पटाखों पर सर्वोच्च न्यायालय: हरित पटाखों के रूप में प्रतिबंधित वस्तुओं का इस्तेमाल कर रहे है निर्माता
सर्वोच्च न्यायालय ने बुधवार को कहा कि हरित पटाखों (पर्यावरण के अनुकूल पटाखे) की आड़ में पटाखा निर्माताओं द्वारा प्रतिबंधित वस्तुओं का इस्तेमाल किया जा रहा है और दोहराया कि संयुक्त पटाखों पर प्रतिबंध लगाने के उसके पहले के आदेश का हर राज्य को पालन करना चाहिए। शीर्ष न्यायालय की टिप्पणियां केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के निष्कर्षों पर आधारित हैं। जस्टिस की पीठ ने कहा कि शीर्ष न्यायालय उत्सव मनाने के खिलाफ नहीं है, लेकिन इसका असर अन्य नागरिकों के जीवन पर नहीं पड़ना चाहिए। उत्सव का मतलब तेज आवाज वाले पटाखों का इस्तेमाल नहीं है, यह “फुलझड़ी” या शोर न करने वाले पटाखों के साथ भी मनाया जा सकता है।
सर्वोच्च न्यायालय को सौंपी अपनी जांच रिपोर्ट में सीबीआई ने कहा है कि सिवकासी में भारत के सबसे बड़े निर्माताओं जैसे हिंदुस्तान फायरवर्क्स और स्टैंडर्ड फायरवर्क्स ने भारी मात्रा में बेरियम खरीदा और आतिशबाजी में इन रसायनों का इस्तेमाल किया।
पटाखों के निर्माता संघ की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने दलील दी कि उद्योग को सरकार द्वारा जारी प्रोटोकॉल (आदिलेख) के अनुसार काम करना चाहिए।
“हमारे पहले के आदेश का पालन हर राज्य द्वारा किया जाना चाहिए। इस तथ्य के बावजूद कि विशिष्ट पटाखों पर विशेष प्रतिबंध है, फिर भी यदि आप किसी राज्य या शहर या किसी उत्सव में जाते हैं, तो विशिष्ट पटाखे बाजार में खुले तौर पर उपलब्ध हैं।
पीठ ने कहा – “हमारे आदेश का पालन किया जाना चाहिए। किसी भी शंका की कोई गुंजाइश नहीं। यह बाजार में खुले तौर पर बेचा जा रहा है और लोगों द्वारा उपयोग किया जा रहा है। हम जानना चाहते हैं कि जब उन पर प्रतिबंध है, तो वे बाजारों में कैसे उपलब्ध हैं!“ जैसे ही सुनवाई शुरू हुई, याचिकाकर्ता अर्जुन गोपाल की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन ने कहा कि उन्होंने सीबीआई की रिपोर्ट के आधार पर एक अतिरिक्त हलफनामा दायर किया है और जो भी सामने आया, वह वास्तव में बहुत परेशान करने वाला है।
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पटाखों के निर्माता संघ की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने दलील दी कि उद्योग को सरकार द्वारा जारी प्रोटोकॉल (आदिलेख) के अनुसार काम करना चाहिए। दवे ने कहा – “यह एक संगठित उद्योग है। लगभग पांच लाख परिवार हम पर निर्भर हैं। जहां तक सिवकासी का सवाल है, हम सभी सावधानी बरत रहे हैं।” शीर्ष न्यायालय ने कहा कि मुख्य कठिनाई उसके द्वारा जारी आदेशों के कार्यान्वयन को लेकर है।
पीठ ने कहा – “क्या आपने निर्माताओं का जवाब देखा है। उन्होंने जो कहा वह बहुत ही आश्चर्यजनक है। जब उन्हें बड़ी मात्रा में बेरियम नमक खरीदते पाया गया, तो उन्होंने कहा कि यह गोदाम में रखने के लिए है, निर्माण हेतु इस्तेमाल करने के लिए नहीं। वे इसे गोदाम में सिर्फ दिखाने के लिए नहीं रख रहे हैं।” वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव दत्ता ने कहा कि यदि एक या दो निर्माता आदेशों का उल्लंघन कर रहे हैं तो पूरे उद्योग को नुकसान नहीं होना चाहिए।
शीर्ष न्यायालय ने पक्षों से सीबीआई रिपोर्ट के जवाब में दायर जवाबी हलफनामों की प्रतियों का आदान-प्रदान करने के लिए कहा और मामले की सुनवाई 26 अक्टूबर को तय की। शीर्ष न्यायालय ने पहले कहा था कि पटाखों के निर्माण में जहरीले रसायनों के इस्तेमाल पर सीबीआई की रिपोर्ट बहुत गंभीर है और “प्रथम दृष्टया” ऐसा प्रतीत होता है कि बेरियम के उपयोग और आतिशबाजी के लेबलिंग पर न्यायालय के आदेशों का उल्लंघन किया गया है।
सीबीआई ने बताया था कि हिंदुस्तान फायरवर्क्स और स्टैंडर्ड फायरवर्क्स जैसे निर्माताओं ने भारी मात्रा में बेरियम खरीदा और आतिशबाजी में इन रसायनों का इस्तेमाल किया है। शीर्ष न्यायालय ने 3 मार्च, 2020 को चेन्नई में सीबीआई के संयुक्त निदेशक को एक विस्तृत जांच करने और छह सप्ताह के भीतर रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था, जिसमें निर्माताओं द्वारा प्रतिबंधित सामग्री और गलत लेबलिंग का उपयोग करके न्यायालय के पहले के आदेशों के कथित उल्लंघन का ब्यौरा मांगा गया था।
जब वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन ने कहा था कि ये निर्माता खुले तौर पर न्यायालय के आदेश का उल्लंघन कर रहे हैं तो सीबीआई ने इस मुद्दे पर कड़ा रुख अपनाया था। शीर्ष न्यायालय ने छह निर्माताओं को कारण बताओ नोटिस दिया था कि न्यायालय के आदेशों की अवमानना के लिए उन्हें दंडित क्यों नहीं किया जाना चाहिए। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा था कि वह पटाखों पर प्रतिबंध लगाने पर विचार करते हुए रोजगार की आड़ में अन्य नागरिकों के जीवन के अधिकार का उल्लंघन नहीं कर सकता है और इसका पूरा ध्यान निर्दोष नागरिकों के जीवन के अधिकार पर है।
शीर्ष न्यायालय ने पहले पटाखों की बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने से इनकार कर दिया था और कहा था कि बिक्री केवल लाइसेंस प्राप्त व्यापारियों के माध्यम से हो सकती है और केवल हरित पटाखे ही बेचे जा सकते हैं। पटाखों की ऑनलाइन बिक्री पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई है।
यह फैसला वायु प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए देश भर में पटाखों के निर्माण और बिक्री पर प्रतिबंध लगाने की मांग वाली याचिका के जवाब में आया है। पिछले दिनों शीर्ष न्यायालय ने कहा था कि पटाखों पर प्रतिबंध लगाने का फैसला करते समय पटाखा निर्माताओं के आजीविका के मौलिक अधिकार और देश के 1.3 अरब से अधिक लोगों के स्वास्थ्य के अधिकार को ध्यान में रखना अनिवार्य है।
[पीटीआई इनपुट्स के साथ]
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