भाग 5 – क्या मोदी भ्रष्ट आईएएस अधिकारियों को बाहर करेंगे?

क्या रमेश अभिषेक ने एफएमसी में रहते हुए वस्तु व्यापार में हितों का भारी टकराव किया था? क्या नमो भ्रष्ट आईएएस बाबूओं को भी बर्खास्त करेंगे?

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क्या रमेश अभिषेक ने एफएमसी में रहते हुए वस्तु व्यापार में हितों का भारी टकराव किया था? क्या नमो भ्रष्ट आईएएस बाबूओं को भी बर्खास्त करेंगे?

इस श्रृंखला के भाग 1 से 4 को यहाँ से पहुँचा जा सकता है। यह समापन हिस्सा है।

12 आयकर अधिकारियों को बाहर का रास्ता दिखाया, जिनमें से 11 भ्रष्टाचार के कारण थे। क्या इसी तरह का अभियान भ्रष्ट भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) अधिकारियों के लिए भी मोदी द्वारा योजनाबद्ध है? हमें प्रतीक्षा करके देखना होगा।

आदमी, जो लालू की लूट के पीछे है

28 सितंबर, 2017 को, TenNews.in एक विस्फोटक लेख के साथ आया, जिसका शीर्षक था रमेश अभिषेक: स्कैनर के तहत लालू के सलाहकार[1]। पोस्ट में कहा गया है कि आरए लालू प्रसाद यादव के बड़े पैमाने पर काले धन के अवैध साम्राज्य के पीछे मास्टरमाइंड है। सेंट्रल विजिलेंस कमीशन (CVC) के कार्यालय को दी गई अपनी शिकायत में, मुखबिर ने आरोप लगाया कि उसकी बेटी की कानूनी फर्म, थिंकिंग लीगल उन कई जगहों में से एक है, जहाँ आरए ने अपना पैसा लगाया है। मुखबिर ने यह भी बताया कि आरए, स्टार्ट-अप इंडिया के प्रमुख होने के नाते, यह सुनिश्चित करता था कि कोई एंजेल नेटवर्क कंपनी जैसे इंडियन एंजेल नेटवर्क (आईएएन) थिंकिंग लीगल (टीएल) को संपर्क करता और उसके सलाह को उनके स्टार्ट-अप में निवेश पर लागू करता क्योंकि टीएल अनुमतियां और सरकार द्वारा दिए जानेवाले सुविधा को प्राप्त करने के प्रकिया को शीघ्र आगे बढ़ाता। पाँच स्टार्टअप सूचीबद्ध किए गए हैं जो कि आईएएन द्वारा वित्त पोषित हैं जिसमें आईएएन को टीएल द्वारा सलाह दी गई थी।

दिलचस्प बात यह है कि कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) की वेबसाइट पर अब पी चिदंबरम द्वारा दिए गए एफएमसी के अध्यक्ष के रूप में, 10 जुलाई 2014 से पहले रमेश अभिषेक के विस्तार का कोई रिकॉर्ड नहीं है।

क्या रमेश अभिषेक कमोडिटी व्यापारी है?

यदि सही है, तो यह हितों का भारी संघर्ष है। मुखबिर अपनी शिकायत में लिखते हैं कि आरए खुद एक कमोडिटी व्यापारी है, और रायरंगपुर इंडस्ट्रियल एस्टेट, रायरंगपुर, ओडिशा (757043) में स्थित “जगदंबा राइस मिल” के नाम से एक चावल मिल का मालिक है। वह अपने भाई वीजय शंकर अग्रवाल की कंपनी “जगदंबा आयरन स्टील (पी) लिमिटेड” रायरंगपुर, उड़ीसा के माध्यम से एलसी फेरो मैंगनीज, फेरो क्रोम, फेरो मोनी, फेरो वेनियम, फेरो टाइटेनियम, एमसी फेरो मैंगनीज और अन्य एलसी फेरो मिश्र वस्तुओं के रूप में वस्तुओं का व्यापार और आयात करता है[2]। वस्तुओं के भंडारण के लिए उसके पास एक गोदाम भी है।

रमेश अभिषेक को दिया गया अवैध सेवा विस्तार

रमेश अभिषेक, 1982 आईएएस अधिकारी (बिहार कैडर) दिसंबर 2010 में सदस्य के रूप में फॉरवर्ड मार्केट कमीशन (FMC) में शामिल हुआ और उसे अगस्त 2011 से कार्यवाहक अध्यक्ष का कार्यभार दिया गया। बाद में उसे पदोन्नत कर 21 सितंबर 2012 को एफएमसी अध्यक्ष बनाया गया।

