छह और हवाई अड्डों का निजीकरण – अमृतसर, वाराणसी, भुवनेश्वर, इंदौर, रायपुर और त्रिची – 2021 तक शुरू होगा

भारत सरकार ने छह और हवाईअड्डों के रखरखाव से खुद को दूर किया!

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भारत सरकार ने छह और हवाईअड्डों के रखरखाव से खुद को दूर किया!
भारत सरकार ने छह और हवाईअड्डों के रखरखाव से खुद को दूर किया!

छह और हवाईअड्डों का निजीकरण

पिछले साल प्रमुख छह हवाई अड्डों के निजीकरण के बाद, भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआई) ने मंगलवार को कहा कि छह और हवाई अड्डोंअमृतसर, वाराणसी, भुवनेश्वर, इंदौर, रायपुर और त्रिची का निजीकरण 2021 के मध्य तक शुरू हो जाएगा। एएआई अध्यक्ष अरविंद सिंह – “जहां तक हवाईअड्डों के निजीकरण के अगले दौर की बात है, हम सरकार की मंजूरी प्राप्त करने के अंतिम चरण में हैं। एक बार मंजूरी मिल जाने के बाद, मुझे लगता है कि हम 2021 की पहली तिमाही में बोली लगाने की प्रक्रिया शुरू करेंगे।”

नरेंद्र मोदी सरकार के तहत हवाई अड्डों के निजीकरण के पहले दौर में, अडानी समूह ने फरवरी में छह हवाई अड्डों – लखनऊ, अहमदाबाद, जयपुर, मंगलुरु, तिरुवनंतपुरम और गुवाहाटी के लिए बड़े अंतर से बोली जीतकर अनुबंध प्राप्त किया था। तीन हवाई अड्डों – लखनऊ, अहमदाबाद और मंगलुरु के लिए रियायत समझौतों पर हस्ताक्षर करने के बाद, एएआई ने उन्हें इस साल की शुरुआत में अडानी समूह को सौंप दिया। शेष तीन हवाई अड्डों के लिए रियायत समझौतों पर अगले महीने के पंद्रह दिनों में हस्ताक्षर किए जाएंगे।

गौतम अडानी के नेतृत्व वाले अडानी समूह ने एएआई को उच्चतम प्रति यात्री शेयर की पेशकश करके सभी छह हवाई अड्डों को प्राप्त किया।

भारतीय हवाई अड्डे के निजीकरण का इतिहास

नागरिक उड्डयन मंत्रालय के तहत काम करने वाले एएआई के अंतर्गत देश भर में 100 से अधिक हवाई अड्डे आते हैं और यह उनका प्रबंधन करता है। 1994 में, केरल राज्य सरकार के सहयोग से निजी हवाई अड्डे के रूप में निर्मित होने वाला कोच्चि हवाई अड्डा देश का पहला हवाई अड्डा बना, जिसके बाद हाल ही में 2018 में राज्य में एक और हवाई अड्डे – कन्नूर, का निर्माण सार्वजनिक और निजी भागीदारी से किया गया।

इस खबर को अंग्रेजी में यहाँ पढ़े।

एएआई ने 2006 में अपने हवाई अड्डों के निजीकरण की शुरुआत दिल्ली को जीएमआर समूह और मुंबई को जीवीके समूह को अनुबंध सौंप कर की थी। उस समय विजेता का चयन इस आधार पर किया गया था कि जिसने अधिकतम राजस्व हिस्सेदारी की पेशकश की थी। इन दोनों समूहों ने लगभग 45% राजस्व की पेशकश की और भारत के दो सबसे बड़े हवाई अड्डों के अनुबंध हासिल किए। फिर जीएमआर ने हैदराबाद एयरपोर्ट और सीमेंस को बैंगलोर एयरपोर्ट का निर्माण अनुबंध मिला और बाद में सीमेंस का नियंत्रण जीवीके समूह के पास चला गया। दिल्ली हवाई अड्डे में, जीएमआर समूह द्वारा एएआई को सालाना 2000 करोड़ रुपये से अधिक दिये जाने का अनुमान है। बाद में, जीवीके को नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (कैग/सीएजी) और फिर केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा कम चालान (अंडर-इन्वोइस) राजस्व में गड़बड़ी और सरकार को कम पैसे की पेशकश के लिए पकड़ा गया। अब जीवीके समूह मुंबई एयरपोर्ट के संचालन में अपनी हिस्सेदारी को अडानी समूह को बेचने जा रहा है, जिसने हाल ही में कई हवाई अड्डों के प्रबंधन का अधिग्रहण करना शुरू कर दिया है।

अब इनवॉइसिंग (चालान) के तहत रेवेन्यू शेयर मॉडल (राजस्व हिस्सेदारी) में गड़बड़ी से बचने के लिए यात्री से प्रति-शेयर पर बोली लगाने का फैसला किया गया है। गौतम अडानी के नेतृत्व वाले अडानी समूह ने एएआई को उच्चतम प्रति यात्री शेयर की पेशकश करके सभी छह हवाई अड्डों को प्राप्त किया। तिरुवनंतपुरम हवाई अड्डे में, अडानी ने प्रति यात्री लगभग 169 रुपये और अन्य सभी पाँच हवाई अड्डों – लखनऊ, अहमदाबाद, जयपुर, मंगलुरु, और गुवाहाटी में – समूह के प्रतियोगियों से बेहतर बोली लगाई।

हालांकि, अडानी समूह नए हवाई अड्डे जेवर हवाई अड्डे (नोएडा, दिल्ली हवाई अड्डे से कुछ किलोमीटर दूर) के निर्माण का अनुबंध प्राप्त नहीं कर सका। उत्तर प्रदेश सरकार सार्वजनिक – निजी भागीदारी मॉडल के तहत इस नए जेवर हवाई अड्डे की संरक्षक है। एएआई अब इन प्रमुख हवाई अड्डों के निजीकरण से प्राप्त आय का उपयोग करके देश भर में नए हवाई अड्डों के निर्माण पर ध्यान केंद्रित करेगा।

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