जम्मू-कश्मीर में डीडीसी की 2 सीटों पर री-पोलिंग; पाकिस्तानी महिलाओं के चुनाव लड़ने के कारण रिजल्ट पर लगी थी रोक!

    यहां 2020 पाकिस्तानी नागरिकों के चुनाव लड़ने के बाद चुनाव को खारिज कर दिया गया था।

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    जम्मू-कश्मीर
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    जम्मू-कश्मीर डीडीसी की दो सीटों पर पाकिस्तानी नागरिकों के कारण दोबारा मतदान

    जम्मू कश्मीर में जिला विकास परिषद (डीडीसी) की दो सीटों पर आज फिर से मतदान हो रहा है। ये चुनाव द्रगमुल्ला और हाजिन सीट पर हो रहा है, यहां 2020 पाकिस्तानी नागरिकों के चुनाव लड़ने के बाद चुनाव को खारिज कर दिया गया था। यहां सुबह सात बजे से मतदान शुरू हुआ, जो दोपहर दो बजे तक चलेगा।

    कुपवाड़ा जिले की द्रुगमुल्ला सीट और बांदीपोरा जिले की हाजिन सीट महिलाओं के लिए आरक्षित हैं। इन दोनों सीटों पर दो पाकिस्तानी महिलाओं सोमिया सदफ और शाजिया बेगम ने दिसंबर, 2020 में चुनाव लड़ा था, लेकिन रिजल्ट आने के कुछ घंटे पहले, दोनों की राष्ट्रीयता को लेकर शिकायत की गई। इसके बाद राज्य चुनाव आयोग ने रिजल्ट रोक दिया और जांच के आदेश दिए।

    जांच में पता चला कि दोनों महिलाएं पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) की रहने वाली थीं। उन्होंने दो पूर्व आतंकियों से शादी की थी और 2010 में आत्मसमर्पण करने वाले आतंकवादियों के लिए सरकार की पुनर्वास नीति के तहत अपने पतियों के साथ अवैध रूप से कश्मीर आई थीं। इसके बाद राज्य चुनाव आयोग ने चुनावों को खारिज कर दिया।

    जांच में यह भी पता चला कि करीब 350 पाकिस्तानी महिलाओं ने कश्मीरियों से शादी की है। ये कश्मीरी पुरुष आतंकी बनने के लिए 90 के दशक की शुरुआत में एलओसी पार गए थे। पीओके में ट्रेनिंग के दौरान उनका मन बदल गया और उन्होंने आतंकवादी नहीं बनने का फैसला किया। उनमें से कुछ ने वहां पाकिस्तानी महिलाओं से शादी कर ली।

    सरकार की ओर से पुनर्वास नीति की घोषणा के बाद, ये लोग अपने परिवारों के साथ पीओके से भाग निकले और नेपाल के रास्ते भारत आ गए। लेकिन कश्मीर पहुंचने के बाद महिलाओं को पहचान पत्र के लिए मुश्किल हुई। सुरक्षा एजेंसियों की ओर से पूछताछ के दौरान, इन लोगों ने कहा कि उन्होंने पाकिस्तानी सेना और उनकी एजेंसियों से बचने के लिए नेपाल का रास्ता चुना, जो उन्हें कभी भी आत्मसमर्पण के लिए एलओसी पार करने की इजाजत नहीं देते।

    अधिकारियों का कहना है कि सोमिया सदफ और शाजिया बेगम का नाम हटाने के बाद अब द्रुगमुल्ला सीट पर 10 और हाजिन सीट पर 5 उम्मीदवार मैदान में हैं। दिलचस्प बात यह है कि पिछले दो सालों में कुछ उम्मीदवारों ने पार्टी बदल दी है, लेकिन उनका चुनाव चिन्ह चेंज नहीं हुआ है। इससे जनता विडंबना में है।

    द्रुगमुल्ला सीट पर लड़ने वाले सज्जाद लोन महबूबा मुफ्ती की पार्टी पीडीपी को छोड़ पीपुल्स कांफ्रेंस में शामिल हो गए हैं। पीडीपी का चुनाव चिन्ह स्याही का बर्तन और कलम है। लिहाजा अब पीपुल्स कांफ्रेंस पीडीपी के सिंबल पर वोट मांग रही है, जबकि पीडीपी लोगों को उसके खिलाफ वोट करने के लिए राजी कर रही है।

    दोनों पार्टियों का कहना है कि उन्होंने चुनाव अधिकारियों से उम्मीदवारों के चुनाव चिन्ह बदलने का अनुरोध किया था, लेकिन राज्य चुनाव आयोग ने इसे इस आधार पर खारिज कर दिया कि नामांकन वापस लेने की आखिरी तारीख 23 नवंबर, 2020 थी।

    जिला विकास परिषदों (डीडीसी) के लिए चुनाव जम्मू और कश्मीर का स्पेशल स्टेटस रद्द करने के बाद केंद्र की ओर से केंद्र शासित प्रदेश में लोकतांत्रिक प्रक्रिया को पुनर्जीवित करने का पहला कदम था। जम्मू-कश्मीर में पिछले साढ़े चार साल से कोई निर्वाचित सरकार नहीं है और विधानसभा चुनाव कब होंगे इसका कुछ पता नहीं है। विपक्ष जम्मू-कश्मीर में लोकतंत्र को नष्ट करने और लोगों को सरकार चुनने के उनके अधिकार से वंचित करने के लिए भाजपा को दोषी ठहराता रहा है।

    [आईएएनएस इनपुट के साथ]

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