डिजिटल कर्ज के संबंध में आरबीआई ने जारी किये नए नियम, केवल रेगुलेटेड इकाई ही दे पाएगी अब लोन

डिजिटल ऐप द्वारा कर्ज लेने के बाद लोगों को उत्पीड़न ज्यादा बढ़ गया है। नतीजतन, आत्महत्या के मामलों में उछाल देखा गया है।

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डिजिटल कर्ज के संबंध में आरबीआई ने जारी किये नए नियम
डिजिटल कर्ज के संबंध में आरबीआई ने जारी किये नए नियम

डिजिटल कर्ज की धोखाधड़ी को रोकने के लिए आरबीआई के नए नियम

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने डिजिटल लेंडिंग (ऑनलाइन कर्ज की सुविधा) को नियंत्रित करने के लिए 10 अगस्त 2022 को नए नियम जारी किए। आरबीआई ने धोखाधड़ी और इस क्षेत्र में गैर-कानूनी गतिविधियों पर रोक लगाने के लिए ऐसा किया है। आरबीआई ने कहा है कि लोन जारी किया जाना और रिपेमेंट सिर्फ कर्ज लेने वाले और विनियमित इकाई के खातों के बीच होंगे।

इन दोनों के लेंडिंग सर्विस प्रोवाइडर या किसी थर्ड का कोई अकाउंट शामिल नहीं होगा। कर्ज लेने की प्रक्रिया के दौरान लेंडिंग सर्विस प्रोवाइडर को फीस या चार्जेस विनियमित इकाई देगी, कर्जदार नहीं।

आरबीआई ने कहा है कि कुछ नियमों को स्वीकार कर लिया गया है जबकि नियमों को सैद्धांतिक तौर पर माना गया है। आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास पहले ही कह चुके थे कि केंद्रीय बैंक जल्द ही इस संबंध में नए नियम लेकर आएगा। बकौल आरबीआई, इन प्लेटफॉर्म्स के लिए नियम लाना इसलिए जरूरी है क्योंकि इनमें से कई अवैध हैं और बिना किसी प्रमाणिकता के लोन दे रहे हैं।

आरबीआई ने कहा है कि डिजिटल ऐप द्वारा कर्ज लेने के बाद लोगों को उत्पीड़न ज्यादा बढ़ गया है। नतीजतन, आत्महत्या के मामलों में उछाल देखा गया है। गवर्नर शक्तिकांत दास ने इन्हीं परेशानियों को लेकर कहा था कि बहुत जल्द एक ऐसा फ्रेमवर्क लाया जाएगा जो कथित तौर पर डिजिटल प्लेटफॉर्म के जरिए लोन देने के संबंध में हमारे सामने आने वाली चुनौतियों का समाधान करेगा।

आरबीआई ने 2021 में डिजिटल कर्ज से जुड़े मुद्दों के अध्ययन और उसके संबंध में नियमों का सुझाव देने के लिए एक वर्किंग ग्रुप का गठन किया था। नवंबर में वर्किंग ग्रुप ने डिजिटल लेंडर के लिए सख्त नियमों के सुझाव दिये थे। इन सुझावों में हितधारकों के परामर्श से एक नोडल एजेंसी के जरिए वैरिफिकेशन प्रक्रिया शुरू करना शामिल था। साथ ही एक सेल्फ रेगुलेटरी ऑर्गनाइजेशन बनाने का भी सुझाव दिया गया था।

आरबीआई के मौजूदा नियमों के अनुसार, अगर कोई ग्राहक डिजिटल लोन के संबंध में कोई शिकायत करता है तो उसे अधिकतम 30 दिन के भीतर निपटाना होता है। अगर ऐसा नहीं होता तो ग्राहक रिजर्व बैंक एकीकृत लोकपाल योजना 7 के तहत शिकायत दर्ज कर सकता है।

[आईएएनएस इनपुट के साथ]

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