सोनिया और चिदंबरम ने अचानक प्रभाकरन का साथ क्यों छोड़ दिया?

सोनिया गांधी ने चिदंबरम से प्रभाकरन को श्रीलंका से बाहर सुरक्षित ठिकाने पर पहुंचाने को क्यों कहा?

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सोनिया और चिदंबरम ने अचानक प्रभाकरन का साथ क्यों छोड़ दिया
सोनिया और चिदंबरम ने अचानक प्रभाकरन का साथ क्यों छोड़ दिया

सोनिया गांधी को अपने पति राजीव गांधी के हत्यारों से इतना लगाव क्यों है इसका खुलासा पिछले कुछ वर्षों से टुकड़ों में हो रहा है

भाजपा के वरिष्ठ नेता सुब्रमण्यम स्वामी का दावा है कि पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के हत्याकांड एवँ लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (एलटीटीई) नेता वेलूपील्लै प्रभाकरन की हत्या में कई सारे ऐसे रहस्य हैं जो आम जनता की नज़रों से छिपे हुए हैं। इस दावे को पिछले हफ्ते नयी दिल्ली में हुए अचंबित करने वाले खुलासों ने प्रबल किया है।

चिदंबरम ने, उसके मैडम के कहने पर, एक पत्र तैयार किया जिसे टाइगर मुक्या से हस्ताक्षरित करवाना था। इस पत्र को एलटीटीई संदेशवाहक जगत गैसपर, रोमन कैथोलिक पादरी जो सोनिया और प्रभाकरन के बीच संपर्ककर्ता था, के माध्यम से पहुंचाया गया।

पहला खुलासा श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे, जिन्होंने ने एलटीटीई के विनाश का नेतृत्व किया, की ओर से आया। एलटीटीई ने श्रीलंका जैसे सुंदर देश में 1980, 1990 & 2000 के दशकों में हत्याकांड, हाथापाई एवँ तबाही मचाई थी। श्रीलंका, जिसे पन्ना द्वीप की उपाधि प्राप्त हुई थी, उसे एलटीटीई ने हिंद महासागर का अश्रु बना दिया था।

तिकड़ी व्यवस्था

नयी दिल्ली में विराट हिंदू संगम (वीएचएस) के प्रतिनिधियों के समक्ष बोलते हुए, डॉ स्वामी द्वारा प्रारंभ किया गया हिंदू पुनर्जागरण पहल, राजपक्षे ने कहा कि भारत एवँ श्रीलंका द्वारा स्थापित किए गए तिकड़ी व्यवस्था की वजह से ही 2009 में खौफनाक एलटीटीई का अंत संभव हुआ। उत्तरी प्रायद्वीप में किया गया गृह युद्ध भारत एवँ श्रीलंका द्वारा स्थापित किए गए तिकड़ी व्यवस्था का दूत-कर्म था जो पूर्णतः निष्पादित किया गया।

“युद्धकाल (2009 में एलटीटीई के विरुद्ध) में हमारे पास तिकड़ी नामक क्रियाविधि थी, जिसमें दोनों देशों (भारत एवँ श्रीलंका) के तीन अधिकारियों के बीच मध्यरात्रि में भी किसी विषय पर चर्चा संभव थी” राजपक्षे ने बताया। यद्यपि पूर्व राष्ट्रपति ने अधिकारियों के नाम नहीं बताए परंतु उस समय के जानकार लोगों का कहना है कि शिव शंकर मेनन (उस वक़्त के विदेश सचिव), एम के नारायणन (उस वक़्त के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार) एवँ निरूपमा मेनन राव (उस वक़्त की चीन में भारतीय राजदूत जिन्हें श्रीलंका के विषयों में काफी जानकारी थी) ही वे तीन विशेषज्ञ थे जो भारत की ओर से तिकड़ी का हिस्सा थे।

