एमपीसी ने बीसीसीएल से अखबारों को बंद करने के फैसले की समीक्षा करने और अच्छी चीजों को बरकरार रखने का आग्रह किया!
टाइम ऑफ़ इंडिया समूह द्वारा पुणे मिरर और मुंबई मिरर अखबारों को अचानक बंद करने को अवैध करार देते हुए, मुंबई प्रेस क्लब (एमपीसी) ने टाइम्स ऑफ इंडिया के मालिक समीर जैन और विनीत जैन से इस फैसले की समीक्षा करने और मुख्य समूह कंपनी द्वारा हटाये गए सैकड़ों कर्मचारियों को काम देने का आग्रह किया। मुंबई प्रेस क्लब ने बताया कि टाइम्स ऑफ इंडिया समूह को नियंत्रित करने वाले बेनेट एंड कोलमैन कंपनी लिमिटेड (बीसीसीएल), जिसके मालिक जैन भाई हैं, का वार्षिक राजस्व औसतन 12,000 करोड़ रुपये (1.5 बिलियन डॉलर) से अधिक का है और वे प्रति वर्ष लाभ के रूप में लगभग 30 प्रतिशत प्राप्त करते हैं। प्रेस क्लब ने बताया कि कर्मचारियों और पत्रकारों की मेहनत से अर्जित किए गए इन भारी मुनाफे को कोविड-19 महामारी संकट के नाम पर नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।
“बीसीसीएल द्वारा समाचार पत्रों को बंद करने के लिए दिए गए कारणों में से एक आर्थिक मंदी है जो कोविड-19 महामारी और अखबारी कागज की कीमतों में वृद्धि के साथ आई है। बीसीसीएल देश का सबसे बड़ा और सबसे अधिक लाभदायक मीडिया हाउस है, जिसका वार्षिक राजस्व $1.5 बिलियन है और इसे पिछले वर्षों में निवेश (आरओआई) पर औसतन 30% से अधिक रिटर्न मिला है। सभी व्यवसायों के अपने उतार-चढ़ाव होते हैं। यदि आपने अच्छा मुनाफा कमाया है, तो कई बार ऐसा भी होता है कि आपको नुकसान भी उठाना पड़ता है। महामारी में नुकसान को कम करते हुए अर्थव्यवस्था और व्यवसायों को देखा जा सकता है। एक छोटी सी बचत के लिए कंपनी द्वारा इस तरह के एक शक्तिशाली शहरी ब्रांड और इतने सारे कर्मचारियों की नौकरियों का बलिदान करना सही नहीं है। हम बीसीसीएल से अखबार को बंद के अपने फैसले की समीक्षा करने और अच्छी चीजों को बरकरार रखने का आग्रह किया।
मीडिया क्षेत्र के कई लोगों का कहना है कि अहमदाबाद मिरर को गुजरात के एक प्रकाशक को बेच दिया गया है। पत्रकारों ने जैन बंधुओं पर अखबार को अचानक बंद करने में कई नियमों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया हैं।
मुंबई प्रेस क्लब ने एक बयान में कहा – “मुंबई प्रेस क्लब ने कानून के उल्लंघन और अखबारों के होने से दाव पर लगने वाली नौकरियों पर भी अपनी गहरी चिंता व्यक्त की। औद्योगिक विवाद अधिनियम, 1948 की धारा 25(ओ) और 25(एफ) के तहत विभागों और कंपनियों के बंद होने से पहले सरकार की पूर्व अनुमति की आवश्यकता होती है। इसके अलावा, मिरर बीसीसीएल की एक सहयोगी संस्था है और हम मांग करते हैं कि इन प्रकाशनों के सभी कर्मचारियों की नौकरियों और पदों को समान कार्यविधि वाली कंपनी में समायोजित किया जाए। यह कर्मचारियों को बेसहारा छोड़ने का समय नहीं है और बीसीसीएल को एक मानवीय पक्ष के साथ व्यापार करके अपनी नेतृत्व क्षमता दिखाना होगा।”
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पुणे मिरर को बंद करते हुए, टाइम ऑफ़ इंडिया समूह ने कहा कि मुंबई मिरर को एक साप्ताहिक अखबार में परिवर्तित किया जाएगा। कई पत्रकारों के अनुसार, मुंबई और पुणे के मिरर अखबारों को कोविड-19 महामारी के कारण राजस्व की कमी का सामना करना पड़ा और यही जैन बंधुओं के इस ‘क्रूर निर्णय’ के पीछे का कारण है। जबकि, बैंगलोर मिरर और अहमदाबाद मिरर अभी भी चल रहे हैं। मीडिया क्षेत्र के कई लोगों का कहना है कि अहमदाबाद मिरर को गुजरात के एक प्रकाशक को बेच दिया गया है। पत्रकारों ने जैन बंधुओं पर अखबार को अचानक बंद करने में कई नियमों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया हैं।
पिछले साल भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के समक्ष समीर और विनीत जैन द्वारा नियंत्रित टाइम्स ऑफ इंडिया समूह द्वारा की गयी 25,000 करोड़ रुपये से अधिक की कर चोरी और मनी लॉन्ड्रिंग (काले धन को वैध बनाना) के बारे में 26 पन्नों की विस्तृत शिकायत दर्ज की थी। स्वामी ने बताया था कि टाइम्स ऑफ इंडिया समूह की मालकियत वाली कंपनी बेनेट और कोलमैन कंपनी लिमिटेड (बीसीसीएल) को आठ शेल (फर्जी) कंपनियों के माध्यम से नियंत्रित किया जाता है और ये आठों कंपनियां एक ही पते पर स्थित हैं।
ये सभी आठ शेल कंपनियों में भारत निधि लिमिटेड, केमैक कमर्शियल कंपनी लिमिटेड, पीएनबी फाइनेंस एंड इंडस्ट्रीज लिमिटेड, साहू जैन लिमिटेड, अशोका मार्केटिंग लिमिटेड, अशोका विनियोग लिमिटेड, अर्थ उद्योग लिमिटेड, कंबाईन होल्डिंग लिमिटेड स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध हैं। स्वामी ने कहा, “बीसीसीएल और बेनेट प्रॉपर्टी होल्डिंग कंपनी लिमिटेड (बीपीएचसीएल) का सामान्य नियंत्रण और स्वामित्व स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध आठ कंपनियों के पास है, जो गैर-कार्यात्मक हैं और इन्हें विशिष्ट रूप से सूचीबद्ध कंपनियों (ईएलसी) के रूप में जाना जाता है।” उन्होंने यह भी कहा कि इन सभी कंपनियों में प्रमुख शेयरधारक जैन परिवार के सदस्य हैं और इनका पता भी टाइम्स ऑफ इंडिया अखबार के समान ही है। विस्तृत शिकायत यहां प्रकाशित की गई है[1]।
संदर्भ:
[1] सुब्रमण्यम स्वामी ने टाइम्स ऑफ इंडिया समूह में भारी कर उल्लंघन और धन शोधन के मामले में आयकर, ईडी, सीबीआई, सेबी और एसएफआईओ द्वारा जांच का आग्रह किया – Dec 26, 2019, hindi.pgurus.com
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