सर्वोच्च न्यायालय के हस्तक्षेप के बाद, केंद्र कोविड से हुई मौतों पर 50,000 रुपये के मुआवजे के लिए सहमत हुआ। लगभग 2500 करोड़ रुपये अनुमानित लागत

केंद्र कोविड से मरने वालों के परिजनों को 50,000 रुपये का भुगतान करने के लिए सहमत हुआ!

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केंद्र कोविड से मरने वालों के परिजनों को 50,000 रुपये का भुगतान करने के लिए सहमत हुआ!
केंद्र कोविड से मरने वालों के परिजनों को 50,000 रुपये का भुगतान करने के लिए सहमत हुआ!

सर्वोच्च न्यायालय से केंद्र: एनडीएमए ने कोविड-19 से मरने वालों के परिवारों को 50,000 रुपये की अनुग्रह राशि की सिफारिश की

केंद्र ने बुधवार को सर्वोच्च न्यायालय को सूचित किया कि राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) ने सिफारिश की है कि कोविड-19 से मरने वालों के परिजनों को 50,000 रुपये दिए जाएं। एक हलफनामे में, केंद्र ने कहा कि कोविड-19 राहत कार्यों में शामिल होने या महामारी से निपटने की तैयारियों से जुड़ी गतिविधियों में शामिल होने के कारण वायरस से मरने वालों के परिजनों को भी अनुग्रह सहायता दी जाएगी।

वर्तमान में, लगभग 4,50,000 व्यक्तियों ने कोविड-19 के कारण दम तोड़ दिया है और प्रत्येक मृत्यु पर 50,000 रुपये के मुआवजे के हिसाब से सरकार का कुल अनुमान 2500 करोड़ रुपये है।

सरकार ने कहा कि अनुग्रह सहायता स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय और आईसीएमआर द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार मृत्यु के कारण को कोविड-19 के रूप में प्रमाणित किए जाने के तहत दी जाएगी। इसमें कहा गया है कि राज्यों द्वारा राज्य आपदा प्रतिक्रिया कोष (एसडीआरएफ) से अनुग्रह सहायता प्रदान की जाएगी।

न्यायमूर्ति शाह ने पीठ के लिए 66 पन्नों का फैसला लिखते हुए केंद्र को निर्देश दिया कि वह कोविड से होने वाली मौतों के लिए बीमा कवर मुहैया कराने संबंधी वित्त आयोग की सिफारिशों पर उचित कदम उठाए।

3 सितंबर को, शीर्ष न्यायालय ने कोविड-19 से मरने वालों के परिवारों को मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने के लिए दिशानिर्देश तैयार करने में देरी पर नाराजगी व्यक्त की थी। शीर्ष न्यायालय ने 30 जून के अपने फैसले में एनडीएमए को निर्देश दिया था कि वह छह सप्ताह के भीतर कोविड-19 के कारण मरने वाले व्यक्तियों के परिवार के सदस्यों को जीवन के नुकसान के लिए अनुग्रह सहायता के दिशा-निर्देशों की सिफारिश करे।

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30 जून को, न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली पीठ ने केंद्र सरकार को कोविड पीड़ितों को अनिवार्य अनुग्रह राशि प्रदान करने का आदेश दिया, जिसे सरकार ने कोविड के फैलने के साथ ही रद्द कर दिया था। पहले लॉकडाउन से पहले, एनडीएमए के दिशानिर्देशों के अनुसार, आपदा के कारण मौत घोषित होने पर चार लाख रुपये अनुग्रह राशि के रूप में दिए गए थे। लेकिन लॉकडाउन घोषित करने के बाद अनुग्रह राशि के प्रावधान को रद्द करने का आदेश जारी कर दिया गया।

प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाले राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) को कर्तव्य में लापरवाही के लिए सर्वोच्च न्यायालय से कड़ी आलोचना मिली। सर्वोच्च न्यायालय ने एनडीएमए को कोविड से मरने वालों के परिवारों को अनुग्रह मुआवजे के लिए छह सप्ताह में दिशानिर्देश जारी करने का निर्देश देते हुए कहा कि एनडीएमए अपने “अनिवार्य वैधानिक कर्तव्य” को “निभाने में विफल रहा” है।

शीर्ष न्यायालय ने आश्रितों को कल्याणकारी योजनाओं का लाभ प्राप्त करने में सक्षम बनाने के लिए “मृत्यु प्रमाण पत्र/ आधिकारिक दस्तावेजों में मृत्यु का सही कारण बताने जो कि “कोविड-19 के कारण मृत्यु'” है को जारी करने और इसमें सुधार के लिए दिशानिर्देशों को सरल बनाने के कदमों का भी आदेश दिया। न्यायमूर्ति एमआर शाह की उपस्थिति वाली पीठ ने हालांकि महामारी की “विशिष्टता और भयावहता और प्रभाव” पर ध्यान दिया और कहा कि वह अनुग्रह मुआवजे के रूप में चार लाख रुपये के भुगतान का आदेश नहीं दे सकती है, जिसे एनडीएमए द्वारा तय किया जाना चाहिए क्योंकि “रोकथाम, तैयारी, उपाय और निपटने पर एक साथ ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता थी, जो वित्तीय और तकनीकी दोनों संसाधनों को जुटाने के एक अलग क्रम की मांग करता है।”

पीठ ने मुआवजे की राशि तय करने से इनकार करते हुए कहा – “न्यायालय राहत प्रदान करने में सरकार द्वारा निर्धारित प्राथमिकताओं में हस्तक्षेप करने में बहुत धीमी साबित होंगी, जब तक कि यह पूरी तरह से एकपक्षीय न हो और/ या व्यापक जनहित में न हो। सरकार को नीतिगत निर्णय लेने/ प्राथमिकताएं तय करने के लिए स्वतंत्र होना चाहिए।“

पीठ ने कहा – “हम एनडीएमए को राहत के न्यूनतम मानकों को प्रदान करने के लिए पहले से अनुशंसित दिशानिर्देशों से ऊपर आपदा प्रबंधन अधिनियम (डीएमए) 2005 की धारा 12(iii) के तहत आपदा से प्रभावित व्यक्तियों को प्रदान की जाने वाली सहायता के न्यूनतम मानक का अनिवार्य रूप से कोविड-19 के कारण मरने वाले व्यक्तियों के परिवार के सदस्यों को जीवन के नुकसान के लिए अनुग्रह सहायता के लिए दिशानिर्देशों की सिफारिश करने का निर्देश देते हैं।”

न्यायमूर्ति शाह ने पीठ के लिए 66 पन्नों का फैसला लिखते हुए केंद्र को निर्देश दिया कि वह कोविड से होने वाली मौतों के लिए बीमा कवर मुहैया कराने संबंधी वित्त आयोग की सिफारिशों पर उचित कदम उठाए। यह निर्देश तब आया जब केंद्र ने कहा कि वर्तमान में एनडीएमए में राष्ट्रीय बीमा तंत्र से संबंधित कोई दिशानिर्देश/ नीति/ योजना नहीं है जिसका उपयोग कोविड के कारण आपदा से संबंधित मौतों के भुगतान के लिए किया जा सकता है।

शीर्ष न्यायालय का फैसला वकील रीपक कंसल और गौरव कुमार बंसल द्वारा दायर दो अलग-अलग याचिकाओं पर आया, याचिकाओं में केंद्र और राज्यों को अधिनियम के तहत प्रावधान के अनुसार कोरोनोवायरस पीड़ितों के परिवारों को 4 लाख रुपये का मुआवजा प्रदान करने का निर्देश दिए जाने की मांग की गई थी।

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