एसएफआईओ ने दागी रियल एस्टेट कंपनी यूनिटेक लिमिटेड के मामलों की जांच पर रिपोर्ट दाखिल करने के लिए उच्चतम न्यायालय की अनुमति मांगी, कहा कुछ संपत्तियां मिलीं

एसएफआईओ ने सर्वोच्च न्यायालय को बताया कि वह यूनिटेक लिमिटेड पर रिपोर्ट दाखिल करने को तैयार!

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एसएफआईओ ने सर्वोच्च न्यायालय को बताया कि वह यूनिटेक लिमिटेड पर रिपोर्ट दाखिल करने को तैयार!
एसएफआईओ ने सर्वोच्च न्यायालय को बताया कि वह यूनिटेक लिमिटेड पर रिपोर्ट दाखिल करने को तैयार!

एसएफआईओ का कहना है कि यूनिटेक की कुछ संपत्तियों की खोज की, सर्वोच्च न्यायालय ने इसे रिपोर्ट दाखिल करने की अनुमति दी

गंभीर धोखाधड़ी जाँच कार्यालय/ सीरियस फ्रॉड इन्वेस्टिगेशन ऑफिस (एसएफआईओ) ने बुधवार को सर्वोच्च न्यायालय को बताया कि उसने दागी रियल एस्टेट कम्पनी यूनिटेक लिमिटेड में अनियमितताओं पर एक रिपोर्ट तैयार की है और इसकी कुछ संपत्तियां मिली हैं, जो शेल कंपनियों के स्वामित्व में हैं। एसएफआईओ ने सीलबंद लिफाफे में अपनी रिपोर्ट दाखिल करने की अनुमति मांगते हुए कहा कि उन्हें कुछ मुद्दों को न्यायालय के संज्ञान में लाने की जरूरत है। हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय ने यूनिटेक के मालिकों संजय चंद्रा और अजय चंद्रा को दिल्ली जेल से मुंबई जेल में स्थानांतरित करने का आदेश दिया था, क्योंकि रियल एस्टेट मालिक जेल के नियमों का उल्लंघन कर रहे थे और दिल्ली की जेल से अपना व्यवसाय संचालित कर रहे थे[1]

न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना की पीठ ने एसएफआईओ की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल माधवी दीवान से कहा कि हालांकि यह पीठ गुरुवार को बैठने वाली थी लेकिन कुछ समस्या के कारण विशेष पीठ अगले बुधवार को बैठेगी। पीठ ने कहा – ‘आप सीलबंद लिफाफे में अपनी रिपोर्ट दाखिल कर सकते हैं लेकिन मामले की सुनवाई अगले बुधवार को की जाएगी।’

यह मामला एक आपराधिक मामले से संबंधित है, जो शुरू में 2015 में दर्ज एक शिकायत से शुरू हुआ था और बाद में गुरुग्राम में स्थित यूनिटेक प्रोजेक्ट्स ‘वाइल्ड फ्लावर कंट्री’ और ‘एंथिया प्रोजेक्ट’ के 173 अन्य घर खरीदारों ने भी शिकायतें दर्ज कीं।

शुरुआत में दीवान ने मामले का जिक्र करते हुए कहा – ‘एसएफआईओ ने यूनिटेक लिमिटेड में अपनी जांच पर अपनी रिपोर्ट तैयार की है। उन्हें समूह की कुछ संपत्तियां मिली हैं और कुछ स्पष्टीकरण की जरूरत है। कुछ संपत्तियां जो उन्हें मिली हैं, वे प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा मिली संपत्तियों के साथ अतिव्यापी हैं।”

इस खबर को अंग्रेजी में यहाँ पढ़े।

दीवान ने कहा – ‘हमें स्पष्टीकरण की जरूरत है कि क्या एसएफआईओ रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में दाखिल की जानी चाहिए या सामान्य तरीके से। हमें कुछ मुद्दों को न्यायालय के संज्ञान में लाने की भी जरूरत है।’ इससे पहले, शीर्ष न्यायालय, जिसने ईडी की दो स्थिति रिपोर्टों का अध्ययन किया था, ने कहा था कि तिहाड़ जेल अधीक्षक और अन्य कर्मचारियों ने चंद्रा बंधुओं से मिलीभगत कर, न्यायालय के आदेशों की अवहेलना और उसके अधिकार क्षेत्र को कमजोर करके बेशर्मी की सारी हदें पार कर दी हैं। शीर्ष न्यायालय के निर्देश के अनुसार, चंद्रा बंधुओं को मुंबई की जेलों में स्थानांतरित कर दिया गया है।

