
स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध कंपनी की इसतरह निजी बिक्री को अन्य शेयरधारकों के साथ की गयी एक बड़ी धोखाधड़ी माना गया
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने गुरुवार को एनडीटीवी के मालिकों, प्रणॉय रॉय और उनकी पत्नी राधिका रॉय के साथ-साथ उनकी शेल (फर्जी/कागजी) कंपनी आरआरपीआर होल्डिंग्स (राधिका रॉय प्रणॉय रॉय होल्डिंग्स) पर, 2009 में गुपचुप तरीके से मुकेश अंबानी से जुड़ी कंपनी को स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध कंपनी एनडीटीवी के शेयर बेचने के लिए, 27 करोड़ रुपये का भारी जुर्माना लगाया। यह प्रणॉय रॉय और राधिका रॉय के लिए एक बड़ा झटका है, क्योंकि उनके द्वारा की गयी स्टॉक एक्सचेंज हेराफेरी और इनसाइडर ट्रेडिंग के लिए सेबी द्वारा 16.97 करोड़ रुपये का जुर्माना और दो साल के लिए प्रतिबंध लगाया गया है[1]।
प्रणॉय रॉय, उनकी पत्नी और उनके द्वारा नियंत्रित शेल कंपनी आरआरपीआर होल्डिंग्स पर 2008 में एनडीटीवी के शेयर मुकेश अंबानी से जुड़ी कंपनी वीसीपीएल (विश्वप्रधान कमर्शियल प्राइवेट लिमिटेड) को संदिग्ध तरीके से बेचने और इस सौदे से 400 करोड़ रुपये का भारी लाभ कमाने के मामले में 27 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया। स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध कंपनी की इसतरह निजी बिक्री को प्रमोटर प्रणॉय रॉय और पत्नी द्वारा अन्य शेयरधारकों के साथ की गयी एक बड़ी धोखाधड़ी माना गया। पीगुरूज ने इस विशेष सौदे पर लेखों की श्रृंखला प्रकाशित की थी और हमारे प्रबंध संपादक की पुस्तक – ‘एनडीटीवी फ्रॉडस‘ में विस्तृत जानकारी दी है। प्रणॉय रॉय द्वारा यूपीए शासन के दौरान किये इस बड़े फर्जीवाड़े का विवरण यहां पढ़ा जा सकता है[2]।
रिलायंस जियो का पहला लाइसेंस नाहटा की ऐसी कंपनी को जारी किया गया था जिसे कोई नहीं जानता था और कुछ ही घंटों के भीतर मुकेश अंबानी ने उस छोटी कंपनी को अधिग्रहित कर लिया था, जिसने शुरुआत में ही, 2010 के मध्य में रिलायंस जियो का लाइसेंस हासिल किया था।
सेबी के नवीनतम आदेश के अनुसार, कुछ ऋण समझौतों में ऐसे अनुच्छेद थे जिनका एनडीटीवी शेयरधारकों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा। नियामक ने कहा कि 2017 में क्वांटम सिक्योरिटीज प्राइवेट लिमिटेड (एनडीटीवी का एक शेयरधारक) से, वीसीपीएल के साथ ऋण समझौतों के बारे में शेयरधारकों को सामग्री की जानकारी के गैर-प्रकटीकरण द्वारा नियमों के कथित उल्लंघन के बारे में शिकायतों की प्राप्ति के बाद इसकी जांच शुरू हुई। यह सौदा 2008 में प्रणॉय रॉय और पत्नी द्वारा की गयी आईसीआईसीआई बैंक धोखाधड़ी से उत्पन्न हुआ था, जिसमें दोनों को सीबीआई और ईडी की जांच का सामना करना पड़ रहा है। सीबीआई को पहले ही आईसीआईसीआई बैंक ऋण घोटाले से मालूम चला है कि, रॉय दंपत्ति ने दक्षिण अफ्रीका में एक महलनुमा घर बनाने के लिए लगभग 40 करोड़ रुपये खर्च किए। सेबी ने अपने 52 पृष्ठ के आदेश में, पत्रकारिता की आड़ में प्रणॉय रॉय द्वारा की गयीं धोखाधड़ी का विवरण दिया है। विस्तृत आदेश इस लेख के नीचे प्रकाशित किया गया है।
