ट्राई ने की बिजली के खंभों व ट्रैफिक सिग्नल पर 5जी के छोटे उपकरण लगाने की सिफारिश!

    ट्राई ने जारी सिफारिश में कहा कि दूरसंचार विभाग को 600 वाट से कम विकिरण क्षमता वाले 'लो पावर बेस ट्रांसीवर स्टेशन' (एलपीबीटीएस) लगाने की मंजूरी लेने की बाध्यता से मुक्त किया जाना चाहिए।

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    ट्राई ने की बिजली के खंभों व ट्रैफिक सिग्नल पर 5जी के छोटे उपकरण लगाने की सिफारिश!
    ट्राई ने की बिजली के खंभों व ट्रैफिक सिग्नल पर 5जी के छोटे उपकरण लगाने की सिफारिश!

    क्या ट्राई की सिफारिशें मूर्त रूप लेंगी?

    दूरसंचार नियामक ट्राई ने बिजली के खंभों, बस स्टाप और ट्रैफिक सिग्नल पर 5जी सेवाओं के छोटे उपकरण लगाने की सिफारिश करने के साथ ही छोटे दूरसंचार उपकरण लगाने के लिए मंजूरी लेने की जरूरत खत्म करने का सुझाव दिया है। ट्राई ने मंगलवार को जारी सिफारिश में कहा कि दूरसंचार विभाग को 600 वाट से कम विकिरण क्षमता वाले ‘लो पावर बेस ट्रांसीवर स्टेशन’ (एलपीबीटीएस) लगाने की मंजूरी लेने की बाध्यता से मुक्त किया जाना चाहिए।

    5जी के स्पेक्ट्रम बैंड 2जी, 3जी एवं 4जी नेटवर्क की तुलना में बहुत कम इलाके को कवर करते हैं। इसकी वजह से 5जी सेवाओं की पहुंच बढ़ाने और सिग्नल अंतराल को दूर करने के लिए कम क्षमता वाले दूरसंचार उपकरण लगाने की जरूरत पड़ेगी। इस पहलू को ध्यान में रखते हुए ट्राई ने विभाग को सुझाव दिया है कि भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम में संशोधन कर बिजली खंभे, बस स्टाप एवं ट्रैफिक सिग्नल जैसे ‘स्ट्रीट फर्नीचर‘ को भी शामिल किया जाए। इसके लिए ट्राई ने जरूरी अधिसूचना जारी करने को भी कहा है। विकिरण का कम स्तर होने से छोटे दूरसंचार उपकरणों को अधिक सुरक्षा की जरूरत नहीं होगी और उन्हें लगाने में भी अधिक समस्या नहीं होगी। इन उपकरणों को सड़कों के किनारे लगे बिजली के खंभों, बस स्टाप और ट्रैफिक सिग्नल पर भी आसानी से लगाया जा सकता है।

    एसईएसजी आपरेटरों के लिए अलग लाइसेंस जारी कर ट्राई ने अंतरिक्ष संचार को जमीनी नेटवर्क से जोड़ने वाले उपग्रह पृथ्वी स्टेशन का संचालन करने वाली कंपनियों के लिए एक अलग लाइसेंस जारी करने की अनुशंसा की है। दूरसंचार नियामक ने विभाग को भेजी अपनी सिफारिशों में मंगलवार को कहा कि सेटेलाइट अर्थ स्टेशन गेटवे (एसईएसजी) के लिए एक अलग लाइसेंस देने का प्रविधान किया जाए। उसने कहा कि भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम की धारा चार में इसकी व्यवस्था की जाए और यह ‘यूनिवर्सल’ लाइसेंस का हिस्सा नहीं हो।

    ट्राई की अनुशंसा के मुताबिक, 20 साल के लिए वैध इस तरह का लाइसेंस दूरसंचार ढांचे एवं सेवाओं के वितरण तक सीमित होगा। एसईएसजी लाइसेंस के धारक आम उपभोक्ताओं को किसी भी तरह की सेवा सीधे नहीं देंगे और उन्हें 10 लाख रुपये का शुल्क देना होगा। फिलहाल दूरसंचार विभाग दूरसंचार सेवाओं के लिए लाइसेंस जारी करता है जबकि सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय प्रसारण सेवाओं के लाइसेंस देने के लिए अधिकृत है।

    [आईएएनएस इनपुट के साथ]

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