सीबीआई को सरकारी विज्ञापन प्राप्त करने के लिए डीएवीपी के पैनल में सूचीबद्ध छह फर्ज़ी अखबार मिले
केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर सरकारी विज्ञापन के लिए अपने समाचार पत्रों को सूचीबद्ध कराने वाले अज्ञात सरकारी अधिकारियों और तीन व्यक्तियों के खिलाफ सोमवार को मामला दर्ज किया। यह मामला लगभग दो साल पहले विज्ञापन और दृश्य प्रचार निदेशालय (डीएवीपी), जिसे अब ब्यूरो ऑफ आउटरीच एंड कम्युनिकेशन (बीओसी) के नाम से जाना जाता है, में सीबीआई द्वारा की गई एक औचक जांच से सामने आया था। एक मामले में, यह पाया गया कि छह समाचार पत्र – अर्जुन टाइम्स के दो संस्करण – द हैल्थ ऑफ भारत और दिल्ली हैल्थ – को सरकारी विज्ञापन प्राप्त करने के लिए डीएवीपी के साथ सूचीबद्ध किया गया था।
एजेंसी की आंतरिक जांच में यह पाया गया कि अखबार में उल्लिखित प्रिंटिंग प्रेस के पते से ऐसा कोई समाचार पत्र प्रकाशित नहीं किया जा रहा था और न ही चार्टर्ड अकाउंट ने कोई प्रमाण पत्र जारी किया था। सीबीआई ने कहा कि सरकारी विज्ञापनों को प्राप्त करने के लिए जमा किए गए दस्तावेज जाली थे। झूठे और मनगढ़ंत दस्तावेजों के आधार पर सरकारी विज्ञापनों के लिए अखबारों को सूचीबद्ध करने के आरोप में हरीश लांबा, आरती लांबा और अश्विनी कुमार के साथ बीओसी के अज्ञात अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है।
जांच के दौरान, एजेंसी ने पाया कि अर्जुन टाइम्स द्वारा 2017 में जमा किए गए अपने कागजात में, अश्विनी कुमार को प्रकाशक के रूप में दिखाया गया था। हरीश लांबा अखबार के मालिक या संचालक हैं।
सीबीआई ने कहा कि इन समाचार पत्रों को धोखाधड़ी और बेईमानी से डीएवीपी के साथ सूचीबद्ध किया गया और इन्हें 2016 से 2019 तक 62.24 लाख रुपये के विज्ञापन प्राप्त हुए। एक अधिकारी ने कहा – “यह राशि अधिक हो सकती है यदि समाचार पत्रों के सूचीबद्ध करने की शुरुआत से गणना की जाए।” उन्होंने आगे कहा कि इसी तरह की अनियमितताएं अन्य समाचार पत्रों के संबंध में भी पाई गईं हैं। मामले की जांच के दौरान, सीबीआई झंडेवालान स्थित प्रिंटिंग प्रेस में गई और उसके मालिक दर्शन सिंह नेगी से मुलाकात की, जिन्होंने उन्हें सूचित किया कि इस स्थान से ऐसा कोई समाचार पत्र प्रकाशित नहीं हुआ था।
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जांच के दौरान, एजेंसी ने पाया कि अर्जुन टाइम्स द्वारा 2017 में जमा किए गए अपने कागजात में, अश्विनी कुमार को प्रकाशक के रूप में दिखाया गया था। हरीश लांबा अखबार के मालिक या संचालक हैं। सीबीआई ने आरोप लगाया है कि नेगी ने कभी भी लांबा या कुमार से मुलाकात से इनकार किया है और यह भी कहा कि अखबार उनके प्रेस से कभी नहीं छपा। जांच एजेंसी ने कहा कि प्रकाशक और मुद्रक के बीच अनुबंध और नेगी द्वारा कथित तौर पर जारी किए गए आवेदन के साथ जमा किए गए घोषणापत्र जाली थे क्योंकि वे उनके द्वारा कभी जारी नहीं किए गए थे।
जांच में आगे पता चला कि चार्टर्ड एकाउंटेंट प्रमाणपत्र भी जाली था, जिसमें प्रति प्रकाशन दिवस पर छपी प्रतियों की संख्या 25,800 दिखाई गयी थी। हालांकि, कभी भी डॉल्फिन पिक्चरोग्राफी से अखबार की कोई कॉपी नहीं छापी गई। सीबीआई ने कहा कि अखबारों ने दावा किया था कि प्रतिदिन आठ पृष्ठों की 1.5 लाख प्रतियां प्रकाशित की जाती थी, हालांकि, जांच के दौरान यह पाया गया कि इन प्रकाशनों की कुल संख्या 100 से 150 प्रतियों से अधिक नहीं थी।
इससे पहले पूर्व सूचना और प्रसारण मंत्री एम वेंकैया नायडू (भारत के वर्तमान उपराष्ट्रपति) ने एक बार विभागीय जांच का आदेश दिया था कि कैसे छोटे समाचार पत्र नकली दस्तावेज दिखाकर सरकारी विज्ञापन प्राप्त करने का प्रबंधन करते हैं। सिर्फ दिल्ली में ही संदिग्ध कार्यों में संलिप्त लगभग 800 प्रकाशनों की पहचान की गई है।[1]
[पीटीआई इनपुट्स के साथ]
संदर्भ:
[1] 800 Publications Removed From List Of Govt Ad Recipients: Naidu – Jun 06, 2017, Business World
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