नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) में बड़े-बाजार प्रवेश घोटाले (जिसे एल्गो ट्रेडिंग या सह-स्थान घोटाले के नाम से जाना जाता है) को केवल एक प्रक्रियात्मक चूक कहकर घृणित रूप से छुपाने के बाद, भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) अब मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) में “डेटा चोरी” की आपराधिक साजिश को प्रक्रियाओं के “अल्प” चूक के रूप में पारित करने की तैयारी कर रही है, ये बात पीगुरुस को पता चला है। इसके अलावा, एमसीएक्स में डेटा चोरी में साधन, मकसद और यहां तक कि एक प्रथम दृष्टया मामला भी है। लेकिन इसकी जांच में निष्कपटता और ईमानदारी की आवश्यकता है, पर जब बात एनएसई और एमसीएक्स की आती है तो सेबी में ये दोनों आवश्यकता मौजूद नहीं है।
इससे पहले कि मूर्खता और बेईमानी मामले की जांच को फीका कर दे केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को एमसीएक्स में घोटाले की सख्त जांच करनी चाहिए। अब तक, दो सबसे बड़े एक्सचेंजों एनएसई और एमसीएक्स में हुए घोटालों को अलग-थलग रूप से देखा जा रहा है, लेकिन विस्तृत जांच से पता चलेगा कि वे मिलकर एक पूर्ण चक्र हैं। सेबी और उसके सभी अच्छे जांचकर्ता को यह कभी नहीं भूलना चाहिए कि एनएसई और एमसीएक्स दोनों एक्सचेंजों में हुए घोटालों में एक ही साजिशकर्ता अजय शाह, उनकी पत्नी सुसान थॉमस और उनका पूरा नेटवर्क शामिल है। इसे महज संयोग कैसे कहा जा सकता है?
लेखा परीक्षकों ने बताया कि उक्त परियोजना के लिए साझा किए गए डेटा की आवश्यकता नहीं थी और परियोजना के लक्ष्यों को भी हासिल नहीं किया गया। अजय शाह और सुज़ैन थॉमस इससे कैसे बच रहे हैं? कौन उन्हें पनाह दे रहा है?
सेबी उसी रास्ते का अनुसरण करेगा जो उसने एनएसई मामले में अपनाया था यानी सतह को खंगालेगा और एमसीएक्स घोटाले की तह तक कभी नहीं पहुंचेगा। यह कहना कि एनएसई में किए गए उल्लंघन घोटाला नहीं बल्कि सिर्फ एक प्रक्रियागत चूक थी और अजय शाह, शीर्ष एनएसई अधिकारियों, उनके संरक्षण और शाह के परिवार और उनके नेटवर्क के व्यावसायिक हित के बीच के घिनौने सांठगांठ को नजरअंदाज करना एक क्रूर मजाक है।
कैसे एमसीएक्स में “डेटा चोरी” आपराधिक प्रक्रिया संहिता के तहत एक स्पष्ट आपराधिक मामला है
क्या एक एक्सचेंज से “डेटा चुराना“, एक बाज़ार ऐसा जहाँ रोज़ाना हज़ारों करोड़ रुपये का वित्तीय लेन-देन होता है, आपराधिक कृत्य नहीं है? अगर इस तरह की “डेटा चोरी” आपराधिक कृत्य नहीं है, तो इस देश में अपराध की परिभाषा क्या है? जैसे एनएसई में अजय शाह ने अनौपचारिक तौर पर कहीं सालों तक एक्सचेंज से महत्वपूर्ण डेटा प्राप्त करने में कामयाबी हासिल की, उनकी पत्नी सुसान थॉमस और उनके करीबी सहयोगी, चिराग आनंद, जो दिल्ली स्थित एलगो सॉफ्टवेयर पेशेवर हैं, को बिना किसी के जानकारी एमसीएक्स का डेटा “साक्षात्” मिला। यह स्पष्ट रूप से टीआर चड्ढा एंड कंपनी की अदालती परीक्षण खबर (फोरेंसिक ऑडिट रिपोर्ट) में इंगित किया गया है[1]।
