लक्ष्मी विलास बैंक – डीबीएस विलयन लज्जाजनक है और इसकी जांच होनी चाहिए। सुब्रमण्यम स्वामी ने आरबीआई गवर्नर शक्ति कांत दास पर इस भ्रष्ट सौदे का आरोप लगाया!

स्वामी ने पीएम को पत्र लिखा और एलवीबी-डीबीएस विलयन सौदे में आरबीआई के अधिकारियों और गवर्नर के क्रियाकलापों की सीबीआई जांच का अनुरोध किया!

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स्वामी ने पीएम को पत्र लिखा और एलवीबी-डीबीएस विलयन सौदे में आरबीआई के अधिकारियों और गवर्नर के क्रियाकलापों की सीबीआई जांच का अनुरोध किया!
स्वामी ने पीएम को पत्र लिखा और एलवीबी-डीबीएस विलयन सौदे में आरबीआई के अधिकारियों और गवर्नर के क्रियाकलापों की सीबीआई जांच का अनुरोध किया!

आरबीआई ने शेयरधारकों और बॉन्डहोल्डर्स को प्रतिक्रिया देने के लिए समय दिए बिना विलय को मंजूरी दे दी!

सिंगापुर स्थित बैंक डीबीएस (डेवलपमेंट बैंक ऑफ सिंगापुर लिमिटेड) के साथ लक्ष्मी विलास बैंक (एलवीबी) के विलय को सबसे लज्जाजनक करार देते हुए, भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने एलवीबी की संपत्ति का फॉरेंसिक ऑडिट (न्यायिक लेखापरीक्षण) करने और गवर्नर शक्तिकांत दास सहित आरबीआई अधिकारियों की भूमिका की जांच की मांग की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे एक तीन पन्नों के विस्तृत पत्र में भाजपा नेता ने कहा कि लक्ष्मी विलास बैंक (एलवीबी) के शेयरधारकों को डीबीएस के साथ विलय योजना का जवाब देने के लिए सिर्फ 72 घंटे दिए गए और डीबीएस अपने ही देश में एवं विभिन्न अमेरिकी एजेन्सी रिपोर्टों द्वारा धन शोधन के आरोपों का सामना कर रही है।

स्वामी ने आरबीआई द्वारा शेयर धारकों और बॉन्डहोल्डर्स को प्रतिक्रिया देने के लिए समय दिए बिना 72 घंटों में विलय को मंजूरी दिये जाने के बारे में कहा – “एलवीबी, बैंकिंग के सभी आयामों में डीबीएस से लगभग 20 गुना बड़ा है। भारत में एलवीबी की शाखाएँ लगभग 550 हैं। 17 नवंबर, 2020 को कारोबारी घंटे खत्म होने पर आरबीआई ने समामेलन योजना का एक मसौदा तैयार किया, जिसके द्वारा एलवीबी की पूरी संपत्ति को डीबीएस बैंक को हस्तांतरित किया जाना था। परिसंपत्तियों के उपरोक्त हस्तांतरण के लिए डीबीएस को केवल एलवीबी की जमा राशि पर अधिकार था। आगे, मसौदा योजना में उल्लेखित किया गया कि एलवीबी के पूरे बांड और शेयरों को बट्टे खाते में (राइट ऑफ) डाल दिया जाएगा। अविश्वसनीय लग सकता है लेकिन यह अपने आप में एक घोटाला है।”

स्वामी ने यह भी कहा कि एक सिंगापुर स्थित बैंक को लक्ष्मी विलास बैंक के अधिग्रहण की अनुमति देना पूरी तरह से ‘आत्म निर्भर’ के सिद्धांतों के खिलाफ है और सुझाव दिया है कि पीएसयू बैंकों को देश भर में 550 से अधिक शाखाओं और 990 एटीएम वाले एलवीबी को अधिग्रहित करने के लिए कहा जाना चाहिए।

सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा कि इस सौदे में आरबीआई अधिकारियों के क्रियाकलापों की सीबीआई जांच का आदेश दिया जाना चाहिए और जांच खत्म होने तक गवर्नर को अनिश्चितकालीन अवकाश पर रखा जाना चाहिए। स्वामी ने कहा, “यह आश्चर्यजनक है कि आरबीआई ने हितधारकों से आपत्तियां तो मांगी थीं, जिसके लिए 20 नवंबर को कारोबारी घंटों तक का समय दिया गया था और प्रभावी रूप से जवाब देने के लिए 72 घंटे से भी कम समय दिया गया।” उन्होंने आरोप लगाया कि आरबीआई ने एलवीबी के शेयरधारकों और बॉन्डहोल्डर्स के हितों की अनदेखी करते हुए 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले के समान ही स्थिति तैयार की है। स्वामी ने यह भी कहा कि एक सिंगापुर स्थित बैंक को लक्ष्मी विलास बैंक के अधिग्रहण की अनुमति देना पूरी तरह से ‘आत्म निर्भर‘ के सिद्धांतों के खिलाफ है और सुझाव दिया है कि पीएसयू बैंकों को देश भर में 550 से अधिक शाखाओं और 990 एटीएम वाले एलवीबी को अधिग्रहित करने के लिए कहा जाना चाहिए। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि डीबीएस के प्रमुख शेयरधारक विभिन्न देशों में इस्लामिक बैंकिंग में शामिल हैं और कई अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों द्वारा मनी लॉन्ड्रिंग (काले धन को वैध बनाना) के आरोपों का सामना कर रहे हैं। सुब्रमण्यम स्वामी का विस्तृत पत्र इस लेख के नीचे प्रकाशित किया गया है।

इस खबर को अंग्रेजी में यहाँ पढ़े।

इससे पहले स्वामी ने विवादास्पद वित्त कंपनी इंडियाबुल्स द्वारा एलवीबी का अधिग्रहण किये जाने के कदम पर आपत्ति उठाई थी और आरबीआई ने शिकायतों की श्रृंखला के दबाव में प्रस्ताव को खारिज कर दिया था[1]। लक्ष्मी विलास बैंक का तमिलनाडु मुख्यालय संदिग्ध ऋणों के कारण भारी एनपीए संकट का सामना कर रहा था और कई शक्तिशाली समूहों की नजर में था। इंडियाबुल्स को संभावित अधिग्रहण आवेदक के रूप में माना जाता था लेकिन स्वामी की शिकायत के बाद यह कदम धराशायी हो गया और अब इंडियाबुल्स को ईडी जांच का सामना करना पड़ रहा है और इसके सीईओ समीर गहलौत अब लंदन में हैं[2]

स्वामी ने यह भी आरोप लगाया कि तमिलनाडु के आईएएस कैडर के आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम के भरोसेमंद अधिकारी हैं और उनका अतीत भ्रष्ट है। स्वामी ने कहा – “आरबीआई की स्वस्थ कार्यप्रणाली हमारे सरकार की उच्च प्राथमिकताओं में से एक होनी चाहिए और इसलिए वर्तमान आरबीआई गवर्नर को जांच पूरी होने तक अनिश्चितकालीन अवकाश पर भेज दिया जाना चाहिए। आरबीआई बोर्ड और सलाहकार समितियों का फिर से गठन किया जाना चाहिए।”

लक्ष्मी विलास बैंक और डीबीएस के विलय में अवैधताओं पर प्रधानमंत्री को लिखा सुब्रमण्यम स्वामी का पत्र:

Subramanian Swamy’s Letter to PM on LVB-DBS Merger by PGurus on Scribd

संदर्भ:

[1] सुब्रमण्यम स्वामी ने इंडिया बुल्स पर 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक के काले धन को वैध बनाने का आरोप लगाया। एसआईटी और विशेष लेखापरीक्षक द्वारा जांच की मांगJuly 28, 2019, hindi.pgurus.com

[2] Indiabulls boss in UK, says can’t join ED probe due to flight barMar 19, 2020, ToI

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