न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा की अगुवाई वाली पीठ द्वारा टेलीकॉम एजीआर और प्रशांत भूषण न्यायालय अवमानना मामले के निर्णय पर सभी की निगाहें। 31 अगस्त या 1 सितंबर को उम्मीद है

न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा को 31 अगस्त और 1 सितंबर को विवादास्पद टेलीकॉम एजीआर बकाया भुगतान मामले पर और वकील प्रशांत भूषण पर न्यायालय की अवमानना के आरोपों पर निर्णय देना है।

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न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा को 31 अगस्त और 1 सितंबर को विवादास्पद टेलीकॉम एजीआर बकाया भुगतान मामले पर और वकील प्रशांत भूषण पर न्यायालय की अवमानना के आरोपों पर निर्णय देना है।
न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा को 31 अगस्त और 1 सितंबर को विवादास्पद टेलीकॉम एजीआर बकाया भुगतान मामले पर और वकील प्रशांत भूषण पर न्यायालय की अवमानना के आरोपों पर निर्णय देना है।

न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा के सेवानिवृत्ति के लिए बचे मुश्किल से दो दिन (31 अगस्त और 1 सितंबर) के साथ, पूरा व्यवसायी-कानूनी-राजनीतिक-सामाजिक दुनिया उनके दो लंबित फैसलों का इंतज़ार कर रही है। सोमवार या मंगलवार को, न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा को विवादास्पद दूरसंचार एजीआर बकाया भुगतान स्वरूप और विख्यात अधिवक्ता प्रशांत भूषण को न्यायालय की अवमानना हेतु सजा के लिए निर्णय देना है। हालांकि टेलीकॉम एजीआर के भुगतान स्वरूप पर 1.25 लाख करोड़ रुपये से अधिक की राशि का फैसला सबसे बड़ा है, लेकिन कई लोग प्रशांत भूषण के खिलाफ सजा के फैसले को भावनात्मक मानते हैं। सबसे वरिष्ठ न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा की अगुवाई वाली पीठ द्वारा 31 अगस्त या 1 सितंबर को काम करने के अपने आखिरी दिन (2 सितंबर) को इन दोनों निर्णयों को दिए जाने की उम्मीद है, प्रथा के अनुसार वे भारत के मुख्य न्यायाधीश की पीठ के साथ बैठेंगे।

न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा ने प्रशांत भूषण को एकतरफा माफी का प्रस्ताव देने के लिए पर्याप्त अवसर दिए, जिसे भारत के कई मुख्य न्यायाधीशों के खिलाफ अपमानजनक ट्वीट लिखने वाले वकील ने खारिज कर दिया। यहां तक कि भूषण के वकीलों और महान्यायवादी केके वेणुगोपाल ने उनके लिए दया की मांग की, वकील माफी मांगने के लिए तैयार नहीं थे। प्रशांत भूषण को एक युवा वकील महक माहेश्वरी ने पकड़ा था, जिन्होंने सुप्रीम कोर्ट में न्यायालय की अवमानना के लिए कार्रवाई शुरू करने के लिए एक याचिका दायर की थी[1]। न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा के साथ भ्रष्ट वामपंथी और उदारवाद का चोला ओढ़े लोगों ने दुश्मन की तरह व्यवहार किया। उन भ्रष्ट लोगों द्वारा न्यायमूर्ति को दी गयी धमकियों का कभी भी कोई असर नहीं हुआ और यहां तक कि कुछ नाराज वामपंथी अधिवक्ताओं के संगठन 2 सितंबर को उनके विदाई समारोह का बहिष्कार करने की फर्जी खबर के साथ सामने आए। विख्यात वित्तीय विश्लेषक और संपादक गुरुमूर्ति के मामले में न्यायालय की अवमानना के मामलों में इस भ्रष्ट मंडली ने दोगली भूमिका निभाई थी[2]

इस खबर को अंग्रेजी में यहाँ पढ़े।

न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा टेलीकॉम एजीआर मामले से 1.45 लाख करोड़ रुपये से अधिक के बड़े बकाया से बचने की कोशिश कर रहे बड़े व्यवसायी घरानों के प्रयास का पता लगाने और उसे रोकने के लिए श्रेय के हकदार हैं। दरअसल, 24 अक्टूबर 2019 को न्यायमूर्ति मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने बकाया भुगतान के लिए आदेश दिया था। लेकिन व्यवसायियों और सरकार ने इन भारी बकाए का भुगतान न करके संदिग्ध खेल खेला। न्यायमूर्ति मिश्रा की बेंच के हस्तक्षेप के बाद सभी कुटिल व्यवसायी और सरकार पर गाज गिरी और तुरंत व्यवसायी घरानों द्वारा उनके मालिकों को जेल जाने से रोकने के लिए 25,000 करोड़ रुपये का भुगतान अचानक कर दिया गया। पीठ ने इस बात का खुलासा किया कि अंबानी बंधुओं ने कैसे स्पेक्ट्रम की अदला-बदली की और अनिल अंबानी की बंद पड़ी कम्पनी का 31,000 करोड़ रुपये से अधिक के बकाया का भुगतान नहीं कर रहे हैं[3]। सरकार ने उन दोषी दूरसंचार कंपनियों को 20 साल तक किस्त देने की अनुमति भी दी है, जिन्होंने पहले ही सरकार की ओर से जनता से प्रति कॉल के लिए धन एकत्र किया है। यह व्यापक रूप से अपेक्षित है कि सुप्रीम कोर्ट 15 साल की किस्त पैकेज की अनुमति देगा[4]

सभी की निगाहें न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा की अगुवाई वाली दो जजों की सोमवार और मंगलवार (31 अगस्त और 1 सितंबर) की खंडपीठ पर टिकी हैं।

ध्यान दें: प्रशांत भूषण मामले पर सुप्रीम कोर्ट के लेखागार के अनुसार 31 अगस्त यानि सोमवार को फैसला सुनाया जाएगा

संदर्भ:

[1] Noted lawyer Prashant Bhushan falls flat on young lawyer Mehek Maheshwari’s case on Contempt of CourtAug 15, 2020, PGurus.com

[2] अवमानना मामलों में भ्रष्ट लेफ्ट-लिबरल (वामपंथी-उदारवादी) तंत्र का कपट। प्रशांत भूषण के लिए रो रहा है, लेकिन गुरुमूर्ति को जेल होने की कामना करता हैAug 20, 2020, hindi.pgurus.com

[3] मुकेश अंबानी की रिलायंस जियो द्वारा सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद अनिल अंबानी के आरकॉम के 31,000 करोड़ रुपये के बकाया का भुगतान करने की उम्मीद हैAug 15, 2020, hindi.pgurus.com

[4] टेलीकॉम एजीआर की बकाया राशि का मामला सर्वोच्च न्यायालय को मूर्ख बनाने में सरकार और व्यवसायी घरानों की मिलीभगत को उजागर करता हैAug 27, 2020, hindi.pgurus.com

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  1. […] रिपोर्ट के अनुसार, न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा, जो वर्तमान में राष्ट्रीय मानवाधिकार […]

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