सैट (एसएटी) को एनडीटीवी पर सेबी द्वारा दिए गए आदेश पर रोक नहीं लगाना चाहिए

सेबी अपीलीय न्यायाधिकरण (अपीलेट ट्रिब्यूनल) को एनडीटीवी पर सेबी के आदेश के खिलाफ रोक नहीं लगाना चाहिए क्योंकि इस आदेश द्वारा बताया गया है कि रॉय दम्पत्ति ऑफिस सम्भालने के लिए योग्य और उचित नहीं है।

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सेबी अपीलीय न्यायाधिकरण (अपीलेट ट्रिब्यूनल) को एनडीटीवी पर सेबी के आदेश के खिलाफ रोक नहीं लगाना चाहिए क्योंकि इस आदेश द्वारा बताया गया है कि रॉय दम्पत्ति ऑफिस सम्भालने के लिए योग्य और उचित नहीं है।
सेबी अपीलीय न्यायाधिकरण (अपीलेट ट्रिब्यूनल) को एनडीटीवी पर सेबी के आदेश के खिलाफ रोक नहीं लगाना चाहिए क्योंकि इस आदेश द्वारा बताया गया है कि रॉय दम्पत्ति ऑफिस सम्भालने के लिए योग्य और उचित नहीं है।

जबकि भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने अंततः एनडीटीवी पर फैसला सुनाया, जिसमें उन्हें कंपनी को चलाने के लिए (या किसी अन्य कंपनी के बोर्ड पर रहने के लिए) योग्य और उचित नहीं माना गया, यह अनिवार्य है कि कोई भी न्यायिक प्राधिकारी (सेबी अपीलीय न्यायाधिकरण (एसएटी), उच्च न्यायालय या सर्वोच्च न्यायालय) इस आदेश में रोक आदेश (स्टे) देने से इनकार करें। राॅय दम्पत्ति किसी भी न्यायिक मंच पर पूर्ण सुनवाई के हकदार है, लेकिन इस विषय पर दो किताबें लिखने के नाते मेरी विनम्र राय में, आदेश के खिलाफ रोक (स्टे) नहीं लगाई जानी चाहिए। सेबी (प्रतिभूति बाजार से संबंधित धोखाधड़ी और अनुचित व्यापार व्यवहारों का निषेध) विनियम, 2003, के अनुसार वे न केवल अनुचित और अयोग्य हैं बल्कि सेबी (प्रतिभूति बाजार से संबंधित धोखाधड़ी और अनुचित व्यापार व्यवहारों के निषेध) विनियम, 2003, के तहत धोखाधड़ी के दोषी हैं। यहाँ कुछ सम्मोहक कारण दिए गए हैं कि प्रारंभिक/सारांश सुनवाई के आधार पर प्रथम दृष्टया रोक को उचित क्यों नहीं ठहराया जाता है:

व्यक्तिगत तौर पर रॉय दंपत्ति को स्वयं ही सेबी के आदेश द्वारा किए गए आरोपों का खंडन करना चाहिए और निवारण के लिए उचित न्यायिक मंच (एसएटी/एचसी/एससी) के पास जा सकते है।

1. जैसे ही आदेश आया, सेबी के आदेश को स्टॉक एक्सचेंजों (बीएसई, एनएसई आदि) को सूचित करना एनडीटीवी का कर्तव्य था और इस आशय की अधिसूचना जारी करनी चाहिए थी कि उक्त व्यक्तियों ने तत्काल इस्तीफा दे दिया है। इसके बजाय, यह देखा गया कि एनडीटीवी अनुपालन अधिकारी सेबी के आदेश को लेकर पिनपिना रहा था[1]। स्वयं सेबी के आदेश को वेबसाइट पर पोस्ट किया जाना चाहिए था! संरक्षकों के तरफ से अनुपालन अधिकारी द्वारा प्रकाशन के वैधता का सवाल है। उनकी निष्ठा कंपनी के लिए है, प्रवर्तकों की ओर नहीं! इस पोस्ट के लेखन के समय तक, यह नहीं हुआ है। घमंड?

2. क्या एनडीटीवी का बोर्ड रॉय दम्पति को बर्खास्त करने और एक नई प्रबंधन टीम नियुक्त करने के लिए एकत्रित हुए? यह न केवल एक सार्वजनिक कंपनी है, बल्कि वैश्विक पहुंच वाला समाचार मीडिया संगठन भी है। उनके द्वारा कोई कारवाई क्यों नहीं की गई? बोर्ड की जिम्मेदारियां और दायित्व कंपनी और शेयरधारकों के लिए हैं, न कि कुटिल प्रवर्तकों के लिए। जागो, एनडीटीवी बोर्ड!

