
जानीमानी महिला शोभा डे को बिकाऊ लेख के लिए पकड़ा गया है। पीगुरूज ने मार्च 2017 में प्रकाशित किया था कि उसका लेख (कॉलम) विवादास्पद बिचौलिया (लॉबीस्ट) नीरा राडिया की टीम द्वारा तैयार किया गए थे। अब वह पाकिस्तान के राजनयिक अब्दुल बासित के खुलासे के बाद कश्मीर में पाकिस्तान के एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए पकड़ी गई है।
पीगुरूज ने 2009 में टाइम्स ऑफ इंडिया में उसके कॉलम तैयार करने में नीरा राडिया की टीम की भूमिका के बारे में लिखा था [1]। आज तक शोभा डे ने अपने बिकाऊ लेख / कॉरपोरेट्स के एजेंडे को आगे बढ़ाने के खुलासे के बारे में एक शब्द भी नहीं कहा है। उजागर हुए टेपों में, नीरा राडिया की अपने वैष्णवी कम्युनिकेशन के कर्मचारी श्रीनी और मनोज वॉरियर के साथ हुई बातचीत से पता चलता है कि उसके लेख भुगतान किये गए या प्रायोजित या उन्हें राडिया की टीम द्वारा पुनरीक्षण किये हुए होते हैं। वार्तालापों से यह भी आभास होता है कि शोभा डे ने राडिया की टीम द्वारा पुनरीक्षण किये गए लेखों में कुछ गड़बड़ बातें की थीं। इन वार्ताओं से आभास होता है कि मुकेश अंबानी के बड़े घर की प्रशंसा शोभा डे के लेख में राडिया की टीम द्वारा लिखी गई थी। यह वार्तालाप यह संकेत भी देता है कि यह लेख पेड न्यूज (जिस खबर के लिए भुगतान किया गया हो) के अलावा कुछ नहीं था।
राडिया और कर्मचारियों के बीच हुई बातचीत से एक और दिलचस्प तथ्य सामने आया कि शोभा डे रतन टाटा से संपर्क करने के प्रयास कर रही थीं और नीरा राडिया उनके प्रयासों को रोक रही थीं।
कर्मचारी मनोज का मुकेश अंबानी के नए घर की प्रशंसा करते हुए उनके (शोभा) लेखों में कुछ टिप्पणियों के लिए शोभा डे के साथ झगड़ा हुआ था। उसने (शोभा) लेख में “किसी भी तरह संतुलन बनाने” की कोशिश की और यह संपादन में लापरवाही के रूप में समाप्त हुआ। हालाँकि, नीरा राडिया ने कर्मचारियों को शांत कर दिया और उन्हें गुस्सा करने के लिए शोभा डे से माफी मांगने को कहा। नीरा राडिया ने कर्मचारियों से कहा कि शोभा डे दिल से नीरा राडिया को पसन्द नहीं करती, क्योंकि वह पिछले आठ सालों से उसे रतन टाटा के करीब जाने से रोक रही थी। शोभा डे के बारे में नीरा राडिया टेप में प्रासंगिक बातचीत इस लेख के अंत में प्रकाशित हुई है।
मज़े की बात यह है कि एक समय श्रीनि कहती हैं कि शोभा डे एक बुरी लेखिका हैं और बिल्कुल बनावटी और नीरा राडिया उन्हें यह बताती हैं कि वह हमारी शख्सियत हैं और वह (नीरा) अपने कॉलम को बनाए रखने के लिए टाइम्स ऑफ़ इंडिया के विनीत जैन को कैसे मैनेज करती हैं। इससे पता चलता है कि शोभा डे के कचरा कॉलम को बनाए रखने के लिए नीरा राडिया ने टाइम्स ऑफ इंडिया को भुगतान किया था।
यह मीडिया जगत में एक ज्ञात रहस्य है कि शोभा डे जैसी शैली वाले लेखकों का उपयोग कॉर्पोरेट्स द्वारा अपने एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए किया जाता है। 2015 के मध्य तक, शोभा डे ने भारतीय बैंकिंग पर भी कॉलम लिखना शुरू कर दिया और आरबीआई गवर्नर रघु राम राजन को “सेक्सी” कहकर तीन साल के सेवा विस्तार के लिए तर्क दिया! यह आश्चर्यजनक है कि इस अभियान के पीछे कौन हो सकता है!
लेकिन इस बार, शोभा डे को कश्मीर में जनमत संग्रह के लिए बहस करने के लिए बहुत कुछ सफाई देनी होगी, जो पाकिस्तान के एजेंडे के अलावा और कुछ नहीं है। पाक कूटनीतिज्ञ अब्दुल बासित कहते हैं कि उन्होंने इस तरह लिखने के लिए शोभा डे को कैसे प्रबंधित किया। इस गहमागहमी का सामना करते हुए, शोभा डे रोती हैं कि बासित झूठ बोल रहा है और वह एक देशभक्त है! ये घड़ियाली आँसू इस बिकाऊ लेखिका के लिए उसकी देशभक्ति साबित करने के लिए पर्याप्त नहीं हैं।
इस खबर को अंग्रेजी में यहाँ पढ़े।
अंततः परन्तु कम महत्वपूर्ण नहीं – क्यों टाइम्स ऑफ इंडिया इस गैरजिम्मेदार महिला को ऐसे कचरा कॉलम प्रकाशित करने की अनुमति दे रहा है? शोभा डे के इन बकवास लेखों के प्रकाशन के लिए क्या कोई टाइम्स ऑफ इंडिया को भुगतान कर रहा है? नीरा राडिया टेप से पता चलता है कि 2000 के दशक के मध्य से, शोभा डे के कई लेखों को विवादित बिचौलिए की टीम द्वारा लिखा या तैयार किया गया था। टाइम्स ऑफ इंडिया के मालिक समीर और विनीत जैन को इस गैर-भरोसेमंद महिला के कॉलमों को प्रकाशित करने का कारण बताना पड़ेगा।
शोभा डे के कॉलम के बारे में नीरा राडिया टेप में बातचीत यहाँ प्रकाशित की गई है:
वार्तालापों का प्रतिलेख
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सन्दर्भ:
[1] Niira Radia tapes reveal Radia’s team ghost wrote for Shobhaa De – Mar 2, 2017, PGurus.com
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