हथियार डीलर दिवंगत रवि ऋषि और भगोड़े संजय भंडारी द्वारा संचालित वेक्ट्रा समूह से जुड़े टाट्रा ट्रक खरीद घोटाला थमने का नाम नहीं ले रहा, हालांकि केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और रक्षा मंत्रालय मामले को बंद करना चाहते थे। सुनवाई अदालत (ट्रायल कोर्ट) ने सीबीआई और रक्षा मंत्रालय को 2006 के डिफेंस प्रोक्योरमेंट मैनुअल जैसे बुनियादी दस्तावेजों की आपूर्ति नहीं करके मामले को बंद करने की कोशिश करने के लिए फटकार लगाई[1]।
एक सख्त आदेश में, ट्रायल कोर्ट ने सीबीआई के संयुक्त निदेशक से, दशकों तक यूपीए शासन के दौरान बेनामी कम्पनी वेक्ट्रा समूह के माध्यम से संदिग्ध तरीके से भारतीय सेना के लिए टाट्रा ट्रक खरीदी पर 14 जनवरी तक रिपोर्ट करने को कहा।
सीबीआई और रक्षा मंत्रालय को दोषी ठहराते हुए एक मजबूत आदेश में, ट्रायल कोर्ट के न्यायाधीश पुलस्त्य प्रमचला ने कहा: “एचआईओ (हेड इन्वेस्टिगेटिंग ऑफिसर) द्वारा आज दर्ज की गई रिपोर्ट से पता चलता है कि सीबीआई ने अब पूर्णतः हार मान ली है, जहां तक यह नियमावली प्राप्त करने का सवाल है, जो उचित समय पर उपयुक्त/प्रासंगिक था। इसलिए, मुझे मेरे द्वारा उठाए गए पूर्वोक्त प्रश्नों के संबंध में सीबीआई के रुख को जानने की आवश्यकता है। पूर्वोक्त प्रश्न के संबंध में एक विशिष्ट रिपोर्ट अंतिम तिथि पर दर्ज की जाएगी। इस आदेश की प्रति एचआईओ को सौंप दी गई है, जो इसे संबंधित संयुक्त निदेशक को भेज देंगे और उम्मीद है कि इस अदालत में कोई भी रिपोर्ट दाखिल करने से पहले जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा पूरी जांच की जाएगी। ”
26 नवंबर, 2019 को विशेष न्यायाधीश पुलस्त्य प्रमचला का विस्तृत आदेश इस लेख के नीचे प्रकाशित हुआ है। एक बहुत महत्वपूर्ण सवाल यह है कि रक्षा मंत्रालय और सीबीआई ने संदिग्ध तरीके से टैक्ट्रा ट्रक खरीद में वेक्ट्रा ग्रुप के मालिकों रवि ऋषि और संजय भंडारी को बचाने की कोशिश क्यों की। क्यों? यह टाट्रा घोटाला 2011 में तत्कालीन सेना प्रमुख जनरल वीके सिंह द्वारा बाहर लाया गया था। देश तब हैरान रह गया जब जनरल वीके सिंह ने खुलासा किया कि एक लेफ्टिनेंट जनरल तेजिंदर सिंह ने उन्हें टाट्रा ट्रकों को मंजूरी देने के लिए 14 करोड़ रुपये की पेशकश की।
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टाट्रा ट्रकों का घोटाला
बेहतरीन सैन्य वाहनों में से एक, टाट्रा ट्रकों को चेकोस्लोवाकिया द्वारा निर्मित किया गया था और दशकों तक भारत और कई देशों में पहुँचाया गया था। 90 के दशक की शुरुआत में देश के विघटन के बाद, विवादास्पद हथियार डीलर रवि ऋषि का वेक्ट्रा ग्रुप इस खरीद में शामिल रहा, हालांकि उसकी कम्पनी ने विघटित और नवगठित चेक गणराज्य से प्राप्त ट्रकों की दरों में बढ़ोतरी की। देश से देश की खरीद के बजाय, रवि ऋषि और संजय भंडारी द्वारा संचालित कम्पनी वेक्ट्रा समूह उनके माध्यम से कम कीमत में खरीद कर भारत के लिए बढ़ी हुई कीमत पर बेच रही थी (जैसे- अधि चालान / ओवर-इनवॉइसिंग)। उस समय लंदन में रहने वाले ऋषि सोनिया गांधी समेत कई कांग्रेस नेताओं के बेहद करीबी थे और जब वे दिल्ली में आते थे तो चाणक्यपुरी चर्च में मिलते थे। पीगुरूज ने वेक्ट्रा समूह (जो रक्षा मंत्रालय से ऑफसेट अनुबंध प्राप्त करना जारी रखे हुए है) के इन घटिया व्यापारिक सौदों पर एक विस्तृत श्रृंखला बनाई है[2]।
