सतर्कता रिपोर्ट के अनुसार, जांच अधिकारी को सुनंदा के होटल के कमरे से चादर, शय्यावरण और कुछ खाने का सामान, जमा करने की अनुमति 10 महीनों बाद दी गयी
सुनंदा पुष्कर के रहस्यमय हत्याकांड ने एक नया मोड़ लिया है क्योंकि भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने बुधवार को विचारण न्यायालय में एक याचिका दर्ज की। इस याचिका में उन्होनें पहली जाँच टीम द्वारा किये गए उल्लंघन का पर्दाफाश करनेवाली दिल्ली पुलिस सतर्कता रिपोर्ट को पेश करने की मांग की है। अतिरिक्त मुख्य महानगर न्यायाधीश समर विशाल ने याचिका की सुनवाई 5 जून को तय की है, इसी दिन न्यायालय दिल्ली पुलिस के आरोप-पत्र को, जिसमें सुनंदा के पति शशि थरूर को आरोपी बनाया गया है, संज्ञान में लेगा, ये अपेक्षा है।
यह पता चला है कि पहली जाँच टीम के कई अधिकारियों ने जांच दल को बताया कि वे विवेक गोगीया, जो यूपीए सरकार के कार्यकाल में दिल्ली पुलिस में सर्वाधिकारी थे, के आदेशानुसार चलने के लिए मजबूर थे।
डॉ. स्वामी ने अपनी याचिका [1] में दिल्ली पुलिस सतर्कता रिपोर्ट, जिसमें संयुक्त आयुक्त विवेक गोगीया की अध्यक्षता में पहली जाँच टीम द्वारा किये गये उल्लंघनों एवँ त्रुटियों का खुलासा किया है, पर मीडिया रिपोर्टों को उद्धृत किया। अपनी याचिका में डॉ. स्वामी ने कहा कि न्यायालय को सतर्कता रिपोर्ट मंगवाना चाहिए ताकि पूर्णतः न्याय किया जा सके।
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, सतर्कता रिपोर्ट में विवेक गोगीया की अध्यक्षता में पहली जाँच टीम द्वारा 10 से अधिक किए गए घोर उल्लंघनों की सूची है। यह पता चला है कि रिपोर्ट ने, सुनंदा के रहस्यमय हत्याकांड में गंभीर खामियों के लिए उन्हें दोषी पाया है।
सतर्कता रिपोर्ट के अनुसार , जांच अधिकारी को सुनंदा के होटल के कमरे से चादर, शय्यावरण और कुछ खाने का सामान, जमा करने की अनुमति 10 महीनों बाद दी गयी। सुनंदा के मोबाइल फोनों एवँ लैपटॉप को उनके पुत्र शिव मेनन, अंतिमसंस्कार के पश्चात, दुबई लेकर गए। दिल्ली पुलिस ने उनके लैपटॉप को जनवरी 25 को और तीन ब्लैकबेरी फोनों को जनवरी 30 को जप्त किया। इन चीजों को शशि थरूर के सलाहकार शिव कुमार प्रसाद ने दिल्ली पुलिस को सौंप दिया। उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि सतर्कता रिपोर्ट में इसे पांच कमियों में से एक कहा गया है क्योंकि सुनंदा के फोन से कुछ डेटा मिटा दिया गया। रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि फोनों को संयुक्त आयुक्त विवेक गोगीया ने स्वयं शशि थरूर को सौंप दिया और वो भी मृत्यु के अगले दिन ही।
सतर्कता रिपोर्ट में बताए गए प्रमुख कमियों में से एक यह है कि विशेष जांच टीम अभी तक यह निर्धारित नहीं कर पायी कि अलप्रेक्स टैबलेट [2] कहाँ से आईं! जाँच टीम ने अपराध स्थल से जप्त किए अलप्रेक्स टैबलेट को अब तक अलप्रेक्स टैबलेट के वर्ग संख्या से मेल नहीं किया!
यह पता चला है कि पहली जाँच टीम के कई अधिकारियों ने जांच दल को बताया कि वे विवेक गोगीया, जो यूपीए सरकार के कार्यकाल में दिल्ली पुलिस में सर्वाधिकारी थे, के आदेशानुसार चलने के लिए मजबूर थे। ऑल इंडिया इन्स्टिटय़ूट ऑफ मेडिकल सायन्स (एम्स) द्वारा कई बार याद दिलाने के बावजूद दिल्ली पुलिस ने चादर एवँ तकिया के खोल को नवम्बर 2014 से पहले नहीं सौंपा [3]।
“पुलिस आयुक्त ने पहली जाँच में की गयी त्रुटियों की सतर्कता जाँच का आदेश दिया। इस बात की सराहना करनी चाहिए क्योंकि कोई पुलिस आयुक्त अपने ही लोगों की सर्तकता जाँच नहीं कराते”- स्वामी जी ने पूर्व आयुक्त एवँ वर्तमान सीबीआई अध्यक्ष द्वारा की गई सतर्कता जाँच को लेकर अपनी याचिका में कहा।
स्वामी जी ने दिल्ली पुलिस की सतर्कता रिपोर्ट को पेश करने की मांग करते हुए कहा कि “बड़ी मर्यादा के साथ हमारा कहना है कि यदि इस आदरणीय न्यायालय ने सतर्कता रिपोर्ट में बताई गयी त्रुटियों का परीक्षण किया, कि यदि जाँच एजेंसी (दिल्ली पुलिस) ने आरोप-पत्र दर्ज करने से पहले इन त्रुटियों पर गौर किया, तब ही न्याय करने के लिए षड्यंत्र एवँ अन्य दृष्टिकोणों पर अधिक जाँच की जा सकती है। आरोप-पत्र दर्ज करना केवल एक सामान्य दस्तावेज़ नहीं है बल्कि संपूर्ण जाँच के पश्चात ही दाखिल किया जाना चाहिए”।
संदर्भ:
[1] Vigilance points to serious lapses in Sunanda probe – May 29, 2018, PGurus.com
[2] Alprax, prescribed for Shashi Tharoor found in Sunanda’s mouth? May 10, 2017, PGurus.com
[3] Shashi Tharoor tried all tricks to fool AIIMS doctors during the post-mortem of Sunanda – May 28, 2017, PGurus.com
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