एनडीटीवी के प्रणॉय रॉय के खिलाफ सीबीआई तीन साल से अधिक समय गुजर जाने के बाद भी आरोप-पत्र दाखिल क्यों नहीं कर रही है?

सीबीआई ने तेजी से मुखबिर (व्हिसलब्लोअर) के खिलाफ आरोप दर्ज किये, लेकिन 2 प्राथमिकी (एफआईआर) के बावजूद एनडीटीवी मालिकों प्रणॉय रॉय और राधिका रॉय के खिलाफ आरोप-पत्र दाखिल नहीं कर रही!

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सीबीआई ने तेजी से मुखबिर (व्हिसलब्लोअर) के खिलाफ आरोप दर्ज किये, लेकिन 2 प्राथमिकी (एफआईआर) के बावजूद एनडीटीवी मालिकों प्रणॉय रॉय और राधिका रॉय के खिलाफ आरोप-पत्र दाखिल नहीं कर रही!
सीबीआई ने तेजी से मुखबिर (व्हिसलब्लोअर) के खिलाफ आरोप दर्ज किये, लेकिन 2 प्राथमिकी (एफआईआर) के बावजूद एनडीटीवी मालिकों प्रणॉय रॉय और राधिका रॉय के खिलाफ आरोप-पत्र दाखिल नहीं कर रही!

केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने एनडीटीवी के संस्थापक प्रणॉय रॉय और उनकी पत्नी राधिका के खिलाफ पिछले साढ़े तीन साल से आरोप-पत्र दाखिल नहीं किया है। पहली प्राथमिकी (एफआईआर) आईसीआईसीआई बैंक ऋण धोखाधड़ी के लिए जून 2017 को दर्ज की गई थी और दूसरी प्राथमिकी अगस्त 2019 को दुनिया भर में निर्मित फर्जी (शेल) कंपनियों के माध्यम से काले धन को वैध बनाने के लिए दर्ज की गई थी। क्यों? यह सीबीआई द्वारा अपनी जांच के हालिया इतिहास में सबसे लंबा गैर-सक्रिय मामला होना चाहिए। क्या सरकार को कुछ बड़े व्यवसायियों (कॉर्पोरेट्स) ने प्रभावित किया, ताकि सरकार सीबीआई को प्रणॉय रॉय से एनडीटीवी की खरीद में चुप रहने के लिए मजबूर करे? स्टॉक एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (सेबी), प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), और आयकर (आईटी) द्वारा एनडीटीवी के खिलाफ शुरू की गई जांच का हश्र भी यही हुआ, जिन्होंने एनडीटीवी को नियंत्रित करने वाली शेल कंपनी के 30% शेयरों को पहले ही संलग्न कर दिया था।

पहले मामले की स्थिति:

5 जून, 2017 को, सीबीआई ने प्रणॉय रॉय और उनकी पत्नी राधिका के खिलाफ आईसीआईसीआई बैंक के ऋण धोखाधड़ी के लिए एफआईआर दर्ज की और उनके घरों पर छापे मारे। पति और पत्नी के स्वामित्व वाली शेल कंपनी को ऋण जारी किए गए थे। शेल कंपनी का नाम दिलचस्प है – आरआरपीआर होल्डिंग। आरआरपीआर का मतलब है राधिका रॉय प्रणॉय रॉय। पीगुरूज ने मामले के बारे में विस्तार से बताया है[1]। एनडीटीवी की आड़ में इस ऋण का उपयोग करते हुए, रॉय और उनकी पत्नी ने पैसे अपनी शेल कंपनी में लगाए और सीबीआई ने यह भी पाया कि रॉय दंपत्ति द्वारा दक्षिण अफ्रीका के केप टाउन में एक घर खरीदने के लिए 40 करोड़ रुपये खर्च किए गए थे। यह पता चला है कि वर्तमान आरोपी आईसीआईसीआई बैंक की सीईओ चंदा कोचर ने एजेंसियों के सामने कबूल कर लिया है कि प्रणॉय रॉय ने आईसीआईसीआई बैंक के तत्कालीन प्रमुख केवी कामथ की सहमति से लगभग 400 करोड़ रुपये का यह भारी ऋण प्राप्त किया था। ऐसा लगता है कि कामथ की भूमिका इस मामले में सीबीआई के लिए अवरोधक है और देरी से आरोप-पत्र दर्ज करने से रॉय और उनकी पत्नी को अदालत से आसानी से जमानत प्राप्त करने में मदद मिलेगी।

