प्रणॉय रॉय के नेतृत्व वाली एनडीटीवी, राघव बहल के स्वामित्व वाली क्विंट वेबसाइट और अनिल अंबानी नियंत्रित आईएएनएस समाचार एजेंसी को फर्जी खबरों को फैलाते हुए और दहशत पैदा करते हुए पकड़े गए, उस समय जबकि दुनिया कोरोना महामारी संकट का सामना कर रही है। कुछ दिनों पहले, एनडीटीवी ने टेलीविजन चैनल और उसकी वेबसाइट के माध्यम से जॉन हॉपकिंस विश्वविद्यालय का हवाला देते हुए समाचार प्रकाशित किया कि भारत में तीन महीनों में 40 करोड़ कोविड-19 मामले सामने आ सकते हैं। यह फर्जी समाचार पहली बार ऋण-ग्रस्त उद्योगपति अनिल अंबानी-नियंत्रित वेबसाइट आईएएनएस द्वारा चलाया गया था। बाद में जॉन हॉपकिंस यूनिवर्सिटी ने समाचार आइटम को सिरे से खारिज कर दिया।
Based on this update, we have deleted the IANS story on this report. https://t.co/3MKAQ9cSlh
— NDTV (@ndtv) March 28, 2020
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टाइम्स ऑफ इंडिया के फैक्ट चेक डिवीजन ने भी जॉन हॉपकिंस यूनिवर्सिटी को गलत बताते हुए आईएएनएस और एनडीटीवी द्वारा फैलाई गई इस फर्जी खबर को उजागर किया। रिपोर्ट में कहा गया है कि तथाकथित अनुसंधान रिपोर्ट विश्वविद्यालय के प्रतीक चिन्ह (लोगो) का दुरुपयोग करके केवल एक धोखाधड़ी थी।[1]
श्री प्रणॉय रॉय, क्या आप माफी मांग रहे हैं? आप हर तरह से झूठे साबित हुए हैं। जब केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और आयकर विभाग (आईटी) ने आपको पकड़ा, तो आपको प्रेस क्लब में वामपंथियों और कांग्रेस के पत्रकारों द्वारा आयोजित एक समारोह में झूठ बोलने में कोई शर्म नहीं थी, कि आपने जीवन में कभी भी काले धन को नहीं छुआ। आप मजाक बन गए है, मिस्टर रॉय – अब आप सीबीआई द्वारा बैंक धोखाधड़ी और धन शोधन (मनी लॉन्ड्रिंग) के मामलों में आरोपी हैं और आपको अपनी बिजनेस पार्टनर पत्नी के साथ विदेश जाने की अनुमति नहीं है।[2]
पीगुरूज, चुनावों के दौरान कई फर्जी कहानियों और नकली सर्वेक्षणों के पीछे आईएएनएस की वेबसाइट के खेल पर पहले ही एक लेख प्रकाशित कर चुका है, जो सर्वेक्षण बाद में एक बेसिरपैर की कहानी निकले।[3]
इस खबर को अंग्रेजी में यहाँ पढ़े।
बाद में, आईएएनएस के संपादक संदीप बामजई ने अपने ट्वीट में दावा किया कि एनडीटीवी और ऑल्ट न्यूज़ उन्हें गलत तरीके से दोषी ठहरा रहे थे।
Now please another confirmation from Johns Hopkins university, NDTV it pays to listen and not scurry for cover @ndtv at the slightest provocation and the less said the better about fault news @AltNews. Meanwhile https://t.co/eXkwr5RuPe continues ploughing away… https://t.co/W65XvDGjqD
— sandeep bamzai (@sandeep_bamzai) March 28, 2020
फर्जी खबरों में सबसे ताजा खबर राघव बहल के स्वामित्व वाली क्विंट की है, जो पहले से ही आईटी और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा कर उल्लंघन और मनी लॉन्ड्रिंग मामलों के आरोपों का सामना कर रहे हैं[4]। पीगुरूज ने यह भी बताया था कि कैसे बहल ने इस विवादास्पद वेबसाइट क्विंट के संबंध में एक नकली बिक्री को प्रभावित करने के लिए बाजार में शेयरों में हेरफेर किया था[5]।
