ऐसा प्रतीत होता है कि सेबी ‘बिल्ली के डर से कबूतर के आंखें मूँदने’ की कहावत वाले रवैये को अपनाने की कोशिश कर रहा है।
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) एक दुविधा की स्थिति में है – एक तरफ, उसे तत्कालीन फॉरवर्ड मार्केट कमीशन (एफएमसी) के कार्यों का औचित्य और बचाव करना है जो गलत तरीके से और गैर-कानूनी रूप से फाइनेंशियल टेक्नोलॉजीज इंडिया लिमिटेड ( एफटीआईएल) योग्य और उचित नहीं है [1], दूसरी ओर उसे उन शीर्ष 5 दलालों के खिलाफ कार्यवाही करनी है और उनकी अयोग्यता का पर्दाफाश करना होगा। सेबी के लिए चीज़ें अस्तव्यस्त हैं क्योंकि अब एफएमसी भी उसमें शामिल हो गया है और इसलिए वह एफएमसी के कुकर्मों के लिए भी जवाबदेह है। अजीब बात यह है कि वह दोषी दलालों को उनकी गलतियों पर टोकने के बजाय इस विषय में कार्यवाही करने में टाल मटोल कर रहा है। क्या हो रहा है?
लेकिन जैसा कि सच्चाई उभरती है, धीरे-धीरे ही सही लेकिन निश्चित रूप से, कि दलाल नेशनल स्पॉट एक्सचेंज लिमिटेड (NSEL) में मुख्य अपराधी थे, सेबी उनके खिलाफ कार्यवाही नहीं करना चाहता है।
वित्तमंत्री आते हैं और चले जाते हैं लेकिन दलाल वहीं रहते हैं
सिर्फ भारत में ऐसा होता है कि किए गए अन्याय लंबी अवधि तक असंशोधित रहते हैं। कलम के एक ही झटके में, वित्त मंत्रालय और सरकारी अधिकारी केपी कृष्णन के कहने पर, तत्कालीन एफएमसी सचिव, रमेश अभिषेक ने एफटीआईएल को देश में किसी भी कमोडिटी डेरिवेटिव एक्सचेंज में किसी भी शेयर को रखने के लिए ’असक्षम और अनुचित’ घोषित किया, जिसके बाद एफटीआईएल के समान आदेशों के बाद दुनिया भर में वित्तीय और ऊर्जा डेरिवेटिव को नियंत्रित करने वाले अन्य नियामक निकायों ने भी ऐसा ही आदेश दिया। एफटीआईएल के संस्थापक जिग्नेश शाह के लिए प्रतिष्ठा का नुकसान और हानि अथाह है – उन्हें अपनी सभी कंपनियों की तुरंत बिक्री करनी पड़ी।
अब महाराष्ट्र राज्य की आर्थिक अपराध शाखा (EOW) ने मुंबई की एक विशेष अदालत में 28,337 पन्नों का आरोप-पत्र दायर किया है[2]। लेकिन जैसा कि सच्चाई उभरती है, धीरे-धीरे ही सही लेकिन निश्चित रूप से, कि दलाल नेशनल स्पॉट एक्सचेंज लिमिटेड (NSEL) में मुख्य अपराधी थे, सेबी उनके खिलाफ कार्यवाही नहीं करना चाहता है।
सेबी किसका इंतजार कर रहा है?
अब सेबी भी एफएमसी को नियंत्रित कर रहा है और इसलिए यह शीर्ष 5 दलालों की घोषणा करने के लिए योग्य है, जिनके लिए यह कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है कि वे भी योग्य और उचित नहीं हैं। जिस तत्परता से एफटीआईएल के खिलाफ रमेश अभिषेक ने कार्यवाही की है, वह उस गति के विपरीत है जहाँ सेबी गलत दलालों के खिलाफ आगे बढ़ रहा है। क्या सभी नागरिकों के लिए कानून समान रूप से लागू नहीं हैं? सेबी हमेशा अपनी जिम्मेदारियों से भाग नहीं सकता है – यह याद रखना चाहिए कि यह केवल शेयरधारकों के लिए है और निहित स्वार्थों के लिए नहीं। सेबी ने जिन मामलों पर कार्यवाही नहीं की है, उनकी सूची लंबी है – एनडीटीवी [3], टाटा संस [4] का खयाल आता है। यह एकमात्र नियामक एजेंसी के प्रदर्शन का कोई तरीका नहीं है।
पिछले 6 महीनों से सेबी द्वारा की जा रही कार्यवाही की रिपोर्टें आ रही हैं, लेकिन अभी तक ऐसा कुछ नहीं हुआ है – ऐसा प्रतीत होता है कि सेबी ‘बिल्ली के डर से कबूतर के आंखें मूँदने’ की कहावत वाले रवैये को अपनाने की कोशिश कर रहा है। एक के बाद एक कारण बताओ नोटिस भेजना मात्र प्रकाशिकी है। कृपया गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय (SFIO) की सिफारिशों पर कार्यवाही करें [5]। यहां तक कि कॉर्पोरेट मामलों का मंत्रालय भी दलालों के खिलाफ कार्यवाही करना चाहता है [6]।
आरोपियों में से एक, IIFL बॉन्ड्स (गैर-परिवर्तनीय डिबेंचर) में 2000 करोड़ रुपये तक जुटाने की कोशिश कर रहा है और मंगलवार [7] 22 जनवरी को सार्वजनिक हुआ। जागो, सेबी! सही कदम उठाओ!
संदर्भ:
[1] The Target – Amazon.in, Shantanu Guha Ray
[2] EOW submits charge sheet against 63 in NSEL scam – Dec 28, 2018, Economic Times
[3] It is the system, stupid! – Jan 8, 2018, PGurus.com
[4] Swamy slams SEBI Chairman for not acting on complaints of insider trading against Tata companies – Oct 11, 2017, PGurus.com
[5] NSEL scam: SFIO wants SEBI to put broker-firms through ‘fit and proper’ test – Jan 1, 2019, The Hindu Business Line
[6] NSEL scam: Corporate Ministry allows SFIO to prosecute everyone involved – Jan 17, 2019, The Hindu Business Line
[7] IIFL taps Rs.2,000 crore NCD issue to diversify fund sources – Jan 22, 2019, Economic Times
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