वीएचएस सम्मेलन में उनके भाषण में एवँ कुछ भारतीय समाचारपत्रों को उनके साक्षात्कार में, राजपक्षे ने यह स्पष्टतः बताया कि मई 2009 के गृहयुद्ध के अंतिम पहलू को श्रीलंका ने भारतीय विशेषज्ञों के साथ मिलकर संपन्न किया। पूर्व राष्ट्रपति ने बताया कि “उन दिनों भारत और श्रीलंका के बीच आपसी सहयोग था”।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संग रात्री भोजन के बाद जब राजपक्षे श्रीलंका लौटे तब जाकर वास्तविक झटका लगा। डॉ स्वामी ने अपने ट्वीट के जरिए बताया कि पूर्व गृह मंत्री पी चिदंबरम ने वी प्रभाकरन को संदेश भेजा कि भारत भारतीय नौसेना के माध्यम से उसे किल्लीनोच्ची क्षेत्र से बचाने के लिए एक नाव भेज रही है। “टीडीके के कहने पर, पीसी ने 2009 के अंतिम युद्ध के दौरान, मुख्य एली प्रभाकरन से उसके बचाव के लिए आने वाले भारतीय नौसेना का प्रतीक्षा करने को कहा। नौसेना तो पहुँची परंतु भारत की नहीं बल्कि श्रीलंका की। मुख्य एली जंगल से समुद्र तट की ओर निकल पड़ा यह सोच कर कि भारतीय नौसेना पहुँच गई है। इसी वजह से वह मारा गया” ऐसा डॉ स्वामी ने अपने ट्वीट में बताया।

डॉ स्वामी ने यह भी कहा “टाडा न्यायालय द्वारा नलिनी जैसे एलटीटीई षड्यंत्रकारियों को दिए गए मृत्यु दंड के खिलाफ जब सुनवायी हो रही थी तब चिदंबरम, जो नरसिम्हा राव एवँ गौड़ा सरकारों में मंत्री था, मामले पर नज़र रखते हुए तमिलनाडु के एक पत्रकार के साथ संबंध बना रहा था, जो एलटीटीई की भारतीय संपर्क थी”। पीसी ने स्वयं ही बताया कि 1984 में वह प्रभाकरन से मिला जब वह चेन्नई में था।

ट्वीट में जिस टीडीके का जिक्र हुआ है वह कोई और नहीं बल्कि सोनिया गांधी है, जिसे भाजपा नेता स्वामी श्रद्धा के साथ टीडीके कह कर संबोधित करते हैं। पीसी यानी पी चिदंबरम, उस समय के भारतीय गृह मंत्री। मुख्य एली यानी प्रभाकरन जिसे भाजपा नेता स्वामी एली (चूहा) कह कर संबोधित करते हैं।

प्रभाकरन बचाओ अभियान

प्रभाकरन के बचाव के लिए किए गए संचार का प्रवाह कुछ इस प्रकार था। चिदंबरम ने, उसके मैडम के कहने पर, एक पत्र तैयार किया जिसे टाइगर मुक्या से हस्ताक्षरित करवाना था। इस पत्र को एलटीटीई संदेशवाहक जगत गैसपर, रोमन कैथोलिक पादरी जो सोनिया और प्रभाकरन के बीच संपर्ककर्ता था, के माध्यम से पहुंचाया गया। सीआईए एवँ इंटरपोल गैसपर की तलाश में थे और उसके नाम पर रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया था। परंतु ये रोमन कैथोलिक पादरी तमिलनाडु के शक्तिशाली राजनेता के चेन्नई के सीआईटी कॉलोनी निवास स्थान पर छिपा हुआ था। फिर भी, संदेशवाहक पादरी ने एलटीटीई के राजनीतिक विंग के नेता नडेसन द्वारा पत्र को सफलतापूर्वक पहुंचाया।

डॉ स्वामी के अनुसार भारतीय नौसेना जहाज जो युद्ध भूमि पर अपेक्षित था वह भारतीय तट इसलिए नहीं छोड़ सका क्योंकि उच्च स्तर के अधिकारियों ने इसका विरोध किया था।

