सभी तब्लीगी विदेशी प्रचारकों ने भारत में आने के लिए वीजा मानदंडों का उल्लंघन किया। सभी ने खुद को पर्यटक बताया और सरकार ने ऐसे सभी विदेशी प्रचारकों को ब्लैकलिस्ट करने का फैसला किया है

तब्लीगी जमात का हुजूम गैरकानूनी था और उन धर्म प्रचारकों ने यात्रा के उद्देश्य के बारे में झूठ बोला था, जिन्हें स्थायी रूप से ब्लैकलिस्ट कर दिया गया

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तब्लीगी जमात का हुजूम गैरकानूनी था और उन धर्म प्रचारकों ने यात्रा के उद्देश्य के बारे में झूठ बोला था, जिन्हें स्थायी रूप से ब्लैकलिस्ट कर दिया गया
तब्लीगी जमात का हुजूम गैरकानूनी था और उन धर्म प्रचारकों ने यात्रा के उद्देश्य के बारे में झूठ बोला था, जिन्हें स्थायी रूप से ब्लैकलिस्ट कर दिया गया

तब्लीगी जमात के प्रचारकों द्वारा निजामुद्दीन मरकज़ में अवैध हुजूम (जमावट) के खुलासे ने पुष्टि की है कि इसी तरह का हुजूम देश के कई हिस्सों में हुआ था और सभी विदेशी इस्लामिक प्रचारकों ने आधारभूत वीजा मानदंडों का उल्लंघन किया था। इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) की ब्यूरो ऑफ इमिग्रेशन (आप्रवासन खुफिया एजेंसी) ने पाया है कि फरवरी और मार्च में एक साधारण पर्यटक वीजा पर लगभग 900 प्रचारक भारत आए थे। नियमों के अनुसार, उन्हें एक मिशनरी वीजा पर आना चाहिए था। वास्तव में, उन्हें एक आवेदन भरना होता है जो स्पष्ट रूप से उनसे पूछता है कि क्या वे भारत में धार्मिक कार्य करने जा रहे हैं। अमेरिका में, इस आवेदन पत्र को हर वीजा चाहने वाले को भरना पड़ता है। लेकिन निगरानी से बचने के लिए ये इस्लामिक प्रचारक पर्यटक के रूप में आये। उच्च पदस्थ अधिकारियों के अनुसार, सरकार ने भविष्य में इन सभी विदेशी इस्लामिक प्रचारकों को ब्लैकलिस्ट करने का निर्णय लिया है।

शीर्ष आईबी अधिकारी ने कहा – “अगर उन्होंने मिशनरी वीज़ा के तहत आवेदन किया होता, तो उनके भारतीय संपर्क सूत्र भी निगरानी में होते और मिशनरी वीज़ा आसानी से नहीं दिया जाता। इसलिए ये सभी लोग (लगभग 900 अब तक पहचाने गए) भारत में बड़ी चतुराई से पर्यटकों के रूप में आये।”

मुख्य रूप से ये प्रचारक दक्षिण पूर्वी देशों जैसे इंडोनेशिया, मलेशिया से आए थे। आईबी तेलंगाना के करीमनगर, मलप्पुरम और केरल के अन्य उत्तरी हिस्सों, इरोड, नागोर, तमिलनाडु के रामनाथपुरम और कर्नाटक के तटीय भागों में संभवत: बुलाई गई अन्य तब्लीगी सभाओं को अवलोकन (स्कैन) कर रही है। सरकार ने ऐसे तब्लीगी प्रचारकों का विवरण प्रस्तुत करने को कहा है जो फरवरी और मार्च के दौरान देश के सभी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों पर उतरे थे।

इस खबर को अंग्रेजी में यहाँ पढ़े।

भारत में, मूल रूप से तब्लीगी गतिविधियाँ ग्रामीण क्षेत्रों में इस्लाम के शिक्षण और प्रसार में शामिल थीं। इस्लाम का यह रूढ़िवादी संप्रदाय एजेंसियों के रडार के तहत है क्योंकि कई जिहादी कार्यकर्ता युवा पीढ़ी में एक कट्टरपंथी मानसिकता पैदा करने में शामिल हैं। हैदराबाद में तब्लीगी हुजूम में शामिल कई लोगों में कोविड-19 सकारात्मक परीक्षण मिला है और दिल्ली में, 20 से अधिक व्यक्तियों के परिणामों की प्रतीक्षा की जा रही है[1]

अधिकारियों के अनुसार, निजामुद्दीन मरकज स्थल से निकाले गए लोगों के परिणामों के इंतजार में अधिकारी अच्छी खबर की प्रतीक्षा में हैं। परीक्षण और 14 दिनों के संगरोध (क्वारंटाइन) के बाद, इन सभी विदेशी प्रचारकों को उनके देशों में भेज दिया जाएगा और उन्हें स्थायी रूप से आप्रवासन विभाग द्वारा ब्लैकलिस्ट कर दिया जाएगा। एजेंसियों का कहना है कि 5000 से अधिक भारतीय प्रचारक इन विदेशी प्रचारकों के संपर्क में आए हैं।

संदर्भ:

[1] Preachers came on tourist visa, face legal actionMar 21,2020, Times of India

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  1. त्वरित जानकारी के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद नमस्कार

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