प्रशांत भूषण को याद रखना चाहिए कि कानून सबसे ऊपर है और नैतिकता को बनाए रखना चाहिए।
आखिरकार विख्यात वकील प्रशांत भूषण, उच्चतम न्यायालय की अवमानना के लिए एक रुपये का जुर्माना देने की घोषणा करके न्यायालय के आदेश के सामने झुक ही गए। उनका दूसरा विकल्प तीन महीने की कैद का चुनाव करना था, इसके साथ ही कानूनी पेशे से तीन साल की छुट्टी। दरअसल, न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा की अगुआई वाली उच्चतम न्यायालय की पीठ, जिसमें न्यायमूर्ति बीआर गवई और कृष्ण मुराई शामिल थे, ने डींगे हांकने वाले प्रशांत भूषण को सबक सिखाया। आदेश में भूषण को 15 सितंबर तक एक रुपये जमा करने या अन्यथा तीन महीने की कैद और पेशे से तीन साल की छुट्टी का सामना करने का निर्देश दिया[1]।
बाद में शाम तक भूषण ने घोषणा की कि वह उचित समय में जुर्माना भर देंगे और आगामी उपाय भी करेंगे। उन्होंने जुर्माना भरने के विकल्प के बारे में प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद ट्वीट किया।
My Statement on my Contempt order today: I am grateful for the support of countless people: activists, lawyers, judges and fellow citizens who encouraged me to stand firm. I am gratified that it seems to have given strength to many people to stand up &speak out against injustice pic.twitter.com/CvfWIPl1sr
— Prashant Bhushan (@pbhushan1) August 31, 2020
पिछले कई सालों से प्रशांत भूषण और उनके वामपंथी मित्र जब भी कोई केस हारते थे तो न्यायाधीशों को धमकाते थे। वे उन पर “मोदी सरकार के अनुकूल” और कलंकी होने का आरोप लगाते थे। भूषण अपने ट्वीट में यहाँ तक गिर गए कि युवा वकील महेक माहेश्वरी की शिकायत को न्यायपालिका का दुरूपयोग कह दिया। महेक माहेश्वरी बनाम प्रशांत भूषण मामला, जो उच्चतम न्यायालय द्वारा स्व संज्ञान मामले में बदल दिया गया, जिससे यह मामला एक बिल्कुल असमान लड़ाई में बदल गया[2]।
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जुर्माना अदा करने पर प्रशांत भूषण के ट्वीट का जवाब देते हुए, महेक माहेश्वरी ने भूषण को याद दिलाते हुए ट्वीट किया कि कानून सबसे ऊपर है।
None is above law. Remember Lord Denning : “Be you ever so high, the Law is above you”. https://t.co/CLOxW2unpu
— Mehek Maheshwari (@MehekMaheshwari) August 31, 2020
“हम दोषी को कारावास के साथ या उसे पेशे के अभ्यास पर रोक लगाने से डरते नहीं हैं। उनका आचरण अदावत और अहंकार को दर्शाता है, जिसकी न्याय प्रशासन में और एक महान पेशे में मौजूद होने के लिए कोई जगह नहीं है, उनके द्वारा न्याय व्यवस्था की छवि को हुए नुकसान पर कोई पछतावा भी नहीं दर्शाया गया है,” प्रशांत भूषण के व्यवहार के बारे में दिये निर्णय में कहा गया।
प्रशांत भूषण (63) ने एक वकील के रूप में समाज के लिए अद्भुत काम किया है और कई अच्छे सार्वजनिक कारणों के लिए लड़े हैं और उनके मामलों ने कई ऐतिहासिक निर्णय दिलाये हैं। लेकिन यह उन्हें गाली या छवि धूमिल करने की आजादी नहीं देता। उन्हें याद रखना चाहिए कि कानून सबसे ऊपर है और नैतिकता को बनाए रखना चाहिए। प्रशांत भूषण को 82 पन्नों के फैसले को बहुत गंभीरता से पढ़ने के लिए समय निकालना चाहिए और अपने अपमानजनक स्वभाव और घृणा फैलाने वाले स्वभाव को बदलना होगा।
संदर्भ:
[1] Prashant Bhushan Judgment: “His conduct reflects adamance and ego”, Supreme Court observes, but shows “magnanimity” with Rs 1 fine – Aug 31, 2020, Bar and Bench
[2] Noted lawyer Prashant Bhushan falls flat on young lawyer Mehek Maheshwari’s case on Contempt of Court – Aug 15, 2020, PGurus
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