राजस्थान उच्च न्यायालय ने उदयपुर लक्ष्मी विलास होटल विनिवेश मामले में अरुण शौरी की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी। सीबीआई ने भी शौरी की दलीलों का समर्थन किया

शौरी के गिरफ्तारी वारंट पर राजस्थान हाईकोर्ट ने रोक लगाई!

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शौरी के गिरफ्तारी वारंट पर राजस्थान हाईकोर्ट ने रोक लगाई!
शौरी के गिरफ्तारी वारंट पर राजस्थान हाईकोर्ट ने रोक लगाई!

राजस्थान उच्च न्यायालय ने बुधवार को उदयपुर लक्ष्मी विलास होटल विनिवेश मामले में अरुण शौरी के खिलाफ एक ट्रायल कोर्ट (सुनवाई अदालत) द्वारा जारी गिरफ्तारी वारंट पर रोक लगा दी। कल उच्च न्यायालय ने, जोधपुर के ट्रायल कोर्ट को भारत होटल समूह की मालकिन ज्योत्सना सूरी को राहत देने वाली सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट के खिलाफ एक विवादास्पद आदेश पारित करने के लिए फटकार लगाई [1]

अरुण शौरी (79), जो अपने वकील प्रशांत भूषण के साथ ऑनलाइन प्रस्तुत हुए, ने विनिवेश की पूरी प्रक्रिया बताई, जिसे कानून मंत्रालय और केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 2001 में प्रधान मंत्री वाजपेयी के कार्यकाल के दौरान मंजूरी दी थी। शौरी ने व्यक्तिगत उपस्थिति से छूट का भी अनुरोध किया। शौरी और भूषण दोनों ने ट्रायल (सुनवाई) न्यायाधीश के आदेश में कई त्रुटियों को भी बताया। उन्होंने अपने बुढ़ापे की समस्याओं और अपनी बीमार पत्नी और बेटे की स्थिति के बारे में बताया। न्यायालय ने उन्हें 15 अक्टूबर से पहले कभी भी हाजिर होने का और गिरफ्तार न करने का आदेश देकर राहत प्रदान की [2]

यह अभी भी एक रहस्य है कि नरेंद्र मोदी के तहत सीबीआई ने वाजपेयी सरकार के मंत्रिमंडल के फैसले पर एक प्राथमिकी क्यों दर्ज की।

सीबीआई ने भी शौरी की दलीलों का समर्थन किया और ट्रायल जज के विवादास्पद आदेश में त्रुटियों को इंगित किया। यह ध्यान रखना दिलचस्प होगा कि प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के शासन में सीबीआई ने इस मामले को दर्ज किया और बाद में 2019 में इस मामले को बंद करने का फैसला किया। हालांकि, ट्रायल जज इस मामले को बंद करने के लिए सहमत नहीं हुए और अरुण शौरी और अन्य को गिरफ्तार करने का विवादास्पद आदेश पारित किया। न्यायाधीश ने होटल को जब्त करने का भी आदेश दिया।

इस खबर को अंग्रेजी में यहाँ पढ़े।

पीगुरूज ने विस्तृत रूप से विवरण दिया है कि यह मामला कैसे हुआ और कैसे सीबीआई ने आश्चर्यजनक रूप से 13 अगस्त 2014 को एक प्राथमिकी दर्ज की। यह अभी भी एक रहस्य है कि नरेंद्र मोदी के तहत सीबीआई ने वाजपेयी सरकार के मंत्रिमंडल के फैसले पर एक प्राथमिकी क्यों दर्ज की। कई लोगों का मानना है कि सीबीआई का यह संदिग्ध मामला मोदी और अरुण शौरी के बीच तनातनी का नतीजा था।
इस मामले की उत्पत्ति पर विस्तृत लेख यहाँ पढ़ा जा सकता है [3]

संदर्भ:

[1] राजस्थान उच्च न्यायालय ने उदयपुर के लक्ष्मी विलास होटल के विनिवेश मामले में अरुण शौरी और अन्य के खिलाफ विवादास्पद आदेश के लिए ट्रायल कोर्ट को फटकार लगाई!Sep 23, 2020, Hindi PGurus.com

[2] Laxmi Vilas Udaipur Disinvestment: Rajasthan HC stays arrest warrant issued against Arun Shourie, former Minister for DisinvestmentSep 24, 2020, BarAndBench.com

[3] नरेंद्र मोदी ने वाजपेयी मंत्रिमंडल द्वारा अनुमोदित होटल विनिवेश के लिए सीबीआई को अरुण शौरी के खिलाफ मामला दर्ज करने की अनुमति क्यों दी? Sep 19, 2020, Hindi PGurus.com

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