रवि ऋषि (अब मृतक) और भगोड़े संजय भंडारी के वेक्ट्रा ग्रुप को जेल में दिन बिता रहे वित्त और गृह मंत्री पी चिदंबरम ने कई तरीकों से मदद की थी। वेक्ट्रा समूह गृह मंत्रालय और तेल और प्राकृतिक गैस निगम (ओएनजीसी) के लिए हेलीकॉप्टर आपूर्तिकर्ता था और चिदंबरम ने इंटेलिजेंस ब्यूरो की चेतावनी, कि रवि ऋषि रूसी खुफिया जासूस के घोटाले में शामिल था, के बावजूद फ़ाइलों को मंजूरी दे दी[3]। अब वेक्ट्रा ग्रुप रवि ऋषि की बेटियों सुरूचि ऋषि, स्वाति ऋषि, रति ऋषि और बेटे हेमंग ऋषि, और पत्नी दीप्ति ऋषि के माध्यम से चल रहा है। वे अभी भी फर्जी खोल कंपनियों के माध्यम से रक्षा मंत्रालय और हेलीकॉप्टर सौदों से कई ऑफसेट अनुबंध प्राप्त करने में शामिल हैं।
सवाल यह है कि भारतीय जनता पार्टी सरकार ने सीबीआई से अगस्त 2014 में टाट्रा मामले को बंद करने के लिए क्यों कहा, जिसका उन्होंने राजनीतिक रूप से कांग्रेस शासन पर हमला करने के लिए इस्तेमाल किया था? इसका जवाब है तत्कालीन रक्षा मंत्री अरुण जेटली। वह रवि ऋषि का अच्छा दोस्त था और वे कैलाश कॉलोनी में पड़ोसी थे। जेटली का घर A-44 है और कैलाश कॉलोनी में रवि ऋषि का घर A-54 है। खैर, दोनों अब इस दुनिया में नहीं हैं। ऋषि एक बहुत अच्छा मेजबान था और उसने भारतीय राजनेताओं, शीर्ष अधिकारियों की लंदन में कई दशकों तक जीवन में सभी प्रकार के धन और सुखों की व्यवस्था की। हमारे लंदन स्थित शोधकर्ताओं ने इस संबंध में बहुत सारे संचार और तस्वीरों का खुलासा किया है।
अगस्त 2014 की सीबीआई समापन (क्लोजर) रिपोर्ट का उपयोग करते हुए, रवि ऋषि ने कुछ ऑफसेट अनुबंधों के साथ फिर से रक्षा सौदों (कैलाश कॉलोनी पड़ोसी अरुण जेटली के रक्षा मंत्री बनने के तुरंत बाद) में प्रवेश करना शुरू कर दिया। कैंसर से पीड़ित रवि ऋषि का बाद में 2016 के मध्य में निधन हो गया। पूर्व अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी सीबीआई के खिलाफ रवि ऋषि के वकील थे। कैसे सीबीआई क्लोजर रिपोर्ट, जिसे अभी तक ट्रायल कोर्ट ने मंजूरी नहीं दी थी, पांच साल से ज्यादा समय तक इसका इस्तेमाल नकली क्लीन चिट के रूप में किया गया और इस कंपनी को रक्षा सौदों में प्रवेश करने की अनुमति देना एक बहुत महत्वपूर्ण सवाल है।
26 नवंबर 2019 को दिया गया विशेष न्यायाधीश पुलस्त्य प्रमचला का विस्तृत आदेश नीचे प्रकाशित किया गया है:
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संदर्भ:
[1] Court pulls up MoD, CBI for not following basic rules – Nov 30, 2019, The Economic Times
[2] तुच्छ रक्षा सौदे – टाट्रा ट्रक घोटालेबाजों की लंदन मंडली भारतीय नौसेना की पनडुब्बी बचाव आपूर्ति के 1800 करोड़ का दोहन कर रही है! – Aug 29, 2019, hindi.pgurus.com
[3] चिदंबरम ने खुफिया एजेंसियों (इंटेलिजेंस ब्यूरो) की चेतावनी के बावजूद विवादास्पद हथियार डीलरों रवि ऋषि और संजय भंडारी की मदद की – Oct 16, 2019, hindi.pgurus.com
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