कोरोना को दोषी ठहराते हुए, क्विंट वेबसाइट के मालिक राघव बहल ने 15 अप्रैल से बिना वेतन के जबरन छुट्टी देकर कर्मचारियों को बाहर निकाला

क्या क्विंट "कुछ दिन की छुट्टी" शब्द का इस्तेमाल करके भारत के श्रम कानूनों से बचने की कोशिश की कर है, जबकि वे वास्तव में छटनी कर रहे हैं?

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क्या क्विंट
क्या क्विंट "कुछ दिन की छुट्टी" शब्द का इस्तेमाल करके भारत के श्रम कानूनों से बचने की कोशिश की कर है, जबकि वे वास्तव में छटनी कर रहे हैं?

विवादास्पद फर्जी समाचार फैलाने वाली वेबसाइट क्विंट के मालिक राघव बहल ने एक अनोखी छटनी विधि तैयार की है जो अवैध हो सकती है। सोमवार को, कोरोना महामारी को दोषी ठहराते हुए, उन्होंने कई कर्मचारियों को नोटिस जारी किया कि 15 अप्रैल से, उन्हें अनिश्चित काल के लिए “कुछ दिन की छुट्टी” पर भेजा जा रहा है। नोटिस में कहा गया कि यह “जबरन छुट्टी – कुछ दिन की छुट्टी” बिना वेतन के है। और पत्र के अंत में, बहल ने उस अवधि के दौरान कर्मचारियों को अन्य संगठनों के लिए “स्वच्छंद (फ्रीलांस)” आधार पर लिखने के लिए कहने की धृष्टता की है।

“और अब, हमें वास्तव में अभूतपूर्व स्थिति का सामना करना पड़ रहा है। सबसे पहले, बड़े पैमाने पर स्वास्थ्य संकट है। एक बीमारी जिसका कोई इलाज नहीं है, यहां तक कि जिससे यूरोप और अमेरिका भी सामना करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। अगले कुछ हफ्तों में, क्या भारत कोविड-19 के सामने बुरी दशा में होगा, या चमत्कारिक रूप से बच जाएगा, कोई भी अभी नहीं कह सकता है। दूसरा, #कोरोनामहामारी की वजह से जिस पैमाने पर बंद और लॉकडाउन करना पड रहा है वह हम सभी को एक बहुत बड़े आर्थिक संकट में डाल देगा। यह अभूतपूर्व दोहरी बाधा है। हमने कभी भी ऐसी दुनिया नहीं देखी है जहाँ उपभोक्ता खर्च में 50% से अधिक की गिरावट हुई हो, जहाँ वर्षों से बने धन और संपत्ति मूल्यों को कुछ ही दिनों में नष्ट कर दिया गया हो। हम अभी बिल्कुल नहीं जानते है कि यह कहाँ समाप्त हो सकता है,” कोरोना संकट का आरोप लगाते हुए क्विंट ने पत्र जारी किया वह इन शब्दों से शुरू होता है। संयोग से दो सप्ताह पहले, क्विंट को एक नकली समाचार प्रकाशित करते हुए पकड़ा गया था जिसमें दावा किया गया था कि भारत कोरोना के स्टेज-3 स्तर पर पहुंच गया है[1]

“हम आपको 15 अप्रैल से, जब तक कि अगली सूचना ना दिया जाए, “कुछ दिन की छुट्टी” (यानी बिना वेतन छुट्टी) पर आगे जाने का अनुरोध करने के लिए मजबूर हैं। 1 अप्रैल से 15 तक, अर्धे महीने के लिए आपका भुगतान, बहुत जल्द ही संसाधित और जारी किया जाएगा… आखिरकार, इस बहुत ही कठिन अवधि में हम आपके रोजगार अनुबंध में “विशिष्टता” और “गैर-प्रतिस्पर्धा” दायित्वों से छूट देते है। तदनुसार, आप स्वच्छन्द काम करने के लिए स्वतंत्र होंगे, जिसमें हमारे प्रत्यक्ष प्रतियोगियों के लिए भी काम कर सकते हो” पचास कर्मचारियों को क्विंट वेबसाइट द्वारा लिखे गए पत्र में कहा गया है, यह कहते हुए कि वे एक महीने के वेतन का अग्रिम लाभ उठा सकते हैं।

इस खबर को अंग्रेजी में यहाँ पढ़े।

फरलो (कुछ दिन की छुट्टी) एक पश्चिमी अवधारणा है और भारतीय श्रम नियमों के तहत इसकी अनुमति नहीं है। बिना वेतन के अनिश्चितकालीन छुट्टी निष्कासन के अलावा कुछ नहीं है। भ्रष्ट मीडिया शक्तिशाली उद्योगपति (बैरन) राघव बहल पर पहले से ही बड़े पैमाने पर कर चोरी और मनी लॉन्ड्रिंग और अवैध तरीके से लंदन में संपत्ति की निकासी के लिए आयकर और प्रवर्तन निदेशालय द्वारा कार्ययवाही चल रही है[2]

कई परिपत्रों के माध्यम से केंद्र और राज्य सरकारों ने नियोक्ताओं को कोविड-19 संकट के दौरान निष्कासन न करने या वेतन देने में देरी न करने के लिए कहा है और कई मीडिया संगठन इन आदेशों का उल्लंघन कर रहे हैं। कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि जिन कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति और वेतन में देरी का सामना करना पड़ रहा है, वे श्रम न्यायालयों में जा सकते हैं।

मीडिया जगत में, इंडियन एक्सप्रेस ने सबसे पहले कोरोना महामारी का हवाला देते हुए वेतन में कटौती की जबकि वे हमेशा हर मुद्दे पर नैतिकता का प्रचार करते रहते है[3]। ऐसे उम्मीद की जा रही है कि कोरोना संकट का हवाला देते हुए टाइम्स ऑफ़ इंडिया, हिंदुस्तान टाइम्स और टेलीग्राफ़ अख़बार और इंडिया टुडे के मालिक भी वेतन कटौती और छंटनी और कुछ वर्गों को बंद करने के सहित कई निर्मम तरीके लाएंगे।

संदर्भ:

[1] कोरोना त्रासदी : प्रणॉय रॉय की एनडीटीवी, राघव बहल की क्विंट वेबसाइट और अनिल अंबानी की आईएएनएस न्यूज एजेंसी फर्जी खबर और दहशत फैलाते पकड़े गएMar 29, 2020, hindi.pgurus.com

[2] प्रवर्तन निदेशालय ने काले धन को वैध बनाने के मामले में मीडिया उद्योगपति राघव बहल को आरोपित कियाJun 9, 2019, hindi.pgurus.com

[3] कोरोना को दोषी ठहराते हुए, इंडियन एक्सप्रेस ने भारी वेतन कटौती कीApr 4, 2020, hindi.pgurus.com

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