कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी कोरोना संकट के मद्देनजर दो साल के लिए प्रिंट, टेलीविजन और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म सहित सभी मीडिया में केंद्र सरकार के विज्ञापनों पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की आपत्तिजनक मांग के साथ सामने आई हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे पत्र में, उन्होंने यह कहते हुए पहली मांग की कि विज्ञापनों पर प्रतिबंध लगाने से केंद्र सरकार प्रति वर्ष 1250 करोड़ रुपये बचा सकती है। जो दो साल में 2500 करोड़ रुपये होगा।
इस आपत्तिजनक मांग को करते हुए, हमें यह याद रखना चाहिए कि सोनिया गांधी ने कांग्रेस पार्टी के अखबार – ‘नेशनल हेराल्ड‘ पर कब्जा कर लिया है और दिल्ली, मुंबई, लखनऊ, पंचकुला और इंदौर में आलीशान स्थानों सहित देश भर में 5000 करोड़ रुपये से अधिक की अखबार की भूमि और भवन की संपत्ति हड़प ली है। नेशनल हेराल्ड अखबार की शुरुआत 1938 में कांग्रेस नेताओं ने एक पब्लिक लिमिटेड कंपनी – एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) के तहत की थी – और भारत की आज़ादी के बाद, कई सरकारों ने इस अखबार को देश भर में भूमि सहित भारी लाभ आवंटित किए। सोनिया गांधी को केवल अखबार की विशाल भूमि संपत्ति में दिलचस्पी थी और 2008 में समाचार पत्र प्रकाशन बंद कर दिया। 2010 के अंत तक, उन्होंने यंग इंडियन के नाम से एक निजी कंपनी (76% हिस्सेदारी सोनिया और बेटे राहुल के स्वामित्व में) का गठन किया और एजेएल की 99.3% हिस्सेदारी को हड़प लिया।
अब वह भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी द्वारा दायर नेशनल हेराल्ड को हड़पने के मामले में आपराधिक आरोपों का सामना कर रही है और साथ ही कर चोरी के लिए आयकर आरोपों का भी। सरकार ने दिल्ली में उसके मुख्यालय (हेराल्ड हाउस) को लगभग 1000 करोड़ रुपये में बेदखली करने का भी आदेश दिया है। सोनिया गांधी द्वारा सभी निचली अदालतों में मामला हारने के बाद आयकर मामला और बेदखली का मामला अब सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने भी पंचकुला में कांग्रेस नेताओं के खिलाफ जमीन कब्जाने के मामले दर्ज किए हैं।
यदि सोनिया गांधी भारत की वित्तीय स्थिति के बारे में चिंतित हैं, तो उन्हें भारत सरकार को पूर्ववर्ती समाचार पत्र नेशनल हेराल्ड कंपनी से संबंधित 5000 करोड़ रुपये से अधिक की सभी भूमि का समर्पण कर देना चाहिए।
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एनबीए ने कांग्रेस के पत्र पर खेद प्रकट किया है
कोरोना संकट के कारण वित्तीय संकट से निपटने के लिए न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन (एनबीए) ने मंगलवार को प्रिंट, टेलीविजन और ऑनलाइन सहित मीडिया के सभी प्रकार के माध्यमों में केंद्र सरकार के विज्ञापन पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने के कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के सुझाव की “जोरदार निंदा” की है। एक बयान में, एनबीए के अध्यक्ष रजत शर्मा ने कहा कि सोनिया का बयान हतोत्साहित करने वाला है और उनसे बयान को वापस लेने के लिए कहा।
