वैकुंडराजन ने पर्यावरण मंत्रालय में कार्यरत अधिकारी के इंजीनियरिंग कॉलेज में प्रवेश हेतु रुपया देने के लिए दोषी ठहराया गया!
भारत में खनिजों की सबसे बड़ी निर्यातक कम्पनी के मालिक दक्षिण भारतीय रेत खनन माफिया एस वैकुंडराजन को केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय के अधिकारी को रिश्वत देने के मामले में अदालत ने सजा सुनाई है। तमिलनाडु की राजनीति में निर्णायक भूमिका निभाने वाले वैकुंडराजन केरल, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु के तटों में अवैध बालू खनन के कई आरोपों में शामिल थे। लेकिन अब उन्हें पर्यावरण मंत्रालय में कार्यरत एक अधिकारी के इंजीनियरिंग कॉलेज में प्रवेश हेतु रुपया देने के लिए दोषी ठहराया गया है। यह मामला अमेरिका के बड़े माफिया नेता अल्फोंस गेब्रियल कपोन के कर उल्लंघन के मामले में पकड़े जाने के समान है।
दिल्ली की एक विशेष सीबीआई अदालत ने सोमवार को चेन्नई के वीवी मिनरल्स के प्रबंधन (मैनेजिंग) पार्टनर वैकुंडराजन को तीन साल की कैद, एक सुब्बुलक्ष्मी को तीन साल और तत्कालीन उप निदेशक पर्यावरण मंत्रालय, नीरज खत्री को भ्रष्टाचार के मामले में पांच साल की सजा सुनाई। अदालत ने वैकुंडराजन पर 5 लाख रुपये, सुब्बुलक्ष्मी पर 2 लाख रुपये और खत्री पर 5 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया। कंपनी पर 10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है। 1 फरवरी, 2016 को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा दर्ज किए गए मामले में तीनों को कंपनी के साथ दोषी ठहराया गया था।
यद्यपि वह तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता से बहुत अच्छी तरह से संपर्क में था, उसका रेत खनन व्यवसाय और उस पर लगे आरोप प्रतिद्वंद्वी डीएमके पार्टी के शासन के दौरान भी अछूते थे।
एजेंसी ने आरोप लगाया था कि एमओईएफ में तत्कालीन उप निदेशक (वैज्ञानिक-सी) के रूप में खत्री ने वैकुंडराजन से 3 जुलाई, 2012 को वीआईटी विश्वविद्यालय (तमिलनाडु में एक निजी विश्वविद्यालय) के नाम पर बैंक ड्राफ्ट के माध्यम से 4.13 लाख रुपये लिए। पर्यावरण मंत्रालय के अधिकारी के बेटे सिद्धार्थ ने विश्वविद्यालय के बीटेक (मैकेनिकल इंजीनियरिंग) पाठ्यक्रम में प्रवेश लिया था, जिसके लिए यह राशि जमा की गई थी।
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अधिकारी तिरुनेलवेली के थिरुवम्बलपुरम गांव में 166 हेक्टेयर की विशेष आर्थिक क्षेत्र (एसईजेड) परियोजना में खनन से संबंधित मुद्दों की मंजूरी पाने के लिए वैकुंडराजन की कंपनी वीवी मिनरल की फाइल पर काम कर रहा था। अधिकारी नीरजा खत्री ने रेत खनन माफिया से फाइलों की मंजूरी के लिए रिश्वत ली और वीआईटी इंजीनियरिंग कॉलेज में बेटे के दाखिले के लिए रिश्वत लेकर जाल में फंस गयीं, सीबीआई ने आरोप लगाया। वैकुंडराजन के साथ दोषी एक अन्य आरोपी सुब्बुलक्ष्मी है। वह खनन कंपनी की एक संपर्क अधिकारी है।
वैकुंडराजन की सजा अमेरिकी माफिया डॉन अल कैपोन की सजा के समान है, जो कर चोरी के लिए पकड़ा गया था। यहां समानता यह है कि रेत खनन का माफिया पिछले 40 वर्षों से अवैध रेत खनन के आरोपों का सामना कर रहा था और एक बहुत ही छोटी सी रिश्वत लेते हुए पकड़ा गया। वैकुंडराजन ने चावल मिल चलाने से अपना लघु व्यवसाय शुरू किया, जो उसके पिता का व्यवसाय था। यद्यपि वह तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता से बहुत अच्छी तरह से संपर्क में था, उसका रेत खनन व्यवसाय और उस पर लगे आरोप प्रतिद्वंद्वी डीएमके पार्टी के शासन के दौरान भी अछूते थे।
दक्षिण भारतीय मीडिया और यहां तक कि राष्ट्रीय मीडिया ने भी माफिया की पैसे की शक्ति के कारण उसके खिलाफ रिपोर्टिंग नहीं की। इकोनॉमिक टाइम्स के पूर्व रिपोर्टर ने बाद में वायर वेबसाइट में एक रिपोर्ट लिखी थी कि कैसे चेन्नई में वैकुंडराजन उनके ब्यूरो में आया। रिपोर्ट में तमिलनाडु की राजनीति, न्यायपालिका और मीडिया में वैकुंडराजन के संबंधों का विवरण है[1]।
संदर्भ:
[1] How India’s Largest Beach Sand Mineral Exporter Got to Where He Is – Jan 30, 2017, The Wire
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