ईडी ने पीएमएलए के तहत एआईआईपीएल और आईएआईटी के बैंक खाते संलग्न किया है!
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मंगलवार को बहुराष्ट्रीय गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) की भारतीय इकाई, एमनेस्टी इंटरनेशनल (इंडिया) की दो संस्थाओं के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग (काले धन को वैध बनाना) मामले के सिलसिले में 17 करोड़ रुपये से अधिक की बैंक जमा राशि को कुर्क किया। एजेंसी ने एक बयान में कहा कि “एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (एआईआईपीएल) और भारतीयों के एमनेस्टी इंटरनेशनल ट्रस्ट (आईएआईटी) के बैंक खातों को संलग्न करने वाले धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत एक अनंतिम आदेश जारी किया गया है”।
ईडी ने कहा, “दोनों संस्थाओं ने अपराधिक आय अर्जित की है और वो आय विभिन्न चल संपत्तियों के रूप में है। इस आदेश में आपराधिक आय की 17.66 करोड़ रुपये की चल संपत्ति शामिल की गयी है।” ईडी द्वारा कुर्की कागजी कीमत पर आधारित है और वास्तविक कीमत लगभग 50 करोड़ रुपये से अधिक होने की उम्मीद है।
एजेंसी ने कहा कि एमनेस्टी इंटरनेशनल, यूके ने सेवाओं के निर्यात और विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआई) की आड़ में एआईआईपीएल को 51.72 करोड़ रुपये भेजे।
हाल ही में पीगुरूज ने बताया था कि कैसे भारत में एमनेस्टी प्रभावशाली पत्रकारों और वाम पैरवीकारों के समूहों की आड़ में चल रहा है[1]।
ईडी का यह मनी लॉन्ड्रिंग मामला एआईआईपीएल, आईएआईटी, एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया फाउंडेशन ट्रस्ट (एआईआईएफटी) और एमनेस्टी इंटरनेशनल साउथ एशिया फाउंडेशन (एआईएसएएफ) के खिलाफ दायर केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की प्राथमिकी पर आधारित है, जिसे विभिन्न धाराओं के तहत दायर किया गया था, जिनमें विदेशी योगदान विनियमन अधिनियम (एफसीआरए) और भारतीय दंड संहिता (120-बी जो आपराधिक षणयंत्र के लिए है) धाराएँ शामिल हैं।
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ईडी ने एक बयान में कहा, “एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया फाउंडेशन ट्रस्ट (एआईआईएफटी) को एमनेस्टी इंटरनेशनल यूके से विदेशी योगदान प्राप्त करने के लिए 2011-12 के दौरान एफसीआरए के तहत अनुमति दी गई थी।” एजेन्सी ने कहा – “चूंकि वर्ष 2011-12 के दौरान सुरक्षा एजेंसियों से प्राप्त प्रतिकूल जानकारी के आधार पर उक्त इकाई को अनुमति/ पंजीकरण से इनकार किया गया, इसीलिए एआईआईपीएल और आईएआईटी का गठन एफसीआरए मार्ग से बचने और सेवा निर्यात एवं एफडीआई की आड़ में एनजीओ गतिविधियों को अंजाम देने के लिए क्रमशः 2013-14 और 2012-13 में किया गया था।”
ईडी ने कहा – एक जांच में पाया गया कि केंद्र सरकार द्वारा एफसीआरए लाइसेंस रद्द करने पर, एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया फाउंडेशन ट्रस्ट और एमनेस्टी संस्थाओं ने विदेशों से पैसा प्राप्त करने के लिए “नई विधि” को अपनाया। एजेंसी ने कहा कि एमनेस्टी इंटरनेशनल, यूके ने सेवाओं के निर्यात और विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआई) की आड़ में एआईआईपीएल को 51.72 करोड़ रुपये भेजे।
“एमनेस्टी इंटरनेशनल यूके को निर्यात आय/ अग्रिम भुगतानों के लिए, कोई दस्तावेजी प्रमाण नहीं था, जैसे कि एआईआईपीएल और एमनेस्टी इंटरनेशनल यूके के बीच लेनदेन के बिल और समझौते की प्रतियां, जो प्राधिकृत डीलर बैंकों को एआईआईपीएल द्वारा दिये गए हों।
ईडी ने कहा – “प्रथम दृष्टया में पाया गया है कि, एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड और अन्य ने सेवाओं और एफडीआई की आड़ में एमनेस्टी इंटरनेशनल (यूके) से 51.72 करोड़ रुपये का विदेशी दान प्राप्त किया, जिसका स्रोत व्यक्तिगत दाताओं द्वारा किया गया दान है।” एजेंसी ने हाल ही में इस मामले में कुछ संपत्तियों को कुर्क किया है और कुल कुर्क संपत्ति का मूल्य अब 19.54 करोड़ रुपये है।
संदर्भ:
[1] पत्रकारों और कार्यकर्ताओं का उपयोग करते हुए भारत में एमनेस्टी इंटरनेशनल की गुप्त गतिविधियाँ – Oct 04, 2020, hindi.pgurus.com
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