बाबा रामदेव के खिलाफ आपत्तिजनक वीडियो मामले में याचिकाओं की सुनवाई में शामिल नहीं होंगे न्यायमूर्ति विपिन सांघी
दिल्ली उच्च न्यायालय के एक न्यायाधीश ने बुधवार को गूगल और सोशल मीडिया दिग्गज फेसबुक और ट्विटर की उन याचिकाओं पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया, जिनमें योग गुरु बाबा रामदेव के खिलाफ मानहानिकारक आरोपों वाले वीडियो लिंक को वैश्विक स्तर पर हटाने या ब्लॉक करने के एकल न्यायाधीश के आदेश को चुनौती दी गई है। मामले की सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति विपिन सांघी ने खुद को पीठ से अलग कर लिया।
इस पीठ में न्यायमूर्ति जसमीत सिंह भी शामिल थे। पीठ ने मामले को 21 मार्च को न्यायमूर्ति सांघी को छोड़कर एक अन्य पीठ के समक्ष आगे की सुनवाई के लिए निर्धारित किया है।
इससे पहले नवंबर 2019 में, दिल्ली उच्च न्यायालय की एकल-न्यायाधीश पीठ ने फेसबुक को योग गुरु बाबा रामदेव के खिलाफ मानहानि के आरोपों वाले वीडियो के लिंक को वैश्विक रूप से हटाने, ब्लॉक या अक्षम करने का निर्देश दिया था। न्यायालय का यह आदेश बाबा रामदेव की उस याचिका पर सुनवाई के दौरान आया, जिसमें फेसबुक, गूगल, यूट्यूब और ट्विटर के खिलाफ एक किताब से संबंधित सामग्री पेश करने पर वैश्विक प्रतिबंध लगाने की मांग की गई थी।
न्यायालय ने यह निर्देश तब जारी किया था, जब आईटी दिग्गजों ने कहा था कि जहां तक भारत में पहुंच का संबंध है, उन्हें यूआरएल को निष्क्रिय या ब्लॉक करने में कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन वे वैश्विक स्तर पर अपमानजनक सामग्री को हटाने/निष्क्रिय/ब्लॉक करने के खिलाफ हैं।
बता दें कि कथित मानहानिकारक वीडियो में योग गुरु बाबा रामदेव पर लिखी गई एक किताब के अंश शामिल थे, जिन्हें उच्च न्यायालय ने हटाने का आदेश दिया था।
पिछली सुनवाई में फेसबुक के वकील ने न्यायालय से बाबा रामदेव को अपील लंबित रहने तक उनके खिलाफ अवमानना कार्यवाही शुरू करने से रोकने का अनुरोध किया था।
[आईएएनएस इनपुट के साथ]
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