शीर्ष न्यायालय ने कहा था कि ईडी की दो रिपोर्टों में कुछ “गंभीर और परेशान करने वाले” मुद्दों को विचार के लिए उठाया गया है और उसी के अनुसार निपटा जाएगा। न्यायालय ने दिल्ली पुलिस आयुक्त को चंद्रा बंधुओं के संबंध में तिहाड़ जेल के कर्मचारियों के आचरण के बारे में व्यक्तिगत रूप से जांच करने और चार सप्ताह के भीतर न्यायालय को रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया था। ईडी ने एक चौंकाने वाला खुलासा किया था कि उसने यहां एक “गुप्त भूमिगत कार्यालय” का पता लगाया था, जिसे यूनिटेक के पूर्व संस्थापक रमेश चंद्रा द्वारा संचालित किया जा रहा था और पैरोल या जमानत पर उनके बेटे संजय और अजय ने इसका दौरा किया था।

ईडी और एसएफआईओ के अलावा, दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा भी यूनिटेक समूह के मामलों और रियल एस्टेट कंपनी के पूर्व मालिकों के व्यापारिक लेनदेनों की जांच कर रही है। संजय और अजय दोनों, जो अगस्त 2017 से जेल में हैं, पर कथित तौर पर घर खरीदारों के पैसे की हेराफेरी करने का आरोप है। शीर्ष न्यायालय ने अपने अक्टूबर 2017 के आदेश में उन्हें 31 दिसंबर, 2017 तक शीर्ष न्यायालय की रजिस्ट्री में 750 करोड़ रुपये जमा करने को कहा था।

यह मामला एक आपराधिक मामले से संबंधित है, जो शुरू में 2015 में दर्ज एक शिकायत से शुरू हुआ था और बाद में गुरुग्राम में स्थित यूनिटेक प्रोजेक्ट्स ‘वाइल्ड फ्लावर कंट्री‘ और ‘एंथिया प्रोजेक्ट‘ के 173 अन्य घर खरीदारों ने भी शिकायतें दर्ज कीं। पिछले साल 20 जनवरी को, यूनिटेक के 15,000 से अधिक परेशान घर खरीदारों को राहत देते हुए, शीर्ष न्यायालय ने केंद्र को रियल्टी कंपनी का पूरा प्रबंधन नियंत्रण अपने हाथ में लेने और नामित निदेशकों का एक नया बोर्ड नियुक्त करने की अनुमति दी थी।

यूनिटेक को कभी दूसरी सबसे बड़ी रियल एस्टेट कंपनी (डीएलएफ के बाद) के रूप में माना जाता था, 2011 में 2जी घोटाले में संजय चंद्रा की गिरफ्तारी के बाद यह ढहना शुरू हो गयी। माना जाता है कि रियल एस्टेट कंपनी के पास 500 से अधिक शेल फर्म (फर्जी कंपनियां) हैं और कई टैक्स हेवन (कर आश्रयों) में बैंक खाते हैं।

[पीटीआई इनपुट्स के साथ]

संदर्भ:

[1] सर्वोच्च न्यायालय ने तिहाड़ जेल के अधिकारियों को ‘बेशर्म’ बताया। यूनिटेक भाइयों अजय और संजय चंद्रा को मुंबई की जेलों में स्थानांतरित किया गयाAug 27, 2021, hindi.pgurus.com

1 COMMENT

  1. […] सर्वोच्च न्यायालय ने बुधवार को कहा कि हरित पटाखों (पर्यावरण के अनुकूल पटाखे) की आड़ में पटाखा निर्माताओं द्वारा प्रतिबंधित वस्तुओं का इस्तेमाल किया जा रहा है और दोहराया कि संयुक्त पटाखों पर प्रतिबंध लगाने के उसके पहले के आदेश का हर राज्य को पालन करना चाहिए। शीर्ष न्यायालय की टिप्पणियां केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के निष्कर्षों पर आधारित हैं। जस्टिस की पीठ ने कहा कि शीर्ष न्यायालय उत्सव मनाने के खिलाफ नहीं है, लेकिन इसका असर अन्य नागरिकों के जीवन पर नहीं पड़ना चाहिए। उत्सव का मतलब तेज आवाज वाले पटाखों का इस्तेमाल नहीं है, यह “फुलझड़ी” या शोर न करने वाले पटाखों के साथ भी मनाया जा सकता है। […]

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