चीनी खुफिया एजेंसियों के लिए जासूसी करते पकड़े गए पत्रकार राजीव शर्मा कौन हैं?

कांग्रेस समर्थक पत्रकार राजीव शर्मा को जानने वाले पुराने पत्रकार कहते हैं कि शर्मा हमेशा जल्दी पैसा बनाने की कोशिश में रहते थे!

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कांग्रेस समर्थक पत्रकार राजीव शर्मा को जानने वाले पुराने पत्रकार कहते हैं कि शर्मा हमेशा जल्दी पैसा बनाने की कोशिश में रहते थे!
कांग्रेस समर्थक पत्रकार राजीव शर्मा को जानने वाले पुराने पत्रकार कहते हैं कि शर्मा हमेशा जल्दी पैसा बनाने की कोशिश में रहते थे!

पिछले 24 घंटों से दिल्ली में जासूसी मामले में अनुभवी पत्रकार राजीव शर्मा (61) की गिरफ्तारी से हड़कंप मचा हुआ है। उन्हें एक चीनी महिला किंग शी (30), जो चीनी खुफिया एजेंसी मिनिस्ट्री ऑफ स्टेट सिक्योरिटी (एमएसएस) से संबंधित है और उसका नेपाली सहयोगी शेर सिंह उर्फ राज बोहरा (30), के साथ पकड़ा गया है। कौन हैं राजीव शर्मा? राजीव शर्मा को सक्रिय रूप से 2008 तक एक पत्रकार के रूप में देखा गया था और समाचार एजेंसी यूएनआई और फिर ट्रिब्यून और सकाल अखबार में रक्षा और विदेश मंत्रालय को कवर करते हुए काम किया था। 2008 में सक्रिय पत्रकारिता छोड़ने के बाद, उन्होंने कई विदेशी पत्रिकाओं सहित एक स्वतंत्र पत्रकार, शोधकर्ता और लेखक के रूप में पत्रकारिता जारी रखी। 2010 से वह चीनी मीडिया प्लेटफॉर्म ग्लोबल टाइम्स के लिए लिख रहे थे। उनका आखिरी लेख जून 2020 के अंतिम सप्ताह में छपा।

चीनी महिला और जेएमयू संबंध

पुलिस ने कहा कि चीनी महिला, किंग शी 2013 से जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय में अध्ययन कर रही थी। क्या यह उसका नकाब था?

कांग्रेस समर्थक

पत्रकार मंडली में, राजीव शर्मा को कांग्रेस समर्थक व्यक्ति के रूप में देखा जाता है और पार्टी के मीडिया प्रबंधन के साथ सक्रिय रूप से जुड़े हुए थे और यूपीए सरकार का समर्थन करते हुए कई कांग्रेस समर्थक लेख प्रकाशित किए थे। कई पत्रकारों का कहना है कि शर्मा 2014 से अजीत डोभाल के साथ अपनी निकटता की ढींगे मारते थे। विदेशी मामलों को कवर करने वाले एक अनुभवी पत्रकार ने कहा – “अपनी वाकपटुता में कहते थे कि वे मिस्टर डी (डोभाल) से मिले थे और वे डोभाल के रूप में अपनी राय देने की कोशिश करते थे और कई युवा पत्रकारों को निर्देश भेजते थे।” उन्होंने कहा कि शर्मा कई दूतावासों के कई दलों में प्रवेश करने के लिए उत्सुक थे और पिछले 12 वर्षों से कई देशों का दौरा करने में लगे हुए थे।

मुलाकात के दौरान, जॉर्ज ने राजीव शर्मा को दलाई लामा से संबंधित मुद्दों के बारे में लिखने/ सूचित करने के लिए कहा। इसके लिए राजीव शर्मा को प्रति लेख/ सूचना पर 500 अमेरिकी डॉलर की पेशकश की गई।