पत्र पढ़ कर प्रभाकरन ने अपने भारतीय मित्र वाइ गोपालस्वामी (वैको) से चिदंबरम एवँ उसकी मैडम को लेकर क्रियाविधि पर विचारविमर्श किया। सॅटेलाईट फोन द्वारा किए गए वार्तालाप में, माना जाता है कि वैको ने प्रभाकरन से कहा कि उसे सोनिया – चिदंबरम पर भरोसा नहीं करना चाहिए क्योंकि वे उसे खत्म कर देंगे। चिदंबरम ने अपने पत्र में कहा कि भारतीय नौसेना का जहाज उसे उत्तरी श्रीलंका से लेकर मलेशिया पहुंचाएगा और वहाँ वह एलटीटीई का जीर्णोद्धार एवँ पुनःनिर्माण कर सकता है।

“परंतु भारतीय पक्ष में भी देशभक्त मौजूद थे जिन्होंने यह सुनिश्चित किया की नौसेना का जहाज भारतीय तट पर ही रहे। इसके विपरीत श्रीलंकाई नौसेना जहाज उत्तरी श्रीलंका के बाघ देश के किनारे पालयुक्त हुई। एलटीटीई नेता, यह सोचकर कि भारतीय नौसेना जहाज उसके बचाव के लिए आ रहा है, अपनी लड़ाई की वर्दी में जहाज की ओर चल पड़ा। जहाज के पुल श्रीलंकाई कमांडो ने उसे समतल सीमा से गोली मारकर उसकी हत्या कर दी। इस प्रकार उन्होनें उस प्रभाकरन की कहानी का खात्मा किया जो श्रीलंका एवँ भारत में कई सारे मासूम लोगों के मौत का कारण था” डॉ स्वामी ने कहा।

डॉ स्वामी के अनुसार भारतीय नौसेना जहाज जो युद्ध भूमि पर अपेक्षित था वह भारतीय तट इसलिए नहीं छोड़ सका क्योंकि उच्च स्तर के अधिकारियों ने इसका विरोध किया था। स्वामी ने बताया कि “कांग्रेस नेतृत्व प्रभाकरन को योजना परिवर्तन की सूचना नहीं दे सका”।

सोनिया गांधी पिछले कुछ दिनों से रुस में है और सब इस बात से अचंभित हैं कि वो अखिर वहाँ क्या कर रही है। क्या वहाँ कोई नई पैशाचिक योजना बनाई जा रही है जिससे नयी दिल्ली की गद्दी पुनः प्राप्त कर सके?

इस दौरान, प्रभाकरन ने अपने उत्तरी श्रीलंका में स्थित रक्षागार से वैको के साथ सॅटेलाईट फोन पर बात करके बड़ी गलती की। यह घटना मुतूकुमारन के अंतिम संस्कार के समय हुई, चेन्नई में स्थित एलटीटीई समर्थक जिसने जनवरी 2009 के आखिर में आत्महत्या की थी [1]

वैको ने एलटीटीई के बयान को पड़ा जिसमें टाइगरस के राजनीतिक विंग के नेता बी नडेसन के हस्ताक्षर थे। जब श्रीलंकाई सेना ने तमिल चेलवन को मार गिराया तब नडेसन की पदोन्नति तमिल चेलवन की पदवी पर हुई [2]मरुमलार्ची द्रविड़ मुनेट्र कयगम (एमडीएमके) नेता, जिसकी अपने मुह मिया मिट्ठू होने की आदत है, ने खुलेआम बताया कि मुतूकुमारन के यादगार समारोह में जो फोन कॉल आया था वो अनुज (प्रभाकरन) ने किया था। जाँच एजेंसियां अब भी इस बात पर विवाद कर रहे हैं कि वैको की मुलाकात प्रभाकरन से हुई थी या नहीं।