लेखापरीक्षक (ऑडिटर) द्वारा पूछे जाने पर, सुसान थॉमस और पूर्व एमसीएक्स प्रबंध निदेशक मृगांक परांजपे ने कहा कि डेटा साझाकरण एक समझौते और अलग उपक्रम के आधार पर किया गया था। पीगुरुस को पता चला है कि डेटा के बंटवारे के लिए एमसीएक्स और सुज़ान थॉमस के बीच कोई समझौते नहीं हुए थे और जो कुछ भी समझौतों और “निजी उपक्रम” के बारे में अदालती लेखापरीक्षक (फोरेंसिक ऑडिटर) को बताया गया है वह केवल खुल्लम-खुल्ला झूठ है। कैसे? इस पर विचार करें: परीक्षण खबर (ऑडिट रिपोर्ट) में कहा गया है कि थॉमस और चिराग आनंद के साथ एमसीएक्स द्वारा थॉमस के माध्यम से साझा किया गया “लाइव डेटा” एक्सचेंज और आईजीआईडीआर के बीच दर्ज किए गए समझौते का हिस्सा नहीं था। इसके अलावा, ऑडिट रिपोर्ट कहती है कि चिराग आनंद के साथ साझा किया गया “लाइव डेटा” थॉमस और एमसीएक्स के बीच “अलग” और “निजी” उपक्रम पर आधारित था। एमसीएक्स के कानूनी विभाग के अधिकारियों ने लेखा परीक्षक से कहा कि न तो “समझौते” और न ही “निजी उपक्रम” उन्हें समीक्षा के लिए प्रस्तुत किया गया था। कोई भी अन्वेषक इससे क्या निष्कर्ष निकलेगा? क्या समझौता और उपक्रम पहले से मौजूद थे या वे “पूर्व दिनांकित (बैकडेट) ” तंत्र का उत्पादन थे? इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ डेवलपमेंटल रिसर्च, जहां थॉमस कर्मचारी था, को भी “अलग उपक्रम” के बारे में पता नहीं था। और क्या “विशेष उपक्रम?” किसने किसको इसके लिए अधिकार दिया[2]? आम बोली में, इसका क्या मतलब है? भगवान के लिए ये डेटा चोरी है! एक गंभीर आपराधिक साजिश है और प्रक्रियात्मक चूक नहीं। सेबी, खबरदार, सबकी नजर तुम पर है! प्रथमतः थॉमस के साथ एमसीएक्स द्वारा डेटा साझा करने की आवश्यकता किसी को नहीं पता। इसकी किसने मंजूरी किसने दी? लेखा परीक्षकों ने बताया कि उक्त परियोजना के लिए साझा किए गए डेटा की आवश्यकता नहीं थी और परियोजना के लक्ष्यों को भी हासिल नहीं किया गया। अजय शाह और सुज़ैन थॉमस इससे कैसे बच रहे हैं? कौन उन्हें पनाह दे रहा है?
सेबी ने पहले ही 1000 करोड़ रुपये से अधिक की असमान अपराध भुगतान राशि लगाकर एनएसई को पलायन का रास्ता दे दिया है।
सेबी आपराधिक मामलों की जांच नहीं कर सकता, उसके लिए सीबीआई की आवश्यकता है
अब सेबी कई एमसीएक्स बोर्ड के सदस्यों की सिफारिशों और अपने स्वयं के उच्च प्रशंसित ज्ञान के आधार पर, यह कहने जा रही है कि साझा किया गया डेटा असंगत था और उपयोग करने योग्य नहीं था या व्यापार के लिए कभी इस्तेमाल नहीं किया गया था। सेबी यह कैसे जानता है? क्या इस निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले इस संबंध में कोई उचित जांच की गई थी?
अदालती परीक्षण खबर (फोरेंसिक ऑडिट रिपोर्ट) में स्पष्ट रूप से बताया गया है कि “लाइव डेटा” क्या है और यदि इसे साझा किया गया तो क्या परिणाम होता है। क्या सुसान थॉमस या चिराग आनंद को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया? अदालती परीक्षण खबर (फोरेंसिक ऑडिट रिपोर्ट) आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 420 (धोखाधड़ी) 120 बी (आपराधिक साजिश) के तहत पहली सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) दर्ज करने के लिए पर्याप्त है। इसी तरह, एनएसई के मामले में, सेबी ने एक बार कहा था कि अजय शाह द्वारा धोखाधड़ी की गई थी, तो पूर्ण धोखाधड़ी की जांच और कैसे धोखाधड़ी की गई इस बात की पूरी छानबीन और पड़ताल क्यों नहीं की गई? उसी एनएसई मामले में जहां दोषपूर्ण प्रणालियों की बात आती है, सेबी का कहना है कि यह सिर्फ “प्रक्रियात्मक चूक थी। क्या यह “धोखाधड़ी या जानबूझकर चूक के लिए पूर्व-तैयार की गई प्रणाली नहीं हो सकती है?”