वह विवेकानंद इंटरनेशनल फाउंडेशन (वीआईएफ) द्वारा प्रकाशित बुलेटिनों में लेख लिखते थे, वीआईएफ एक थिंक टैंक (प्रबुद्ध मंडल) है, जो डोभाल से नजदीकी तौर पर जुड़ा हुआ है। पाकिस्तान, चीन, श्रीलंका और मालदीव मामले उनके पसंदीदा विषय हैं। राजीव शर्मा पिछले साल पेगासस सॉफ्टवेयर द्वारा जासूसी के लिए इजरायली एजेंसियों पर उंगली उठाकर, ख्यात हो गए। उन्होंने मीडिया को घोषित किया कि उनके फोन और व्हाट्सएप संदेशों को भी टैप किया गया और यह दावा किया कि एक कनाडाई शोध संस्था ने इसकी पुष्टि की। बाद में इसे कांग्रेस पार्टी द्वारा रचित एक चाल के रूप में देखा गया क्योंकि शर्मा ने कांग्रेस नेता प्रियंका वाड्रा का फोन हैक होने की खबर चलाई। पूरी खबर राजीव शर्मा की घोषणाओं पर आधारित थी[1]

पैसा कमाने की मानसिकता

शर्मा के साथ काम करने वाले कई पुराने पत्रकारों का कहना है कि 2008 के बाद, शर्मा का मकसद पूरी तरह से पैसा बनाने में बदल गया। एक अनुभवी पत्रकार ने कहा, “सत्ता में कौन है इसकी परवाह किए बिना राजतंत्र में पैठ रखते थे, हालांकि उनकी राजनीतिक विचारधारा कांग्रेस के साथ थी। वह जल्दी पैसा बनाना और पार्टी करना पसंद करते थे। जो भी सत्ता में आए शर्मा को अधिकारियों और राजनयिकों के साथ देखा जाता था।” शर्मा ने पांच उपन्यास भी लिखे और उन पर फिल्म बनाने के लिए उत्सुक थे।

चीनी महिला खुफिया एजेंट से 30 लाख रुपये लेने के लिए पकड़ा गया

2010 से, शर्मा चीन के नियमित मेहमान रहे और कई चीनी अधिकारियों के साथ मुलाकात करते रहे। राजीव शर्मा के बारे में दिल्ली पुलिस के विशेष प्रेस ब्रीफिंग (विवरण) के अंश इस प्रकार हैं: पूछताछ में, राजीव शर्मा ने गुप्त/ संवेदनशील सूचनाओं के आदान-प्रदान में अपनी संलिप्तता का खुलासा किया है और चीन के कुनमिंग में स्थित माइकल और जॉर्ज जैसे अपने चीनी संचालकों तक विभिन्न डिजिटल माध्यमों से सूचनाएँ पहुँचाने के बारे में भी बताया। शर्मा ने आगे खुलासा किया कि वह इन बरामद गुप्त दस्तावेजों को भी अपने संचालकों को भेजने/ बताने वाला था। अतीत में भी, उसने अपने संचालकों को रिपोर्ट के रूप में कई दस्तावेज भेजे थे और उस के लिए उसे एक मोटी रकम प्राप्त हुई थी।

इस खबर को अंग्रेजी में यहाँ पढ़े।

“2010-2014 की अवधि के दौरान, उसने ग्लोबल टाइम्स के लिए एक साप्ताहिक कॉलम लिखा, जिसे व्यापक रूप से चीनी सरकार के मुखपत्र के रूप में जाना जाता है। उन कॉलम का अवलोकन करते हुए, चीन के कुनमिंग शहर के माइकल नाम के एक चीनी खुफिया एजेंट ने अपने लिंकडिन खाते के माध्यम से राजीव शर्मा से संपर्क किया और उसे चीनी मीडिया कंपनी के साथ साक्षात्कार के लिए चीन के कुनमिंग शहर बुलाया। पूरी यात्रा का खर्च माइकल ने उठाया था। मुलाकात के दौरान, माइकल और उनके जूनियर झोऊ ने राजीव शर्मा को भारत-चीन संबंधों के विभिन्न पहलुओं पर जानकारी प्रदान करने के लिए कहा। 2016 से 2018 के बीच राजीव शर्मा माइकल और झोऊ के संपर्क में थे। उसे डोकलाम सहित भूटान-सिक्किम-चीन त्रिकोणीय जंक्शन पर भारतीय तैनाती, भारत-म्यांमार सैन्य सहयोग का पैटर्न, भारत-चीन सीमा मुद्दा, आदि जैसे मुद्दों पर सूचना/ इनपुट प्रदान करने का काम सौंपा गया। एक के बाद एक, माइकल और झोऊ के साथ लाओस और मालदीव में दोनों से एक-एक बार मुलाकात कीं और उपर्युक्त विषयों पर जानकारी दी। इन यात्राओं के अलावा, राजीव शर्मा ई-मेल और सोशल मीडिया के माध्यम से भी माइकल और झोऊ के संपर्क में था।

