सेबी ने मान्यता प्राप्त निवेशकों के लिए ढांचा/ रूपरेखा पेश करने का फैसला किया, लेकिन टैक्स हेवन्स से गुप्त निवेशकों और पी-नोट संचालन पर पारदर्शिता लाने पर चुप है

सोता हुआ सेबी जाग गया लेकिन टैक्स हेवन (कर आश्रय) निवेश और पी-नोट्स पर अभी भी सोया हुआ है

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सोता हुआ सेबी जाग गया लेकिन टैक्स हेवन (कर आश्रय) निवेश और पी-नोट्स पर अभी भी सोया हुआ है
सोता हुआ सेबी जाग गया लेकिन टैक्स हेवन (कर आश्रय) निवेश और पी-नोट्स पर अभी भी सोया हुआ है

सेबी ने भारत में मान्यता प्राप्त निवेशकों के लिए रूपरेखा को मंजूरी दी

टैक्स हैवन (कर आश्रय) के माध्यम से बहु-अरब डॉलर के निवेशकों की पहचान रखते हुए और पार्टिसिपेटरी नोट्स (पी-नोट्स) धारकों की पहचान के बारे में कुछ नहीं करते हुए, स्टॉक एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (सेबी) ने मंगलवार को मध्यम स्तर के खिलाड़ियों यानी मान्यता प्राप्त निवेशकों के निर्माण के लिए एक रूपरेखा तैयार की है। समाचार एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक, सेबी ने मान्यता प्राप्त निवेशकों के लिए एक ढांचा पेश करने का फैसला किया, यह निवेशकों का एक वर्ग है जिसे भारतीय प्रतिभूति बाजार में निवेश उत्पादों के बारे में अच्छी तरह से सूचित किया जा सकता है।

सेबी के बोर्ड ने विचार-विमर्श के बाद मान्यता प्राप्त निवेशकों के लिए एक ढांचा पेश करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी। सेबी ने बोर्ड की बैठक के बाद एक बयान में कहा कि प्रस्तावित ढांचे के तहत, वित्तीय मानकों के आधार पर व्यक्ति, एचयूएफ, पारिवारिक ट्रस्ट, एकमात्र स्वामित्व, साझेदारी फर्म, ट्रस्ट और निकाय व्यवसायी निवेशकों की मान्यता के लिए पात्र होंगे। निवेशकों को मान्यता “मान्यता एजेंसियों” के माध्यम से दी जायेगी जैसे कि डिपॉजिटरी की सहायक कंपनियां और निर्दिष्ट स्टॉक एक्सचेंज, और कोई अन्य निर्दिष्ट संस्थान।[1]

यहां सवाल यह है कि यह मान्यता प्राप्त निवेशक प्रणाली पी-नोट्स और मॉरीशस या केमैन-आइलैंड्स जैसी टैक्स हेवन में पंजीकृत कंपनियों को कवर क्यों नहीं कर रही है? इनमें से किसी भी कंपनी ने सेबी को इन गैर-पारदर्शी कंपनियों के मालिकों का नाम घोषित नहीं किया है, जहां मॉरीशस में 30 या 40 शेल कंपनियों का एक ही पता है!

मान्यता प्राप्त निवेशक की अवधारणा निवेशकों और वित्तीय उत्पाद या सेवा प्रदाताओं को कई लाभ प्रदान कर सकती है, जैसे न्यूनतम निवेश राशि में लचीलापन, नियामक आवश्यकताओं में लचीलापन एवं छूट और विशेष रूप से मान्यता प्राप्त निवेशकों के लिए पेश किए गए उत्पादों/ सेवाओं तक पहुंच। मान्यता से जुड़े लाभों को सूचीबद्ध करते हुए, सेबी ने कहा कि मान्यता निवेशकों के पास वैकल्पिक निवेश निधि (एआईएफ) विनियमों और पोर्टफोलियो प्रबंधकों (पीएमएस) विनियमों में अनिवार्य न्यूनतम राशि से कम निवेश राशि के साथ निवेश उत्पादों में भाग लेने के लिए लचीलापन होना चाहिए।

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मान्यता प्राप्त निवेशकों के लिए एआईएफ, जहां प्रत्येक निवेशक न्यूनतम निवेश राशि 70 करोड़ रुपये का निवेश करता है, नियामक आवश्यकताओं जैसे पोर्टफोलियो विविधीकरण मानदंड, योजनाओं के शुभारंभ की शर्तों और एआईएफ के कार्यकाल के विस्तार से छूट प्राप्त कर सकता है। पंजीकृत पीएमएस प्रदाता के साथ न्यूनतम 10 करोड़ रुपये के निवेश वाले मान्यता प्राप्त निवेशक, गैर-सूचीबद्ध प्रतिभूतियों में निवेश के संबंध में नियामक आवश्यकता से छूट प्राप्त कर सकते हैं और पीएमएस प्रदाता के साथ द्विपक्षीय रूप से समझौता कर सकते हैं।

मान्यता प्राप्त निवेशक जो निवेश सलाहकारों के ग्राहक हैं, उनके पास द्विपक्षीय रूप से बातचीत की गई संविदात्मक शर्तों के माध्यम से निवेश सलाहकार को देय शुल्क की सीमा और भुगतान के तरीके निर्धारित करने का लचीलापन होगा।

पी-नोट्स को दायरे में क्यों नहीं लिया जा रहा है?

यहां सवाल यह है कि यह मान्यता प्राप्त निवेशक प्रणाली पी-नोट्स और मॉरीशस या केमैन-आइलैंड्स जैसी टैक्स हेवन में पंजीकृत कंपनियों को कवर क्यों नहीं कर रही है? इनमें से किसी भी कंपनी ने सेबी को इन गैर-पारदर्शी कंपनियों के मालिकों का नाम घोषित नहीं किया है, जहां मॉरीशस में 30 या 40 शेल कंपनियों का एक ही पता है! हाल ही में पीगुरूज ने बताया था कि मॉरीशस की 3 फर्जी कंपनियां जिन्होंने अडानी समूह के शेयरों में 45,000 रुपये से अधिक का निवेश किया है, इन सब का मॉरीशस में एक ही पता है।[2]

भारत के शेयर बाजार को संचालन में सबसे गैर-पारदर्शी माना जाता है, जिसे कुछ ऑपरेटरों द्वारा नियंत्रित किया जाता है। जब यशवंत सिन्हा वित्त मंत्री थे, तब एनडीए के पहले शासन के दौरान मॉरीशस आधारित मनी रूटिंग को मंजूरी दी गई थी। उनके दो बेटे और उनकी बेटियां बाद में मॉरीशस से जुड़ी कंपनियों में पाए गए। फिर जब पी चिदंबरम वित्त मंत्री बने तो कच्चे धन का यह सिलसिला और फला-फूला। हालांकि नरेंद्र मोदी सरकार ने चुनाव प्रचार के दौरान काले धन की रोकथाम के खिलाफ बात की थी, लेकिन उन्होंने टैक्स हेवन के माध्यम से इन विशाल धन शोधन कार्यों को नियंत्रित करने के लिए कुछ नहीं किया।

संदर्भ:

[1] Sebi to introduce framework for a new class of investors in IndiaJun 29, 2021, ET

[2] तीनों फर्मों, जिन्होंने गौतम अडानी की कंपनियों में 45,000 करोड़ रुपये का निवेश किया है उनका मॉरीशस में एक ही पता है। इन तीन फर्मों के मालिक कौन हैंJun 15, 2021, hindi.pgurus.com

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