शर्मा ने कहा, “ऐसे समय में जब मीडियाकर्मी अपनी जान की परवाह किए बिना महामारी पर समाचार प्रसारित करके अपना राष्ट्रीय कर्तव्य निभा रहे हैं, कांग्रेस की ओर से इस तरह का बयान बेहद ही निराशाजनक है। एनबीए ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से प्रधानमंत्री को दिए गए अपने सुझावों को एक स्वस्थ और स्वतंत्र मीडिया के हित में वापस लेने का आह्वान किया।”
अपने उपदेशों का स्वयं भी पालन करिये
सोनिया गांधी कांग्रेस शासित राज्यों से मीडिया में अपना विज्ञापन रोकने के लिए क्यों नहीं कह रही हैं? उनका चालाक विचार केंद्र सरकार के विज्ञापनों में प्रकाशित प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के फोटो के प्रकाशन को सीमित करना है। कुछ मीडिया के अनुकूल कांग्रेस नेताओं ने पूर्व मंत्री जयराम रमेश पर केंद्र सरकार के विज्ञापनों को हटाने मांग करने के इस “शानदार विचार!” को देने का आरोप लगाया। यह बात सब जानते है कि विद्वत्तापूर्ण लेख सोनिया/रागा/प्रिवा तिकड़ी के बस की बात नहीं है तो, यह किसी और ने लिखा होगा और सोनिया ने सिर्फ हस्ताक्षर किया होगा।
उनकी अन्य चार मांगों में 20,000 करोड़ रुपये के सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट का निर्माण को निरस्त करना, मोदी और अन्य मंत्रियों की विदेश यात्राओं पर प्रतिबंध, सरकारी खर्चों में 30% की कटौती और पीएम-केरस (PM-CARES) फंड को पीएमएनआरएफ में स्थानांतरित करना था। इन मांगों ने मोदी के प्रति उनकी नफरत को उजागर किया। वह क्यों चाहती हैं कि मोदी विदेश यात्राओं में शामिल न हों। ये बातें सोनिया गांधी के संकीर्णता और चालाक स्वभाव को उजागर करती हैं।
मैं फिर दोहराना चाहता हूँ – सोनिया को केंद्र सरकार के विज्ञापनों पर दो साल के लिए पूर्ण प्रतिबंध लगाने का आह्वान करने के बजाय उनके द्वारा हड़पी गई नेशनल हेराल्ड अखबार की 5000 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति को आत्मसमर्पण कर देना चाहिए। यदि सोनिया भारत के बारे में चिंतित हैं, तो उन्हें नेशनल हेराल्ड अखबार की संपत्ति हड़पने से हुए 414 करोड़ रुपये (2018 में आयकर का निष्कर्ष) के अवैध लाभ को वापस करना चाहिए[1]। जिस देश में फासीवाद शब्द की उत्पत्ति हुई है, उसी इटली में जन्मी सोनिया, उन्होंने उस फासीवाद के असली रंग दिखाए हैं।
संदर्भ:
[1] National Herald case: Read 105-page Income Tax Assessment Order against Young Indian exposing Rs.414 crores gain – Jan 22, 2018, PGurus.com
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किसी मीडिया वाले में दम नहीं है जो कि डीएवीपी के बिना जिन्दा रह सके। सही में तो 50 फीसदी तक की कमीशन दे कर मीडिया प्रतिष्ठान कुत्ते बिल्ली की तरह विज्ञापनों के लिए में लड़ते हें।
सबके विज्ञापन अधिकारी केवल एक बाबम पंकज निगम की टांग के नीचे हैं। पहले तो अधिक विज्ञापन दर के लालच में सबने अपनी प्रसार संख्या एबीसी हो या आरएनआई अतिरिक्त बना रखी है।
तकरीबन बीस साल पहले पीटीआई बिल्डींग में इस दो टके के बाबू ने जब पोद्दार के हाथ पैर जोड़ कर अपनी पेास्टीग कराई तक किसे मालूम था कि विज्ञापन पालिसी के नाम पर जो खेल यह खेल रहा है आज करेाड़ेां की संपती का मालिक हो जाएगा। सबसे पीड़ दायक बात हैकि इसने मीडिया के पहलवानेां को ही धराशायी करा दिया। मीडिया के लोगों की फूट व लालच के साथ नियम अपने अनुरूप बना लेने की ताकत नहीं है। अरे जब वो वेतन तक नहीं ले सकते तो….