भारत और अमेरिका रक्षा औद्योगिक सुरक्षा पर संयुक्त कार्य समूह का गठन करेंगे

भारत और अमेरिका के बीच औद्योगिक सुरक्षा पर एक जेडब्ल्यूजी स्थापित करना एक सराहनीय कदम!

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भारत और अमेरिका के बीच औद्योगिक सुरक्षा पर एक जेडब्ल्यूजी स्थापित करना एक सराहनीय कदम!
भारत और अमेरिका के बीच औद्योगिक सुरक्षा पर एक जेडब्ल्यूजी स्थापित करना एक सराहनीय कदम!

रक्षा औद्योगिक सुरक्षा पर कार्य समूह में शामिल होंगे भारत, अमेरिका

भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका ने अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों पर गहन सहयोग की सुविधा के लिए औद्योगिक सुरक्षा पर एक संयुक्त कार्य समूह स्थापित करने का निर्णय लिया है। अधिकारियों ने बताया कि समूह के गठन का सैद्धांतिक फैसला शुक्रवार को संपन्न हुए पांच दिवसीय भारत-अमेरिका औद्योगिक सुरक्षा समझौता (आईएसए) शिखर सम्मेलन में लिया गया। दिल्ली में आयोजित शिखर सम्मेलन का उद्देश्य दोनों देशों के रक्षा उद्योगों के बीच गुप्त सूचनाओं के आदान-प्रदान के लिए एक प्रोटोकॉल विकसित करना था।

प्रमुख अमेरिकी रक्षा कंपनियों ने भारतीय निजी क्षेत्र के साथ साझा किए जाने पर महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों और गुप्त रक्षा सूचनाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक ढांचे पर जोर दिया। दोनों देशों के रक्षा उद्योगों के बीच गुप्त सूचनाओं के आदान-प्रदान की सुविधा के लिए दिसंबर 2019 में आईएसए पर हस्ताक्षर किए गए थे। रक्षा मंत्रालय ने कहा – “सम्मेलन के दौरान, दोनों पक्ष भारत-अमेरिका औद्योगिक सुरक्षा संयुक्त कार्य समूह की स्थापना के लिए सैद्धांतिक रूप से सहमत हुए।”

भारत और अमेरिका ने 2018 में सीओएमसीएएसए (संचार संगतता और सुरक्षा समझौते) पर भी हस्ताक्षर किए थे, जो दोनों सेनाओं के बीच अंतर-संचालन (एक दूसरे की सूचनाओं का उपयोग) प्रदान करता है और इसमें अमेरिका से भारत को उच्च तकनीक की बिक्री का प्रावधान भी है।

मंत्रालय ने एक बयान में कहा – “यह समूह नीतियों और प्रक्रियाओं को तेजी से संरेखित करने के लिए समय-समय पर बैठक करेगा, जो रक्षा उद्योगों को अत्याधुनिक रक्षा प्रौद्योगिकियों पर सहयोग करने की अनुमति देगा।” आईएसए के कार्यान्वयन के लिए एक रूपरेखा बनाने के लिए आयोजित शिखर सम्मेलन की सह-अध्यक्षता क्रमशः भारतीय और अमेरिकी पक्षों से नामित सुरक्षा प्राधिकरण (डीएसए), अनुराग बाजपेयी और डेविड पॉल बगनाती ने की। मंत्रालय ने कहा – “डीएसए ने रूपरेखा तैयार करने के लिए भारतीय रक्षा उद्योग का भी दौरा किया।”

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पिछले कुछ वर्षों में भारत-अमेरिका रक्षा संबंध मजबूत हुए हैं। जून 2016 में, अमेरिका ने भारत को “प्रमुख रक्षा भागीदार” घोषित किया था। दोनों देशों ने पिछले कुछ वर्षों में महत्वपूर्ण रक्षा समझौते भी किए हैं, जिसमें 2016 में लॉजिस्टिक्स एक्सचेंज मेमोरेंडम ऑफ एग्रीमेंट (एलईएमओए) भी शामिल है, जो दोनों सेनाओं को आपूर्ति की मरम्मत और पुनःपूर्ति के लिए एक दूसरे के ठिकानों का उपयोग करने के साथ-साथ गहन सहयोग प्रदान करने की अनुमति देता है।

भारत और अमेरिका ने 2018 में सीओएमसीएएसए (संचार संगतता और सुरक्षा समझौते) पर भी हस्ताक्षर किए थे, जो दोनों सेनाओं के बीच अंतर-संचालन (एक दूसरे की सूचनाओं का उपयोग) प्रदान करता है और इसमें अमेरिका से भारत को उच्च तकनीक की बिक्री का प्रावधान भी है। पिछले साल अक्टूबर में, भारत और अमेरिका ने द्विपक्षीय रक्षा संबंधों को और बढ़ावा देने के लिए बीईसीए (बेसिक एक्सचेंज एंड कोऑपरेशन एग्रीमेंट) समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। इस समझौते के अनुसार दोनों देशों के बीच अत्याधुनिक सैन्य प्रौद्योगिकी, रसद और भू-स्थानिक मानचित्रों को साझा करने का प्रावधान है।

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