3. स्टॉक एक्सचेंजों को किया गया खुलासा यह बताता है कि संवर्धकों को विश्वास है कि आदेश अपील पर नहीं टिकेगा! क्या बकवास है! सेबी का आदेश रॉय दम्पति द्वारा किए गए अपराधों की संख्या पर हिमशैल का केवल एक सिरा है (इस पर एक विस्तृत विश्लेषण शीघ्र ही करेंगे)। उन्हें अपने पदों पर जारी रखने की अनुमति देना, यहां तक कि एक दिन के लिए भी, उन्हें सबूत नष्ट करने, गवाहों को प्रभावित करने और बहुत कुछ करने देगा!

और विनियमन एजेंसियों का क्या?

चूंकि एनडीटीवी एक समाचार संगठन है, इसलिए इसके लिए मापदंड भी उच्चतम है। भारत के बाहर कहीं भी यात्रा करें और आप भारत समाचार के लिए अपने होटल के कमरे के केबल लाइनअप में केवल एनडीटीवी चैनल ही देख सकेंगे। कुचेष्टा की गुंजाइश असीमित है। पिछली बार की तरह, जब प्रणय रॉय ने कुछ भोले दोस्तों को प्रेस क्लब में शामिल होने के लिए मना लिया और सरकार के खिलाफ हंगामा किया, तो एनडीटीवी को स्वयं को पीड़ित बताने की कोशिश करने और मीडिया में अपने “दोस्तों” द्वारा ये प्रसारित कराने कि यह सरकार उनके साथ “अन्याय” कर रही से क्या रोकता है?

सूचना और प्रसारण के मंत्रालय को रॉय दम्पति को तुरंत पद छोड़ने के लिए कहना चाहिए

सूचना और प्रसारण मंत्रालय (एमआयबी) को सेबी के फैसले का संज्ञान लेते हुए, रॉय दम्पति को तत्काल पद छोड़ने के लिए कहना चाहिए था। उसे बोर्ड को तुरंत एकत्रित होने और एक नई प्रबंधन टीम चुनने का निर्देश देना चाहिए था, जिसे ना करने पर, उन्हें तब तक प्रसारण बंद करने के लिए कहा जाए जब तक कि नया प्रबंधन नियुक्त न हो जाए।

इस खबर को अंग्रेजी में यहाँ पढ़े।

डॉ और श्रीमती रॉय, आप एनडीटीवी के पीछे क्यों छिपे हैं, एक सार्वजनिक कंपनी जो एकल स्वामित्व नहीं है? आपको अपना वक्तव्य देने का पूर्ण अधिकार और बोलने की स्वतंत्रता है। आपकी प्रकाशनार्थ विज्ञप्ति आपको व्यक्तिगत रूप से और आपकी निजी कंपनी (आरआरपीआर होल्डिंग प्राइवेट लिमिटेड) द्वारा जारी की जानी चाहिए थी। एनडीटीवी के कंपनी सचिव को आपके बचाव में बयान क्यों जारी करना चाहिए? कंपनी सचिव कंपनी और शेयरधारकों के हितों की रक्षा करने वाला होता है और सभी कानूनों का अनुपालन सुनिश्चित करता है, यानी वह एक अनुपालन अधिकारी है और सार्वजनिक सूचीबद्ध कंपनी के प्रवर्तकों के अधीन नहीं है। अंततः, व्यक्तिगत तौर पर आपको स्वयं ही सेबी के आदेश द्वारा किए गए आरोपों का खंडन करना चाहिए और निवारण के लिए उचित न्यायिक मंच (एसएटी/एचसी/एससी) के पास जा सकते है। आप एनडीटीवी या इसके संसाधनों का उपयोग आपकी, यानी व्यक्ति की, सुरक्षा के लिए नहीं कर सकते। इसे आपकी जेब से आना होगा।

स्टॉक एक्सचेंज

सेबी का आदेश इस निर्णय पर बहुत निश्चित है कि राॅय दम्पति सिर्फ एनडीटीवी नहीं बल्कि किसी अन्य कंपनी के अधिकारी होने के लिए योग्य और उचित नहीं है! उनके द्वारा इस आशय की एक अधिसूचना तुरंत जारी की जानी चाहिए थी। अन्यथा, स्टॉक तेज़ी से गिरावट की ओर चला जाएगा और बहुत समय से पीड़ित शेयरधारकों को और भी अधिक नुकसान पहुंचाएगा।

एनडीटीवी के स्वतंत्र निदेशक

यह सुनिश्चित करना आपकी जिम्मेदारी है कि एनडीटीवी में प्रबंधन उत्तराधिकार सुचारू और कुशल है, जिससे कंपनी, निवेशकों, बैंकरों और बाजारों का विश्वास प्राप्त हो। कार्यक्रम जारी रहना चाहिए- शायद ऐसी खबरों को छोड़कर, जिसमें विश्वसनीयता गुणांक 1 के करीब है।

क्या मोदी सरकार 2.0 यह सुनिश्चित करेगी कि नया अधिकारी सचमुच काम करने का इरादा रखता है?

संदर्भ:

[1] NDTV disclosure to BSE, NSEJun 14, 2019, BSEIndia.com

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