आत्मनिर्भर भारत की ओर सरकार का एक कदम!
देश की मानचित्रण नीति में एक बड़े नीतिगत सुधार में, भारत सरकार ने सोमवार को भू-स्थानिक डेटा के अधिग्रहण और उत्पादन को नियंत्रित करने वाले मानदंडों के उदारीकरण की घोषणा की। यह नई नीति एक अच्छा कदम है जो इस क्षेत्र में नवाचार (इनोवेशन) को बढ़ावा देने और सार्वजनिक और निजी संस्थाओं के लिए समान स्तर के क्रियान्वयन क्षेत्र बनाने में मदद करेगा। नए दिशानिर्देशों के तहत, इस क्षेत्र को अविनियमित (नियम मुक्त) किया जाएगा और सर्वेक्षण, मानचित्रण और उस पर आधारित अनुप्रयोगों के निर्माण के लिए पूर्व अनुमोदन जैसे पहलुओं को दूर किया जायेगा, विज्ञान और प्रौद्योगिकी सचिव आशुतोष शर्मा ने कहा।
भारतीय संस्थाओं के लिए, नक्शे सहित, भू-स्थानिक डेटा और भू-स्थानिक डेटा सेवाओं के अधिग्रहण और उत्पादन के लिए कोई पूर्व अनुमोदन, सुरक्षा मंजूरी, लाइसेंस के साथ पूरी तरह से छूट होगी। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भू-स्थानिक डेटा के अधिग्रहण और उत्पादन को नियंत्रित करने वाली नीतियों का उदारीकरण “भारत सरकार की धारणा आत्मनिर्भर भारत के लिए एक बहुत बड़ा कदम” है। इस सुधार से देश के किसानों, स्टार्ट-अप, निजी क्षेत्र, सार्वजनिक क्षेत्र और अनुसंधान संस्थानों को नवाचारों को करने और महत्वपूर्ण समाधानों का निर्माण करने में लाभ होगा।
नए दिशानिर्देशों के तहत, भारतीय जलीय क्षेत्रों, स्थलीय मोबाइल मानचित्रण सर्वेक्षण, सड़क/ गली दृश्य सर्वेक्षण हेतु सटीकता का हवाला दिये बिना केवल भारतीय संस्थाओं को अनुमति दी जाएगी।
विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री हर्षवर्धन ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि मानदंडों में ढील से कई क्षेत्रों में बहुत मदद मिलेगी जो उच्च गुणवत्ता वाले नक्शे की अनुपलब्धता के कारण समस्या से जूझ रहे थे। वर्धन ने कहा, “भू-स्थानिक डेटा के व्यापक, अत्यधिक सटीक और लगातार अपडेट किए जा रहे प्रस्तुतिकरण से अर्थव्यवस्था के विविध क्षेत्रों को काफी फायदा होगा, इससे देश में नवाचार को बढ़ावा मिलेगा और आपातकालीन प्रतिक्रिया के लिए इसकी तैयारियों में काफी वृद्धि होगी।”
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उन्होंने कहा कि पहले भी सर्वे ऑफ इंडिया (संगठन जिसे नक्शे बनाने का काम सौंपा गया), को अलग-अलग एजेंसियों से मैपिंग की अनुमति लेनी होती थी, इस तरह इसके काम में कम से कम तीन से छह महीने तक की देरी होती थी। ट्वीट्स की एक श्रृंखला में, मोदी ने कहा, “हमारी सरकार ने एक निर्णय लिया है जो डिजिटल इंडिया को एक विशाल गति प्रदान करेगा। भू-स्थानिक डेटा के अधिग्रहण और उत्पादन को नियंत्रित करने वाली नीतियों को उदार बनाना, आत्मनिर्भर भारत के लिए एक बड़ा कदम है।”
वर्धन ने स्पष्ट किया कि सार्वजनिक रूप से उपलब्ध भू-स्थानिक सेवाओं के आगमन के साथ, बहुत से भू-स्थानिक डेटा जो कि प्रतिबंधित क्षेत्र में हुआ करते थे, आजादी से और आमतौर पर उपलब्ध होंगे और ऐसी जानकारी को विनियमित करने के लिए उपयोग की जाने वाली कुछ नीतियाँ/ दिशानिर्देश अप्रचलित और निरर्थक हो जायेंगी।
नए दिशानिर्देशों के तहत, भारतीय जलीय क्षेत्रों, स्थलीय मोबाइल मानचित्रण सर्वेक्षण, सड़क/ गली दृश्य सर्वेक्षण हेतु सटीकता का हवाला दिये बिना केवल भारतीय संस्थाओं को अनुमति दी जाएगी। सुरक्षा और कानून प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा एकत्र किए गए वर्गीकृत भू-स्थानिक डेटा को छोड़कर, सार्वजनिक धन का उपयोग करके उत्पादित सभी भू-स्थानिक डेटा को सभी भारतीय संस्थाओं को वैज्ञानिक, आर्थिक और विकासात्मक उद्देश्यों के लिए और उनके उपयोग पर बिना किसी प्रतिबंध के सुलभ बनाया जायेगा।
वर्धन ने कहा कि इस नीति के कारण, पूरा क्षेत्र बड़े पैमाने पर खुलेगा और 2030 तक 1 लाख करोड़ रुपये मूल्य के भू-स्थानिक डेटा का अधिग्रहण और उपयोग किया जा सकेगा। उन्होंने गूगल मैप्स के बारे में बात करते हुए कहा, “अगर हमें अपनी स्वयं की सेवाएं उपलब्ध बनाना है, हमें उदार बनाना होगा और डेटा का संग्रह और उपयोग शुरू करना होगा।” अंतरिक्ष विभाग के राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि यह निर्णय भारत की भू-मानचित्रण क्षमता को सभी क्षेत्रों में अग्रिम पंक्ति के राष्ट्र के रूप में उभरने वाले भारत के उच्च लक्ष्य के लिए उपयोग करने में सक्षम करेगा और केवल सुरक्षा उद्देश्यों के लिए इसकी भू-मानचित्रण क्षमता तक सीमित नहीं रहेगा। सिंह ने कहा कि भू-स्थानिक क्षेत्र को विकसित करना अंतरिक्ष उद्योग के लिए एक प्रेरक भूमिका निभाएगा क्योंकि यह क्षेत्र 5जी जैसी अत्याधुनिक तकनीकों के मूल में है।
[पीटीआई इनपुट्स के साथ]
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