जनवरी 2019 में, राजीव शर्मा कुनमिंग आधारित एक अन्य चीनी आदमी जॉर्ज के संपर्क में आया। वह काठमांडू के रास्ते चीन के कुनमिंग शहर पहुँचा और जॉर्ज से मुलाकात की। जॉर्ज ने अपना परिचय एक चीनी मीडिया कंपनी के महाप्रबंधक के रूप में दिया। मुलाकात के दौरान, जॉर्ज ने राजीव शर्मा को दलाई लामा से संबंधित मुद्दों के बारे में लिखने/ सूचित करने के लिए कहा। इसके लिए राजीव शर्मा को प्रति लेख/ सूचना पर 500 अमेरिकी डॉलर की पेशकश की गई। जॉर्ज ने राजीव शर्मा को बताया कि वे उसे दिल्ली के महिपालपुर में स्थित एक चीनी महिला किंग द्वारा संचालित अपनी कंपनी की सहायक कंपनी के माध्यम से पैसा भेजेंगे। राजीव शर्मा को उनके द्वारा प्रदान की गई जानकारी के लिए जनवरी 2019 से सितंबर 2020 तक लगभग 10 किस्तों में जॉर्ज से 30 लाख रुपये से अधिक प्राप्त हुए। राजीव शर्मा ने आगे मलेशिया और फिर कुनमिंग शहर में जॉर्ज के साथ मुलाकातें कीं।

“जांच के दौरान, यह पता चला है कि राजीव शर्मा को पैसा भेजने के लिए विदेशी कंपनियों द्वारा शेल (फर्जी) कंपनियों का संचालन किया जा रहा था। यह पता चला है कि चीनी नागरिकों अर्थात् झंग चांग और उसकी पत्नी चांग ली-लिआ ने सूरज और ऊषा नकली नाम से एमजेड फार्मेसी और एमजेड मॉल चला रखे थे। वे दोनों वर्तमान में चीन में हैं और उनकी ओर से एक अन्य चीनी महिला किंग शी और एक नेपाली नागरिक राज बोहरा (एमजेड फार्मेसी के दोनों निदेशक) वर्तमान में महिपालपुर से कारोबार संचालित कर रहे हैं। दोनों, किंग शी (उम्र 30 वर्ष) और शेर सिंह @ राज बोहरा (उम्र 30 वर्ष) को भी गिरफ्तार कर लिया गया है। महिपालपुर स्थित चीनी शेल कंपनियों के संबंध में आगे की जांच जारी है।

“जब्त किये गए मोबाइल फोन और लैपटॉप का फॉरेंसिक विश्लेषण इस मामले में पूरे तंत्र और साजिश का खुलासा करने के लिए किया जा रहा है। साजिश में शामिल अन्य विदेशी नागरिकों की पहचान और भूमिका भी पता लगाई जा रही है। आगे की जांच जारी है।”

राजीव शर्मा और अन्य दो आरोपी शासकीय गुप्तता अधिनियम (ओएसए) के तहत आरोपों का सामना कर रहे हैं, वर्तमान में पुलिस हिरासत में हैं, 22 सितंबर को अदालत में पेश किया जाएगा।

संदर्भ:

[1] The Big Phone HackNov 8, 2019, India Today

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