क्या एकनाथ बन पाएंगे शिवसेना के एक नाथ!
महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे ने उद्धव ठाकरे को एक और झटका दिया है। शिंदे ने शिवसेना के पार्टी के केंद्रीय कार्यालय का पता बदलकर ठाणे के आनंद आश्रम में कर दिया है। जबकि उद्धव गुट वाले शिवसेना का केंद्रीय कार्यालय मुंबई के दादर में स्थित है। बता दें कि ठाणे को एकनाथ शिंदे का गढ़ माना जाता है। यशवंत जाधव, जो शिंदे गुट से आते हैं, उन्हें मुंबई में पार्टी का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। उनके नियुक्ति पत्र पर ही पार्टी के केंद्रीय कार्यालय का पता ठाणे लिखा है।
दरअसल, महाराष्ट्र में अघाड़ी सरकार गिराने के बाद सीएम शिंदे शिवसेना पर अपना अधिकार जता रहे हैं। शिंदे के मुताबिक वो सभी विधायक उनके साथ हैं, जिन्होंने उद्धव ठाकरे के खिलाफ बगावत कर दी थी। महाराष्ट्र में सरकार बनाने के बाद एकनाथ शिंदे ने शिवसेना पर दावा किया था। इसको लेकर उन्होंने चुनाव आयोग को लेटर भी लिखा है। हालांकि उद्धव गुट की तरफ से पहले ही चुनाव आयोग को लेटर भेज दिया गया था।
शिवसेना किसकी है? शिंदे और ठाकरे गुट के बीच मचे घमासान का मामले की सुनवाई सर्वोच्च न्यायालय में चल रही है। 3 अगस्त को इस मामले पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने शिंदे गुट पर टिप्पणी करते हुए था कि हमने 10 दिन के लिए सुनवाई क्या टाली, आपने (शिंदे) सरकार बना ली। कोर्ट ने आगे कहा कि जब तक ये मामला सर्वोच्च न्यायालय में लंबित है, तब तक चुनाव आयोग कोई फैसला न ले।
सर्वोच्च न्यायालय में सुनवाई के दौरान सीजेआई एनवी रमना, जस्टिस कृष्णा मुरारी और जस्टिस हिमा कोहली ने 8 सवाल तैयार किए थे, जिसके आधार पर संविधान पीठ फैसला करेगी कि शिवसेना किसकी है। सर्वोच्च न्यायालय ने चुनाव आयोग से कहा था कि वह पार्टी सिंबल विवाद पर गुरुवार तक फैसला ना ले।
4 अगस्त को इस मामले पर अगली सुनवाई हुई। तब सर्वोच्च न्यायालय ने कहा- जब तक ये मामला सर्वोच्च न्यायालय में लंबित है, तब तक चुनाव आयोग कोई फैसला न लें। 23 अगस्त को इस मामले में अगली सुनवाई के दौरान सर्वोच्च न्यायालय में मामला संविधान पीठ को ट्रांसफर किया।
पिछली सुनवाई के दौरान मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा था कि हमारे ऊपर अयोग्यता का आरोप गलत लगाया गया है। हम अभी भी शिवसैनिक हैं। उधर, सर्वोच्च न्यायालय में उद्धव ठाकरे गुट की ओर से वकील कपिल सिब्बल ने कहा था कि शिंदे गुट में जाने वाले विधायक संविधान की 10वीं अनुसूची के तहत अयोग्यता से तभी बच सकते हैं, अगर वो अलग हुए गुट का किसी अन्य पार्टी में विलय कर देते हैं। उन्होंने कहा था कि उनके बचाव का कोई दूसरा रास्ता नहीं है।
[आईएएनएस इनपुट के साथ]
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