शुक्रवार (27 मार्च) को क्विंट की रिपोर्टर पूनम अग्रवाल ने एक रिपोर्ट चलाई कि भारत ने कोविड-19 के स्टेज 3 में प्रवेश किया है, जिसमें एक इंजीनियर डॉ गिरिधर ज्ञानी को गलत तरीके से उद्धरण किया, डॉ ज्ञानी एसोसिएशन ऑफ हेल्थकेयर प्रोवाइडर्स इंडिया (एएचपीआई) नामक एक व्यापार निकाय के महानिदेशक हैं। आश्चर्यजनक रूप से ज्ञानी जल्द ही एक बयान के साथ सामने आए कि क्विंट वेबसाइट ने उन्हें गलत तरीके से उद्धृत किया है। लेकिन फिर भी, पूनम अपने ट्वीट्स में जोर देकर कह रही थी कि ज्ञानी एक योग्य डॉक्टर हैं, जबकि वह मूल रूप से इलेक्ट्रिकल इंजीनियर हैं, जो गुणवत्ता नियंत्रण में डॉक्टरेट हैं।
पिछले हफ्ते, बरखा दत्त, डॉ रमनन लक्ष्मीनारायण के साथ एक साक्षात्कार लेकर आई थीं। उनका डॉक्टरेट अर्थशास्त्र में है और उनका दावा है कि भारत के 30 करोड़ लोगों का कोरोनावायरस के लिए परीक्षण किया जाना चाहिए और जल्द ही एक या दो करोड़ लोग प्रभावित होंगे। इस अर्थशास्त्री का एक संदिग्ध अतीत है और आगे कहते हैं कि जुलाई तक भारत 10 लाख से 20 लाख लोगों की मृत्यु का सामना करेगा। बरखा दत्त के इंटरव्यू के बाद, सीएनएन-आईबीएन की मारया शाकिल और इंडिया टुडे के राहुल कंवल ने भी इस संदिग्ध व्यक्ति की साजिश और नकली सिद्धांतों को भुनाया। किसी ने भी उसकी विश्वसनीयता की जांच करने की जहमत नहीं उठाई – कि यह व्यक्ति मेडिकल डॉक्टर नहीं है और केवल अर्थशास्त्र में डॉक्टरेट है। अब यह पाया गया है कि यह व्यक्ति दिल्ली में दो स्वास्थ्य आपूर्ति कंपनियों का निदेशक है।
एक अन्य स्वास्थ्य रिपोर्टर विद्या कृष्णन, एक कार्यकर्ता और एक पत्रकार हैं जो स्वास्थ्य क्षेत्र से जुड़ी खबरें दिखाती हैं, वह भी झूठ फैलाते हुए पकड़ी गई[6]। कृष्णन ने भारत में विदेशी एनजीओ में भी काम किया। यह उनकी पहली गलत रिपोर्ट नहीं है – कई मिसालें हैं।
कोरोना संकट के दौरान दहशत पैदा करने के लिए मीडिया में कुछ लोग इस तरह की फर्जी ख़बरों को क्यों फैला रहे हैं? मुख्यधारा की मीडिया को ध्यान में रखना चाहिए कि ये सभी फर्जी खबरें आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 की धारा 54 के तहत अपराध हैं। इस धारा के अनुसार, झूठी चेतावनी और घबराहट फैलाने के कारण जेल में एक साल की सजा और भारी जुर्माना लगेगा। क्या सरकार इन फर्जी समाचार फैलाने वालों के खिलाफ धारा 54 लगाएगी?
संदर्भ:
[1] FAKE ALERT: Media reports claim 40 crore Indians will contact Coronavirus, falsely attribute it to John Hopkins University – Mar 28, 2020, The Times of India
[2] NDTV founders detained at city airport: Roys say fake case – Aug 9, 2019, Economic Times
[3] क्या अनिल अंबानी की समाचार एजेंसी आइएएनएस (IANS) ने अवैध रूप से लोकसभा चुनाव सर्वेक्षण प्रकाशित किया था? चुनाव आयोग कार्यवाही क्यों नहीं कर रहा है? – May 14, 2019, hindi.pgurus.com
[4] प्रवर्तन निदेशालय ने काले धन को वैध बनाने के मामले में मीडिया उद्योगपति राघव बहल को आरोपित किया – Jun 9, 2019, hindi.pgurus.com
[5] Raghav Bahl engaged in dubious sale of his The Quint website to his own newly acquired firm Gaurav Mercantiles. A case of Money Laundering? Jul 3, 2019, PGurus.com
[6] The Callousness of India’s COVID-19 Response – Mar 27, 2020, The Atlantic
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