मुंद्रा पोर्ट से 3000 किलोग्राम नशीले पदार्थों की जब्ती की जांच की कमान एनआईए ने संभाली

गृह मंत्रालय के आदेश पर, एनआईए ने मुंद्रा पोर्ट ड्रग बरामदगी मामले की जांच अपने हाथ में ली!

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गृह मंत्रालय के आदेश पर, एनआईए ने मुंद्रा पोर्ट ड्रग बरामदगी मामले की जांच अपने हाथ में ली!
गृह मंत्रालय के आदेश पर, एनआईए ने मुंद्रा पोर्ट ड्रग बरामदगी मामले की जांच अपने हाथ में ली!

एनआईए करेगी मुंद्रा पोर्ट हेरोइन मामले की जांच

अंतरराष्ट्रीय ड्रग रैकेट और आतंकी भूमिका को भांपते हुए, राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने बुधवार को, गुजरात के मुंद्रा पोर्ट से लगभग 3000 किलोग्राम नशीले पदार्थों की जब्ती का, मामला अपने हाथ में ले लिया। राजस्व खुफिया निदेशालय (डीआरआई) ने कुछ हफ्ते पहले अडानी समूह द्वारा संचालित मुंद्रा में निजी बंदरगाह से कंटेनरों में भरा 2988.21 किलोग्राम हेरोइन जब्त किया था। इसे भारत में नशीले पदार्थों की सबसे बड़ी जब्ती माना जाता है।

एनआईए ने एक बयान में कहा – “एमएचए (गृह मंत्रालय) के आदेश पर एनआईए ने डीआरआई केस नंबर डीआरआई/एजेडयू/जीआरयू/एनडीपीएस-01/2021 दिनांक 13.09.2021 की जांच एनआईए केस नंबर आरसी-26/2021/एनआईए / डीएलआई धारा 120-बी आईपीसी (आपराधिक साजिश), धारा 8 (सी), एनडीपीएस (नारकोटिक्स और साइकोट्रोपिक पदार्थ) अधिनियम की 23, और गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम, 1967 की धारा 17, 18 के तहत आरोपी मचावरम सुधाकरन, दुर्गा पीवी गोविंदराजू, राजकुमार पी और अन्य के खिलाफ मामला अपने हाथ में लिया है।”

जांचकर्ताओं का कहना है कि एनआईए और डीआरआई की प्रारंभिक रिपोर्ट में अभी जिन तीन लोगों को आरोपी बनाया गया है, वे सिर्फ माध्यम हैं और उनके पीछे एक बड़ा माफिया काम कर रहा है।

मुंद्रा पोर्ट पर जब्त नारकोटिक्स पदार्थ (हेरोइन) अफगानिस्तान से आने वाले ‘अर्ध-संसाधित टेल्क (सेलखड़ी) पत्थरों’ की एक खेप के रूप में छुपाया गया था, जो ईरान के बंदर अब्बास बंदरगाह से आया था। मचावरम सुधाकरन, दुर्गा पीवी गोविंदराजू, राजकुमार पी, जिन्होंने हाल ही में एक आयात लाइसेंस प्राप्त किया था, के नाम पर 3000 किलोग्राम के नशीले पदार्थों के कंटेनरों का आयात किया गया था। हालांकि उनकी कम्पनी चेन्नई के पते पर पंजीकृत है, लेकिन ये व्यक्ति विशाखापट्टनम के हैं। मादक पदार्थ (हेरोइन) जो भारत में सबसे बड़ी जब्ती है, की कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार में 21,000 करोड़ रुपये से अधिक है।

इस खबर को अंग्रेजी में यहाँ पढ़े।

खुफिया एजेंसियों ने संकेत दिया है कि ईरान के बंदर अब्बास पोर्ट से निर्यात की जाने वाली हेरोइन की यह खेप अफगानिस्तान के तालिबान सरदारों से आयी है और आतंकवाद के वित्तपोषण से संबंधित गतिविधि की ओर इशारा कर रही है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा – “इसीलिए एनआईए को जांच का जिम्मा सौंपा गया है।“ जांचकर्ताओं का कहना है कि एनआईए और डीआरआई की प्रारंभिक रिपोर्ट में अभी जिन तीन लोगों को आरोपी बनाया गया है, वे सिर्फ माध्यम हैं और उनके पीछे एक बड़ा माफिया काम कर रहा है।

मामला दर्ज होने के बाद मामले की त्वरित जांच के लिए कानून के तहत आवश्यक कार्रवाई शुरू कर दी गई है। जांच एजेंसी के एक अधिकारी ने कहा कि यह कदम तब लिया गया है जब डीआरआई की अब तक की जांच ने नार्को (नशीले पदार्थ) व्यापार के माध्यम से आतंकी फंडिंग की ओर इशारा किया है, जिसका राष्ट्रीय सुरक्षा पर असर पड़ सकता है।

चल रही जांच में ऐसे संकेत सामने आए हैं कि जब्त की गई मादक सामग्री अंतरराष्ट्रीय बाजार के लिए थी और मुंद्रा बंदरगाह केवल एक पारगमन बिंदु था और कई एजेंसियों को लगता है कि खेप का बड़ा हिस्सा यूरोपीय बाजारों के लिए था। यह व्यापक रूप से माना जाता है कि भारतीय एजेंसियों को सीआईए द्वारा अफगानिस्तान से ईरान के बंदरगाहों के माध्यम से भारत में आने वाले नशीले पदार्थों के परिवहन और यूरोपीय गंतव्यों के लिए आगे की गतिविधियों के बारे में सतर्क किया गया था।

मामला दर्ज होने के तुरंत बाद, एनआईए ने ट्वीट किया:

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