स्वर्गीय करुणानिधि, उस समय के तमिलनाडु के मुख्यमंत्री, ने यह दावा किया कि उस समय के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह एवं सोनिया गांधी ने उन्हें आश्वासन दिया था कि श्रीलंकाई सेना द्वारा कार्यवाही केवल एलटीटीई नेता प्रभाकरन को पकड़ने के लिए है और भारत की कोई भूमिका नहीं है।

मई 2009 में गृहयुद्ध के चरम सीमा के दौरान, करुणानिधि ने अपनी दोनों पत्नियों दयालु एवँ राजाती समेत मरीना बीच पर दो घंटे तक श्रीलंकाई गृहयुद्ध में केंद्र सरकार की भूमिका पर प्रश्न उठाते हुए उपवास धरना किया था और उपवास तभी थोड़ा जब केंद्र सरकार ने श्रीलंकाई सेना द्वारा कार्यवाही में अपनी भूमिका ना होने का आश्वासन दिया। यूके की दी टेलीग्राफ पत्रिका ने बताया कि एलटीटीई ने अपने नेता प्रभाकरन एवँ उसके मुख्य नेताओं को श्रीलंकाई सेना से बचाने के लिए निर्दोष तमिल लोगों को मानव ढाल के रूप में उपयोग किया था [3]

सोनिया गांधी और एलटीटीई

सोनिया गांधी को अपने पति राजीव गांधी के हत्यारों से इतना लगाव क्यों है इसका खुलासा पिछले कुछ वर्षों से टुकड़ों में हो रहा है। सोनिया गांधी ने चिदंबरम से प्रभाकरन को श्रीलंका से बाहर सुरक्षित ठिकाने पर पहुंचाने को क्यों कहा?

ये तो सभी जानते हैं कि सोनिया गांधी की बेहन अनुष्का इटली के ओरबसानो में प्राचीन वस्तुओं की दुकान चलाती है जिसमें भारत से चोरी की गई मूर्तियां बेची जाती हैं। वैजु नारावने, द हिंदू के पूर्व पेरिस पत्रकार ने यह खुलासा किया था कि अनुष्का प्राचीन वस्तुओं की दुकान चलाती है और प्राचीन वास्तुएं बेचने के अलावा इनका मुख्य व्यापार है एलटीटीई के लिए काले धन को वैध बनाना [4]

सोनिया गांधी पिछले कुछ दिनों से रुस में है और सब इस बात से अचंभित हैं कि वो अखिर वहाँ क्या कर रही है। क्या वहाँ कोई नई पैशाचिक योजना बनाई जा रही है जिससे नयी दिल्ली की गद्दी पुनः प्राप्त कर सके? ईवीएम्-वीवीपीएटी के आने के बाद चुनावों में छल करना बहुत कठिन हो गया है [5]। तो क्या नई चाल चली जा रही है? यह स्मरण रहे कि गांधी परिवार के रहते कोई भी नेता जो गद्दी के लिए जरा सा भी खतरा हो उसे सहन नहीं किया जाता। कई सारे नेता संदिग्ध परिस्थितियों में गुजर गए। कुछ का दैवीय पलायन हुआ। पिगुरूज के पाठकों को याद होगा कि प्रणब मुखर्जी कैसे अपने सार्थवाह के साथ यात्रा करते समय हुए दुर्घटना में बारीकी से बच निकले [6]

संदर्भ:

[1] LTTE condoles Muthukumaran’s deathJan 30, 2009, DNAIndia.com

[2] S. P. Thamilselvan – Wikipedia

[3] Britain accuses Tamil Tigers of using civilians as human shieldsApr 16, 2009, The Telegraph

[4] In Maino countryMay 8, 1998, Frontline

[5] The EVM-VVPAT is here. How to ensure an error free electionNov 27, 2017, PGurus.com

[6] Pranab Mukherjee stable after accidentApr 9, 2007, LiveMint.com

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