मार्च / अप्रैल 2014 में, जब एफएमसी में उसका कार्यकाल पहले ही समाप्त हो जाना चाहिए था, तब बिहार के मुख्यमंत्री (सीएम) नीतीश कुमार, चाहते थे कि रमेश अभिषेक पटना में अतिरिक्त / मुख्य सचिव के रूप में वापस आएं चूंकि वह राज्य के बाहर सिविल सेवा नियमों में अनुमन्य सीमा से बाहर रहा था। आगे-पीछे हुई भारी वार्ता के बावजूद, पी चिदंबरम ने अपनी राजकीय सत्ता का दुरुपयोग करके नीतीश कुमार को राज़ी कराने में सफलता प्राप्त की।

पी चिदंबरम ने सारी प्रक्रिया और नीति को दरकिनार कर दिया और रमेश अभिषेक को एफएमसी के अध्यक्ष के रूप में 5 विस्तार देकर शक्ति (कुर्सी) का दुरुपयोग किया, जो भारतीय नौकरशाही के इतिहास में अनसुना है और पहले कभी नहीं हुआ था।

पी चिदंबरम एफएमसी में रमेश अभिषेक को चाहते थे और इसलिए सभी प्रक्रिया और नीति के उल्लंघन कर उसका कार्यकाल बढ़ाते रहे और इस तरह रमेश अभिषेक को जब तक वह चाहता था तब तक मुंबई में रहने में मदद मिली। यह पी चिदंबरम द्वारा वित्त मंत्रालय में केपी कृष्णन के साथ साझेदारी करके आयोजित किया गया था, जिन्हें पी चिदंबरम का प्रतिनिधि (फ्रंटमैन) और वसूली कर्ता (कलेक्शन एजेंट) माना जाता है।

दिलचस्प बात यह है कि कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) की वेबसाइट पर अब पी चिदंबरम द्वारा दिए गए एफएमसी के अध्यक्ष के रूप में, 10 जुलाई 2014 से पहले रमेश अभिषेक के विस्तार का कोई रिकॉर्ड नहीं है।

डीओपीटी वेबसाइट एनडीए सरकार द्वारा केवल निर्णयों का विवरण को दिखाती है और पहले के विस्तारों के बारे में कुछ नहीं दिखाती है, इस प्रकार है:

List of extensions, latest first
Sl. No. Order No. Date Concerned Officer details
1 36/2/2015-EO(SM.I)(2) Jul 6, 2015 Ramesh Abhishek, IAS, BH, 1982, Economic Affairs PDF(English)
2 36/2/2015-EO(SM-1) Apr 14, 2015 Ramesh Abhishek, IAS, BH, 1982, Economic Affairs PDF(English)
3 36/02/2015-EO(SM.I) Jan 12, 2015 Ramesh Abhishek, IAS, BH, 1982, Economic Affairs PDF(English)
4 9/47/2012-EO(SM.I) Oct 13, 2014 Ramesh Abhishek, IAS, BH, 1982, Economic Affairs PDF(English)
5 9/47/2012-EO(SM.I) Jul 10, 2014 Ramesh Abhishek, IAS, BH, 1982, Economic Affairs PDF(English)

 

अप्रैल 2014 तक रमेश अभिषेक उम्मीद कर रहे थे कि यूपीए सरकार वापस सत्ता में आएगी, जबकि वास्तव में एनडीए सरकार सत्ता में आई और श्री अरुण जेटली ने मई 2014 में वित्त मंत्री के रूप में पदभार संभाला। इससे पहले कि एनडीए सरकार वित्त मंत्रालय के अधिकारियों को बदल पाती, जिसके तहत एफएमसी भी आता है, रमेश अभिषेक एफएमसी में अपना कार्यकाल जारी रखने में कामयाब रहा।

सितंबर 2015 में एफएमसी के सेबी में विलय के बाद, रमेश अभिषेक को कभी राज्य कैडर में वापस नहीं लौटना पड़ा, उसने अपने आईएएस पद और उड़ीसा लॉबी का उपयोग करके मुंबई से विराम काल प्राप्त करके निष्पादन प्रबंधन सचिव के रूप में मंत्रिमंडल सचिवालय में पद पाया ताकि वह भारतीय सरकार में सचिव पद के लिए लॉबी कर सके।

अंतिम शब्द

मुखबिर की शिकायत सीवीसी के कार्यालय में दायर की गई है। यह सीवीसी और अन्य सरकारी प्राधिकरणों पर निर्भर है कि वे इस पर गौर करें और भ्रष्टाचार को साफ करें। दर्ज की गई शिकायत की एक प्रति नीचे दी गई है:

Whistleblower complaint to the CVC

संदर्भ:

[1] Ramesh Abhishek: Lalu’s Ace Advisor Under ScannerSep 28, 2017, TenNews.in

[2] Jagdamba Rice MillIndiaMart.com

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