सीबीआई ने पश्चिम बंगाल पुलिस प्रमुख से राज्य में चुनाव के बाद हुई हिंसा के दौरान हुई हत्या, बलात्कार के मामलों का ब्योरा मांगा

पश्चिम बंगाल में चुनाव के बाद हुई हिंसा की सुनियोजित तरीके से जांच अब सीबीआई द्वारा की जाएगी!

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पश्चिम बंगाल में चुनाव के बाद हुई हिंसा की सुनियोजित तरीके से जांच अब सीबीआई द्वारा की जाएगी!
पश्चिम बंगाल में चुनाव के बाद हुई हिंसा की सुनियोजित तरीके से जांच अब सीबीआई द्वारा की जाएगी!

सीबीआई ने बंगाल पुलिस प्रमुख से चुनाव के बाद हुई हिंसा पर ब्योरा मांगा

कलकत्ता उच्च न्यायालय के आदेश के एक दिन बाद, केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने शुक्रवार को पश्चिम बंगाल के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) को राज्य में चुनाव के बाद हुई हिंसा के दौरान हत्या, हत्या के प्रयास और बलात्कार के सभी मामलों का विवरण प्रदान करने के लिए पत्र लिखा। सीबीआई ने उच्च न्यायालय के आदेश के अनुरूप डीजीपी से ऐसे मामलों का विवरण मांगा, आदेश में केंद्रीय जांच एजेंसी को हिंसा के दौरान हत्या, बलात्कार और महिलाओं के साथ अत्याचार से संबंधित मामलों को संभालने का निर्देश दिया गया था। पश्चिम बंगाल में आठ चरण के विधानसभा चुनाव में दो मई को तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की जीत के बाद हुई राजनीतिक हिंसा की जांच के लिए सीबीआई ने संयुक्त निदेशक रमनीश, अनुराग, विनीत विनायक और संपत मीणा की अध्यक्षता में चार टीमों का गठन किया है।

अधिकारियों ने बताया कि प्रत्येक टीम में एक उप महानिरीक्षक और देश भर से बुलाए गए करीब चार पुलिस अधीक्षकों सहित करीब सात सदस्य होंगे। समग्र जांच की निगरानी अतिरिक्त निदेशक अजय भटनागर करेंगे। कलकत्ता उच्च न्यायालय ने गुरुवार को पश्चिम बंगाल में चुनाव के बाद की हिंसा के दौरान कथित हत्याओं, बलात्कार और महिलाओं के खिलाफ अपराधों की सीबीआई जांच का आदेश दिया था।

पीठ सीबीआई और एसआईटी दोनों की जांच की निगरानी करेगी और उनसे छह सप्ताह के भीतर स्थिति रिपोर्ट अदालत को सौंपने को कहा है।

पांच-न्यायाधीशों की पीठ ने चुनावों, जिसमें सत्तारूढ़ टीएमसी ने भारी बहुमत से जीत हासिल की थी, के बाद हुई कथित हिंसा की घटनाओं की एक स्वतंत्र जांच की मांग करने वाली कई जनहित याचिकाओं पर सर्वसम्मति से फैसला सुनाते हुए अन्य सभी मामलों की जांच के लिए भी एक विशेष जांच दल (एसआईटी) के गठन का भी आदेश दिया। एसआईटी में सभी पश्चिम बंगाल कैडर के आईपीएस अधिकारी सुमन बाला साहू, सौमेन मित्रा और रणवीर कुमार शामिल होंगे। पीठ सीबीआई और एसआईटी दोनों की जांच की निगरानी करेगी और उनसे छह सप्ताह के भीतर स्थिति रिपोर्ट अदालत को सौंपने को कहा है।

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उच्च न्यायालय ने कहा कि एसआईटी के कामकाज की निगरानी उच्चतम न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश करेंगे जिसके लिए उनकी सहमति प्राप्त करने के बाद एक अलग आदेश पारित किया जाएगा। अपने फैसले में, पीठ ने कहा कि हत्या और बलात्कार जैसे जघन्य अपराधों की “एक स्वतंत्र संस्था द्वारा जांच की जानी चाहिए, जो कि इन परिस्थितियों में केवल केंद्रीय जांच ब्यूरो हो सकती है।” पीठ ने कहा कि राज्य कथित हत्या के कुछ मामलों में प्राथमिकी दर्ज तक करने में विफल रहा है।

अदालत ने अपने आदेश में कहा – “बल्कि हिंसा जो चुनावों और परिणामों की घोषणा के बाद भड़की थी, राज्यव्यापी थी। कई लोगों की हत्या हुई। महिलाओं के साथ बलात्कार किया गया। सत्तारूढ़ पार्टी का समर्थन नहीं करनेवाले कई लोगों के घर को ध्वस्त कर दिया गया था। उनकी अन्य संपत्तियों को क्षतिग्रस्त कर दिया गया था। उनके सामान को संपत्ति सहित लूट लिया गया था।” पीठ ने कहा कि ऐसे आरोप हैं कि शिकायतकर्ताओं को मामले वापस लेने की धमकी दी जा रही है और हत्या के कई मामलों को प्राथमिकी दर्ज किए बिना और कानून द्वारा स्थापित प्रक्रिया के अनुसार जांच किये बिना प्राकृतिक मौत के रूप में दावा किया जा रहा है।

यह देखते हुए कि पश्चिम बंगाल पुलिस ने निष्क्रियता के आरोपों का ठीक से जवाब नहीं दिया है और उन्हें गलत साबित करने की कोशिश की है, पीठ ने कहा – “निश्चित रूप से एक स्वतंत्र एजेंसी द्वारा जांच की आवश्यकता है।” पीठ ने कहा कि मामले को अदालत द्वारा उठाए जाने के बाद से तीन महीने बीत चुके हैं, लेकिन “राज्य द्वारा ऐसी कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है, जो हलफनामे दाखिल करने और हजारों कागजात रिकॉर्ड करने के अलावा विश्वास को जगा पाती।” पीठ ने पश्चिम बंगाल सरकार को अपराध के पीड़ितों को राज्य की नीति के अनुसार उचित सत्यापन के बाद मुआवजा देने का आदेश दिया। मुआवजा राशि सीधे उनके बैंक खातों में ट्रांसफर की जाएगी। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की समिति ने 13 जुलाई को अपनी अंतिम रिपोर्ट अदालत को सौंपी थी। पीगुरूज ने हाल ही में पूरे 50 पृष्ठों की एनएचआरसी रिपोर्ट प्रकाशित की थी, जिसमें विजेता तृणमूल कांग्रेस द्वारा चुनाव के बाद की गयी हिंसा को दर्शाया गया है।[1]

संदर्भ:

[1] राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) की समिति ने चुनाव के बाद हुई हिंसा को लेकर ममता सरकार पर आरोप लगाया हैJul 16, 2021, hindi.pgurus.com

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  1. […] के लिए पटाखों पर प्रतिबंध लगाने के कलकत्ता उच्च न्यायालय के आदेश को रद्द कर दिया। न्यायमूर्ति […]

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