5 गीगाहर्ट्ज) और सब-गीगाहर्ट्ज़ बैंड (700 गीगाहर्ट्ज) शामिल हैं। टीएसपी को 5जी परीक्षण के संचालन के लिए अपनी मालकीयत वाले मौजूदा स्पेक्ट्रम (800 मेगाहर्ट्ज, 900 मेगाहर्ट्ज, 1800 मेगाहर्ट्ज और 2500 मेगाहर्ट्ज) के उपयोग की अनुमति होगी।” विभाग ने यह भी कहा कि परीक्षण की अवधि वर्तमान में 6 महीनों के लिए है। इसमें उपकरणों की खरीद और स्थापना के लिए 2 महीने की समयावधि भी शामिल है।
दूरसंचार विभाग ने निर्दिष्ट किया है कि परीक्षण को अलग से किया जाएगा और टीएसपी के मौजूदा नेटवर्क के साथ नहीं जोड़ा जाएगा। परीक्षण गैर-वाणिज्यिक आधार पर होंगे।
अनुमति पत्र में कहा गया है कि प्रत्येक टीएसपी को शहरी सेटिंग्स (स्थापना) के अलावा ग्रामीण और अर्ध-शहरी सेटिंग्स में भी परीक्षण करना होगा ताकि देश भर में 5जी प्रौद्योगिकी का लाभ प्राप्त हो और यह केवल शहरी क्षेत्रों तक ही सीमित न हो। टीएसपी को 5जी तकनीक के लिए 5जीआई तकनीक का उपयोग कर परीक्षण करने के लिए प्रोत्साहित किया गया है। अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार संघ (आईटीयू) ने भी 5जीआई तकनीक को मंजूरी दी है, जिसकी भारत ने वकालत की थी, क्योंकि यह 5जी टावरों और रेडियो नेटवर्कों की तुलना में बढ़ी हुई पहुंच को आसान बनाता है। 5जीआई तकनीक आईआईटी मद्रास, सेंटर ऑफ एक्सीलेंस इन वायरलेस टेक्नोलॉजी (सीईडब्ल्यूआईटी) और आईआईटी हैदराबाद द्वारा विकसित की गई है।
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5जी परीक्षणों के संचालन के उद्देश्यों में विशेष रूप से भारतीय संदर्भ में निम्न 5जी स्पेक्ट्रम प्रसार विशेषताओं का परीक्षण करना शामिल है; मॉडल ट्यूनिंग और चुने हुए उपकरण और विक्रेताओं का मूल्यांकन; स्वदेशी तकनीक का परीक्षण; अनुप्रयोगों का परीक्षण (जैसे टेली-मेडिसिन, टेली-शिक्षा, संवर्धित/ आभासी वास्तविकता (वर्चुअल रिएलिटी), ड्रोन-आधारित कृषि निगरानी, आदि); और 5जी फोन और उपकरणों का परीक्षण करना।
दूरसंचार विभाग ने कहा – “5जी तकनीक से डेटा डाउनलोड दरों (4जी से 10 गुना अधिक की उम्मीद) के संदर्भ में बेहतर उपयोगकर्ता अनुभव देने की उम्मीद है, 4जी स्पेक्ट्रम की क्षमता से तीन गुना अधिक दक्षता, और कृषि, शिक्षा, स्वास्थ्य, परिवहन, यातायात प्रबंधन, स्मार्ट सिटी, स्मार्ट होम और आईओटी (इंटरनेट ऑफ थिंग्स) जैसे क्षेत्रों के कई एप्लिकेशन (अनुप्रयोगों) को कम विलंब के साथ संचालित करेगा।”
दूरसंचार विभाग ने निर्दिष्ट किया है कि परीक्षण को अलग से किया जाएगा और टीएसपी के मौजूदा नेटवर्क के साथ नहीं जोड़ा जाएगा। परीक्षण गैर-वाणिज्यिक आधार पर होंगे। परीक्षणों के दौरान उत्पन्न डेटा भारत में संग्रहीत किया जाएगा। टीएसपी से भी परीक्षण हेतु स्वदेशी रूप से विकसित उपयोग के मामलों और उपकरणों के परीक्षण की सुविधा के लिए उम्मीद की जा रही है। हाल ही में 5जी एप्लिकेशन्स पर हैकाथॉन आयोजित करने के बाद दूरसंचार विभाग द्वारा चुने गए सौ अनुप्रयोगों/ उपयोग के मामलों को भी इन परीक्षणों में सुविधा हेतु मुहैया कराया जा सकता है।
पिछले दो वर्षों से हुवेई (Huawei) और जेडटीई (ZTE) जैसी चीनी कंपनियां भारत में 5जी परीक्षणों में भाग लेने के लिए सांठगांठ (लॉबिंग) कर रही थीं। लेकिन चीन के साथ सीमाओं पर तनातनी के बाद, भारत सरकार ने कंपनियों को दरकिनार करने का फैसला किया। दुनिया भर में, कई राष्ट्रों ने चीनी उपकरणों में इनबिल्ट जासूसी सॉफ्टवेयरों की उपस्थिति के संदेह के कारण चीनी कंपनियों से परहेज किया है।
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