सीबीआई ठोस सबूत होने के बावजूद इन दो मामलों में आरोप-पत्र दाखिल क्यों नहीं कर रही है। पहली प्राथमिकी साढ़े तीन साल पहले और दूसरी प्राथमिकी एक साल पहले दर्ज की गई थी।

दूसरे मामले की स्थिति:

19 अगस्त, 2019 को, सीबीआई ने रॉय दंपत्ति और एनडीटीवी तत्कालीन वरिष्ठ पत्रकार और प्रबंधकीय पेशेवर विक्रम चंद्रा के खिलाफ दुनियाभर में 32 शेल कंपनियों के अवैध निर्माण और उनसे 1000 करोड़ रुपये से अधिक के लेन देन करने के लिए एक और प्राथमिकी दर्ज की। मीडिया संचालन की आड़ में टीवी चैनल द्वारा की जा रही इस बड़ी मनी लॉन्ड्रिंग (काले धन को सफेद करना) की जानकारी पीगुरूज ने दी है[2]

इस खबर को अंग्रेजी में यहाँ पढ़े।

यहां सवाल यह है कि सीबीआई ठोस सबूत होने के बावजूद इन दो मामलों में आरोप-पत्र दाखिल क्यों नहीं कर रही है। पहली प्राथमिकी साढ़े तीन साल पहले और दूसरी प्राथमिकी एक साल पहले दर्ज की गई थी। लेकिन एनडीटीवी व्हिसलब्लोअर और पूर्व आयकर आयुक्त संजय कुमार श्रीवास्तव (एसके श्रीवास्तव) के खिलाफ आरोप-पत्र दाखिल करने के लिए सीबीआई बहुत उत्सुक थी। यह एसके श्रीवास्तव थे जिन्होंने एनडीटीवी द्वारा दुनिया भर में आयकर के उल्लंघन और शेल कंपनियों के निर्माण का खुलासा किया था। पिछले साल, वित्त मंत्रालय ने श्रीवास्तव के खिलाफ पूरी तरह से फर्जी यौन शोषण मामले में उनकी सेवाओं को समाप्त करने के लिए शायद ही कभी इस्तेमाल किए गए प्रावधान (सेवा नियमों के 56जे) का इस्तेमाल किया था और बाद में उनके खिलाफ सीबीआई मामला दर्ज किया था। सीबीआई द्वारा श्रीवास्तव के अपील के प्रभारी आयकर आयुक्त के रूप में लिए गए कुछ निर्णयों का आरोप लगाते हुए एक मामले में उन्हें 75 दिनों से अधिक समय तक जेल में रखा गया था। किसी अधिकारी की सुनवाई के न्यायिक निर्णय इस तरह से कैसे लिए जा सकते हैं? अब श्रीवास्तव ने सीबीआई के आरोप-पत्र के खिलाफ इलाहाबाद उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है। लेकिन दिलचस्प बात यह है कि सीबीआई की लखनऊ डिवीजन ने एनडीटीवी के खिलाफ श्रीवास्तव की शिकायतों को “तथाकथित एनडीटीवी घोटाले” के रूप में उच्च न्यायालय में जवाब दिया।

यह रहस्यमय या दिलचस्प है कि सीबीआई की लखनऊ डिवीजन इसे “तथाकथित एनडीटीवी घोटाले” के रूप में कैसे कह सकती है, जबकि सीबीआई मुख्यालय ने एनडीटीवी के खिलाफ बैंक घोटाले और 1000 करोड़ रुपये से अधिक के मनी लॉन्ड्रिंग (काले धन को वैध बनाने) घोटाले के लिए दुनिया भर में 32 फर्जी कंपनियों का निर्माण करने हेतु दो एफआईआर दर्ज की थी। इन बातों से पता चलता है कि एजेंसी के अंदर का कोई व्यक्ति एनडीटीवी के खिलाफ मामलों को कमजोर करने की कोशिश कर रहा है। इसे और कैसे समझा जा सकता है?

संदर्भ:

[1] At last CBI catches up with Prannoy and Radhika Roy for ICICI bank fraud. ED to follow soonJun 5, 2017, PGurus.com

[2] सीबीआई ने प्रणॉय रॉय, पत्नी राधिका, विक्रम चंद्रा के खिलाफ फर्जी खोल कम्पनियां बनाकर नेताओं की काली कमाई को सफेद करने के लिए एफआईआर दर्ज की।Aug 22, 2019, hindi.pgurus.com

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