यह साबित करने के लिए प्रयाप्त साक्ष्य हैं कि इस “प्रणालीगत चूक” से “कुछ ” को लाभ हुआ। सेबी का तर्क “पूर्व-निर्धारित प्रणालीगत चूक मतलब धोखाधड़ी नहीं” यह घोटाले का अपरिष्कृत, विकृत और हास्यास्पद प्रतिनिधित्व है, जिसका अर्थ है कि “आदेश द्वारा हत्या” कोई अपराध नहीं है। सेबी ने एनएसई मामले में आपराधिक दृष्टिकोण को पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया है, इस तथ्य के बावजूद कि अजय शाह ने बिना किसी के जानकारी के सालों तक एनएसई से संवेदनशील डेटा प्राप्त किया था और उसे अपने परिवार के सदस्यों और एल्गो सॉफ्टवेयर डिजाइनिंग के चिराग आनंद जैसे घनिष्ट मित्रों को दिया था। वही कार्य-प्रणाली सुसान थॉमस द्वारा एमसीएक्स में अपनाया गया। यह एक खुला रहस्य है कि अजय शाह, नौकरशाह के पी कृष्णन और शीर्ष एनएसई अधिकारियों को अब जेल में बंद चिदंबरम द्वारा परिरक्षित किया गया था। एमसीएक्स में डेटा चोरी में साधन, मकसद और यहां तक कि एक प्रथम दृष्टया मामला भी मौजूद है। लेकिन इसकी जांच में निष्कपटता और ईमानदारी की आवश्यकता है, पर जब बात एनएसई और एमसीएक्स की आती है तो सेबी में ये दोनों आवश्यकता मौजूद नहीं है।
सेबी ने पहले ही 1000 करोड़ रुपये से अधिक की असमान अपराध भुगतान राशि लगाकर एनएसई को पलायन का रास्ता दे दिया है। अदालत में, गैर-कानूनी आचरण सिद्धांत एनएसई की अपील पर चलन में आएगा क्योंकि एक्सचेंज यह तर्क दे सकता है कि सेबी द्वारा लगाया जा रहा यह जुर्माना असंगत है क्योंकि नियामक ने आदेश में विशेष रूप से उल्लेख किया है कि कोई धोखाधड़ी नहीं हुई थी और यह केवल प्रक्रियात्मक चूक का मात्र संयोग था। सूत्रों ने पीगुरुस को बताया है कि एमसीएक्स के संबंध में सेबी में कुछ ऐसा ही कियाा जा रहा है। इसी तरह की सजा, अगर एमसीएक्स में किसी को दी जाती है, तो वह बहुत ही छोटा होगा। दिलचस्प बात यह है कि परांजपे पहले ही सेबी को बता चुके हैं कि उसने यह काम साफ़ नीयत से किया है और एक्सचेंज का बोर्ड भी उनका समर्थन कर रहा है। बेशक, उन्होंने साफ़ नीयत से काम किया, लेकिन किसके पक्ष में यह सवाल जांचकर्ताओं द्वारा पूछे जाने की आवश्यकता है।
शाह, थॉमस और उनके नेटवर्क के लोगों से भी कुछ कठिन सवाल पूछने की जरूरत है। हो सकता है कि उनके दल से कोई व्यक्ति इकबाली साक्षी बन जाए, अब जब सेबी ने यह प्रावधान बनाया है और सीबीआई के पास यह पहले से ही है।
क्रमागत…
सन्दर्भ :
[1] सेबी सह-स्थान का फैसला : बाध्यकारी साक्ष्य और न्याय का आघात – June 1, 2019, Hindi.PGurus.com
[2] MCX Data scandal: Tip of an iceberg or case closed for SEBI? May 15, 2019, PGurus.com
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