चिदंबरम ने खुफिया एजेंसियों (इंटेलिजेंस ब्यूरो) की चेतावनी के बावजूद विवादास्पद हथियार डीलरों रवि ऋषि और संजय भंडारी की मदद की

एक और घोटाला जिसमें चिदंबरम शामिल था, कैसे गृहमंत्री के रूप में उन्होंने इंटेलिजेंस एजेंसियों की चेतावनी को नजरअंदाज कर वेक्ट्रा को अनुबंध देना जारी रखा।

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एक और घोटाला जिसमें चिदंबरम शामिल था, कैसे गृहमंत्री के रूप में उन्होंने इंटेलिजेंस एजेंसियों की चेतावनी को नजरअंदाज कर वेक्ट्रा को अनुबंध देना जारी रखा।
एक और घोटाला जिसमें चिदंबरम शामिल था, कैसे गृहमंत्री के रूप में उन्होंने इंटेलिजेंस एजेंसियों की चेतावनी को नजरअंदाज कर वेक्ट्रा को अनुबंध देना जारी रखा।

विवादास्पद हथियार डीलरों दिवंगत रवि ऋषि और भगोड़े संजय भंडारी द्वारा संचालित वेक्ट्रा ग्रुप को दागी पूर्व गृह और वित्त मंत्री पलान्यप्पन चिदंबरम द्वारा सक्रिय रूप से मदद दी गई थी। 2005 के बाद से, इंटेलिजेंस ब्यूरो की प्रतिकूल रिपोर्टों के कारण, ऋषि और भंडारी दोनों को सुरक्षा मंजूरी नहीं दी गई थी, लेकिन आश्चर्यजनक रूप से यूपीए सरकार और गृह मंत्रालय ने उनकी कम्पनी, वेक्ट्रा ग्रुप पर गौर किया। कम्पनी को केवल 2012 में ब्लैकलिस्ट किया गया था जब वह टाट्रा ट्रक्स के रिश्वत मामले में पकड़ा गयी थी।

पीगुरूज ने पहले इस बारे में एक विस्तृत रिपोर्ट लिखी थी कि कैसे इस ब्लैकलिस्टेड वेक्ट्रा समूह को फर्जी खोल कंपनियों के नाम पर फिर भी रक्षा अनुबंध और अन्य हेलीकाप्टर अनुबंध प्राप्त हुए [1]

हमारे लंदन स्थित शोधकर्ताओं ने पाया कि जब चिदंबरम गृह मंत्री थे, तब गृह मंत्रालय के कई दागी अधिकारियों के साथ रविंद्र कुमार ऋषि (रवि ऋषि) और संजय भंडारी के बीच संवाद की एक श्रृंखला थी। ईमेल यह भी बताते हैं कि इंटेलिजेंस ब्यूरो ऋषि और भंडारी दोनों को सुरक्षा मंजूरी देने का विरोध कर रहा था। कारण यह था कि रवि ऋषि एक रूसी जासूसी मामले का हिस्सा था और संजय भंडारी कुछ आपराधिक मामलों में शामिल था और इसकी सूचना गृह मंत्रालय को 2005 में खुफिया एजेंसियों द्वारा दी गयी थी। जब चिदंबरम को गृहमंत्री बनाया गया, उनकी जानकारी के साथ, गृह मंत्रालय के आंतरिक सुरक्षा प्रभाग के कुछ बिकाऊ अधिकारियों ने साज़िश करके वेक्ट्रा ग्रुप को अपने हेलीकॉप्टर नक्सल विरोधी अभियान के लिए पट्टे पर देने के लिए राज़ी करवाया।

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चाल का मकसद वेक्ट्रा ग्रुप के निर्देशकों को बदलना था, हालांकि इसे रवि ऋषि और संजय भंडारी द्वारा संचालित किया गया था। गृह मंत्रालय के कुछ दस्तावेजों में रवि ऋषि की बेटियों सुरूचि ऋषि, स्वाति ऋषि, रति ऋषि और बेटे हेमंग ऋषि और पत्नी दीप्ति ऋषि को इन फर्मों के निदेशक के रूप में शामिल किए जाने पर अधिकारियों की आपत्ति दिखाई गई है। लेकिन इन आपत्तियों को आंतरिक सुरक्षा प्रभाग में वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों (चिदम्बरम द्वारा समर्थित) द्वारा खारिज कर दिया गया।

2012 में जब तक टाट्रा ट्रक घोटाला सामने आया, तब तक गृह मंत्रालय जानबूझकर रवि ऋषि और संजय भंडारी (जो चिदम्बरम के कृपापात्र थे) के साथ सम्बंध निभा रहा था। इस बीच, कई अधिकारी और पत्रकार लंदन में इन दो ब्लैकलिस्टेड व्यक्तियों के आतिथ्य का आनंद ले रहे थे। हम पहले ही बता चुके हैं कि कैसे यह विवादास्पद वेक्ट्रा समूह अभी भी रक्षा और कई अन्य क्षेत्रों में अपनी गतिविधियों को संचालित कर रहा है, हालांकि न्यायालयों ने उसके खिलाफ मामलों को बंद नहीं किया है [2]

संदर्भ:

[1] रवि ऋषि और संजय भंडारी की मालकियत वाले ब्लैकलिस्टेड वेक्ट्रा समूह ने, रक्षा अनुबंधों को प्राप्त करने के लिए फर्जी खोल कम्पनियों का सहारा लियाOct 4, 2019, Hindi.PGurus.com

[2] तुच्छ रक्षा सौदे – टाट्रा ट्रक घोटालेबाजों की लंदन मंडली भारतीय नौसेना की पनडुब्बी बचाव आपूर्ति के 1800 करोड़ का दोहन कर रही है!Aug 29, 2019, Hindi.PGurus.com