हुड्डा और कांग्रेस नेता मोती लाल वोरा को मामले में आरोपी बनाया गया था!
पंचकुला की एक विशेष सीबीआई अदालत ने शुक्रवार को हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के खिलाफ पंचकुला में नेशनल हेराल्ड अखबार को भूमि आवंटन घोटाले में आरोप तय किए। हुड्डा अदालत में उपस्थित हुए और भारतीय दंड संहिता की धारा 420 (धोखाधड़ी) और 120-बी (आपराधिक साजिश) तथा भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13(1)(डी) के तहत हुडा के खिलाफ आरोप तय किए गए। 7 मई से सुनवाई की प्रक्रिया शुरू होगी।
हुड्डा और कांग्रेस नेता मोती लाल वोरा, जिनका हाल ही में निधन हो गया था, को मामले में आरोपी बनाया गया था। हुड्डा नेशनल हेराल्ड समाचार पत्र की प्रकाशन कंपनी एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) के प्रबंध निदेशक थे। सोनिया गांधी और राहुल गांधी के खिलाफ दिल्ली में बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी द्वारा दायर मुख्य मामले के बाद, केंद्रीय जांच ब्यूरो ने दिसंबर 2018 में हुडा और वोरा के खिलाफ पंचकुला में प्लॉट के फिर से आवंटन में कथित अनियमितताओं के संबंध में आरोप पत्र दायर किया, वोरा उस समय एजेएल के अध्यक्ष थे। पहला मामला 2015 में हरियाणा सरकार द्वारा दर्ज किया गया था और इस मामले को सीबीआई को स्थानांतरित कर दिया गया था। एजेंसी ने अपने आरोप-पत्र में तब दावा किया था कि एजेएल को प्लॉट का फिर से आवंटन करने से सरकारी खजाने को 67 लाख रुपये का नुकसान हुआ था।
ईडी ने 2016 में इस मामले में सीबीआई की प्राथमिकी के आधार पर मनी लॉन्ड्रिंग (धन शोधन) की आपराधिक शिकायत दर्ज की थी, जिसने हरियाणा की भाजपा सरकार के अनुरोध पर मामले की जांच अपने हाथ में ले ली थी, और हरियाणा सतर्कता ब्यूरो द्वारा आपराधिक एफआईआर दायर की गयी थी।
सीबीआई ने कहा था कि एजेएल को 1982 में पंचकूला में एक भूखंड आवंटित किया गया था, जिस पर 10 साल तक कोई निर्माण नहीं हुआ, जिसके बाद हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण ने भूखंड पर कब्जा कर लिया। हालाँकि, 2005 में, उसी प्लॉट को पुरानी दरों पर एजेएल को कथित रूप से मानदंडों का उल्लंघन कर फिर से आवंटित कर दिया गया। मुख्यमंत्री के रूप में, हुड्डा प्राधिकरण के पदेन अध्यक्ष थे।
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प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) भी मामले की जांच कर रहा था और इससे पहले पंचकुला में एजेएल को भूमि आवंटन में कथित अनियमितताओं के एक मामले में अपना आरोप- पत्र दायर किया था। पंचकुला और मुंबई में भूमि भवन ईडी द्वारा पहले से ही संलग्न किये जा चुके हैं[1]।
ईडी ने पहले एक बयान में आरोप लगाया था, “हुड्डा ने मई, 2008 से 10 मई, 2012 तक उक्त भूखंड में निर्माण के लिए तीन अनुचित अतिरिक्त समय (एक्सटेंशन) देकर एजेएल का समर्थन किया, जब तक कि 2014 में एजेएल ने निर्माण नहीं करा लिया।” एजेंसी ने आरोप लगाया कि हुड्डा ने एजेएल को “अपनी आधिकारिक स्थिति स्पष्ट दुरूपयोग करके” प्लॉट आवंटित किया।
हुड्डा ने मुख्यमंत्री के रूप में “बेईमानी से आवंटित किये गए उक्त प्लॉट को मूल कीमत और ब्याज पर एजेएल को पुन: आवंटन की आड़ में, आवश्यक शर्तों और 28 अगस्त 2005 के एचयूडीए (हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण) आदेश की नीतियों का उल्लंघन किया।” ईडी ने 2016 में इस मामले में सीबीआई की प्राथमिकी के आधार पर मनी लॉन्ड्रिंग (धन शोधन) की आपराधिक शिकायत दर्ज की थी, जिसने हरियाणा की भाजपा सरकार के अनुरोध पर मामले की जांच अपने हाथ में ले ली थी, और हरियाणा सतर्कता ब्यूरो द्वारा आपराधिक एफआईआर दायर की गयी थी।
संदर्भ:
[1] नेशनल हेराल्ड मामला: ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग (काले धन को वैध बनाने) के लिए मुंबई के बांद्रा पूर्व में 11-मंज़िला भवन को संलग्न किया – May 09, 2020, hindi.pgurus.com
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