यूपी पुलिस ने पत्रकारिता की आड़ में काम करने वाले पीएफआई के कार्यालयी सचिव को पकड़ा

पत्रकारों और पीएफआई के बीच अधिक संदिग्ध संबंध और दंगों में उनकी भूमिका उजागर - केरल का पत्रकार गिरफ्तार!

2
1123
पत्रकारों और पीएफआई के बीच अधिक संदिग्ध संबंध और दंगों में उनकी भूमिका उजागर - केरल का पत्रकार गिरफ्तार!
पत्रकारों और पीएफआई के बीच अधिक संदिग्ध संबंध और दंगों में उनकी भूमिका उजागर - केरल का पत्रकार गिरफ्तार!

उत्तर प्रदेश पुलिस ने विवादास्पद इस्लाम-समर्थक संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया (पीएफआई) दिल्ली के कार्यालय सचिव सिद्दीक कप्पन को पकड़ा है, जो हाथरस में माहौल बिगाड़ने के लिए अन्य पीएफआई नेताओं के साथ एक पत्रकार के रूप में काम भी कर रहा था। हाल ही में पुलिस ने पीएफआई, एसडीपीआई (सोशलिस्ट डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया – लोगों को बेवकूफ बनाने के लिए एक बनावटी नाम) और वेलफेयर पार्टी (लोगों को बेवकूफ बनाने के लिए एक और बनावटी नाम) जैसे कई इस्लाम-समर्थक संगठनों से कई लोगों को गिरफ्तार किया था। ये संगठन कई क्षेत्रों में घुसपैठ किये हुए हैं और दिल्ली पुलिस भी दिल्ली दंगों में इनकी भूमिका की जांच कर रही है। इन सभी संगठनों के दिल्ली स्थित कार्यालय ओखला शाहीन बाग क्षेत्र में हैं।

सिद्दीक कप्पन, दिल्ली के शाहीन बाग में पीएफआई का कार्यालय सचिव है और केरल के एक समाचार पत्रतेजस‘ के पहचान पत्र का उपयोग करके खुद को पत्रकार की तरह दिखा रहा था। यह समाचार पत्र अब बंद पड़ा है और पीएफआई का ही एक अंग था। सिद्दीकी दिल्ली में पत्रकारिता की आड़ में एक पीएफआई एजेंट की दोहरी भूमिका निभा रहा था। वह केरल आधारित मीडिया संगठनों की ओर से दिल्ली में काम करने वाले पत्रकारों के संघ, केरल यूनियन ऑफ़ वर्किंग जर्नलिस्ट्स (केयूडब्ल्यूजे) का सचिव भी है। पीएफआई के तेजस अखबार को बंद करने के बाद, सिद्दीकी कुछ वेबसाइटों के लिए अपने पत्रकारिता नकाब का उपयोग स्तंभकार (कॉलमिस्ट) के रूप में कर रहा था।

एजेंसियों के लिए दिल्ली के शाहीन बाग इलाके में जमा कट्टरपंथी तत्वों को कुचलने का सही समय है, जहाँ इस्लाम-समर्थक तत्वों द्वारा औरतों और बच्चों का इस्तेमाल करके राष्ट्रीय राजमार्ग को 100 से अधिक दिनों तक बंधक सा बना कर रख दिया गया था।

यूपी पुलिस ने उसे अन्य पीएफआई कार्यकर्ताओं और पीएफआई के छात्र विंग (कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया) के नेताओं के साथ मथुरा के पास से गिरफ्तार किया। अब पत्रकार संघ केयूडब्ल्यूजे का दावा है कि सिद्दीक पत्रकार के रूप में अपना कर्तव्य पूरा कर रहा था। सवाल यह है कि एक राजनीतिक संगठन पीएफआई का कार्यालय सचिव एक पत्रकार होने का दावा कैसे कर सकता है। अपनी संदिग्ध गतिविधियों के लिए इस तरह के झूठे आवरण का दावा करके, कई क्षेत्रों में अपने कार्यकर्ताओं की घुसपैठ कराना ऐसे संगठनों की सामान्य चाल है।

इस खबर को अंग्रेजी में यहाँ पढ़े।

पीएफआई और उसके सहयोगी इस्लाम-समर्थक संगठन दिल्ली के शाहीन बाग क्षेत्र में काम कर रहे हैं और फरवरी 2020 में दिल्ली दंगों के मूल कारण ‘शाहीन बाग विरोध प्रदर्शन‘ में शामिल हैं। हाल ही में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और दिल्ली पुलिस ने पीएफआई के विशाल धन लेनदेन सुरागों को उजागर किया। पीएफआई से जुड़ा एक और संदिग्ध संगठन सैयद कासिम रसूल इलियास की अगुवाई वाली वेलफेयर पार्टी है। उसका बेटा उमर खालिद दिल्ली दंगों का आरोपी है। इलियास प्रतिबंधित कुख्यात सिमी (स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया) का संस्थापक नेता भी था। कई केरल-आधारित संगठन जैसे कि एसडीपीआई और एसआईओ, पीएफआई के साथ मिलकर कई नापाक गतिविधियों में शामिल हैं और पूरे भारत में कट्टरपंथी इस्लामी तत्वों को उकसा रहे हैं। योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने और इन संगठनों के साथ विवादास्पद डॉ कफील खान के संबंधों के सामने आने के बाद, उत्तर प्रदेश में कैसे कई इस्लामी संगठनों ने गुप्त गतिविधियां शुरू कर दीं, इस पर पीगुरूज ने विस्तृत लेख प्रकाशित किया था[1]

एजेंसियों के लिए दिल्ली के शाहीन बाग इलाके में जमा कट्टरपंथी तत्वों को कुचलने का सही समय है, जहाँ इस्लाम-समर्थक तत्वों द्वारा औरतों और बच्चों का इस्तेमाल करके राष्ट्रीय राजमार्ग को 100 से अधिक दिनों तक बंधक सा बना कर रख दिया गया था। ऐसे कई तत्व जामिया मिल्लिया विश्वविद्यालय क्षेत्र में भी इकट्ठे किए गए हैं। मीडिया में भी कई ऐसे हैं जो अनुकूल मीडिया कवरेज देने के लिए इन संगठनों से समर्थन और पैसा ले रहे हैं। जांच एजेंसियों को इन राष्ट्र-विरोधी तत्वों, जो मुस्लिम समुदाय में अशांति पैदा करना चाहते हैं, को कुचल देना चाहिए!

संदर्भ:

[1] Muslim organisations engaged in dubious PR campaign for Gorakhpur child death tragedy accused Dr. Kafeel Khan April 30, 2018, PGurus.com

2 COMMENTS

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.