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सेबी के अनुसार, एक ऋण सौदा आईसीआईसीआई बैंक के साथ हुआ था और दो विश्वप्रधान कमर्शियल प्राइवेट लिमिटेड (वीसीपीएल) के साथ हुए थे। आदेश में कहा गया है कि 2009 में वीसीपीएल के साथ आईसीआईसीआई बैंक के ऋण को चुकाने के लिए 350 करोड़ रुपये के एक समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे और एक वर्ष बाद वीसीपीएल के साथ 53.85 करोड़ रुपये के दूसरे ऋण समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे। इसके अलावा, ऋण समझौतों की शर्तों में से एक ने वीसीपीएल को अप्रत्यक्ष रूप से आरआरपीआर होल्डिंग के इक्विटी शेयरों में वारंट के रूपांतरण के माध्यम से एनडीटीवी की 30 प्रतिशत शेयरधारिता हासिल करने की अनुमति प्रदान की। वीसीपीएल मुकेश अंबानी के भरोसेमंद व्यक्ति महेंद्र नाहटा द्वारा नियंत्रित है, जो एचएफसीएल समूह के मालिक हैं। रिलायंस जियो का पहला लाइसेंस नाहटा की ऐसी कंपनी को जारी किया गया था जिसे कोई नहीं जानता था और कुछ ही घंटों के भीतर मुकेश अंबानी ने उस छोटी कंपनी को अधिग्रहित कर लिया था, जिसने शुरुआत में ही, 2010 के मध्य में रिलायंस जियो का लाइसेंस हासिल किया था।
ऋण समझौतों को इस तरह से संरचित किया गया था कि एनडीटीवी से संबंधित विभिन्न मामलों के अनुच्छेदों, जो कि भौतिक और मूल्य संवेदनशील जानकारी थी, को छोटे शेयरधारकों से छुपाया गया था। रॉय दंपत्ति ने तर्क दिया कि चूँकि एनडीटीवी कोई पक्ष नहीं था, इसलिए स्टॉक एक्सचेंजों के समक्ष समझौते का खुलासा करने की उनको कोई आवश्यकता नहीं थी।
सेबी के सहायक अधिकारी अमित प्रधान ने कहा – “मैं इस स्थिति को स्वीकार करता हूं कि एनडीटीवी इन ऋण समझौतों में पक्ष नहीं था, हालांकि, ऋण समझौते की सामग्री और खंड स्पष्ट रूप से दर्शाते हैं कि नोटिसी (नोटिस देने वाला) द्वारा योजना इस तरह से तैयार की गई थी, कि एनडीटीवी उक्त ऋण के लिए कोई पक्ष नहीं होगा, लेकिन फिर भी ऋण समझौतों में एनडीटीवी से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण, भारी और प्रतिकूल शर्तें शामिल हैं।”
उन्होंने कहा कि शर्तों में एनडीटीवी की कैपिटल रीस्ट्रक्चरिंग (पूँजी पुनर्गठन) शामिल थी, जिसे प्रणॉय रॉय और राधिका रॉय केवल आईसीआईसीआई बैंक/ वीसीपीएल की पूर्व सहमति के साथ ही अधिग्रहित कर सकते थे। सेबी के अनुसार, इस तरह के कृत्यों के माध्यम से, दोनों मालिकों और आरआरपीआर होल्डिंग ने पीएफयूटीपी (गैर-कानूनी और अनुचित व्यापार व्यवहार निषेध) मानदंडों के प्रावधानों का उल्लंघन किया है।
तदनुसार, रॉय दंपत्ति और आरआरपीआर होल्डिंग पर 25 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया है, जिसे संयुक्त रूप से और अलग-अलग रूप से भुगतान करने की आवश्यकता है। इसके अलावा, प्रणॉय रॉय और राधिका रॉय पर 1-1 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया है।
प्रणॉय, उनकी पत्नी और उनकी शेल कंपनी पर लगाए गए जुर्माने का 52 पन्नों का सेबी आदेश नीचे प्रकाशित किया गया है:
SEBI Order on NDTV Dtd Dec 24, 2020 by PGurus on Scribd
संदर्भ:
[1] एनडीटीवी के प्रणॉय रॉय और उनकी पत्नी राधिका को सेबी द्वारा इनसाइडर ट्रेडिंग के लिए पकड़ा गया। स्टॉक एक्सचेंजों से दो साल के लिए प्रतिबंध और 16.97 करोड़ रुपये का जुर्माना! – Nov 29, 2020, hindi.pgurus.com
[2] Are Roys the benami owners of NDTV? Is Reliance Industries in control? – Mar 12, 2018, PGurus.com
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