एम्स रिपोर्ट को सत्यापित करने के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय मेडिकल बोर्ड का गठन क्यों नहीं कर रहा है?
केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत (एसएसआर) की रहस्यमय मौत की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट से पूर्ण अधिकार मिलने के बाद, अब 115 दिन हो गए हैं। बिहार चुनाव नतीजों के बाद, पिछले 30 दिनों से बिहार के 34 वर्षीय उभरते बॉलीवुड अभिनेता की रहस्यमय मौत पर सारा हो-हल्ला बिल्कुल ही शांत होता जा रहा है। सीबीआई ने अभी तक आरोप-पत्र दाखिल नहीं किया है और सीबीआई जांच पर कोई मीडिया रिपोर्ट सामने नहीं आ रही है और ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (एम्स) अपने बयान से पलट (यू-टर्न) गया और मौत की वजह आत्महत्या बता दी और इसे केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा चुनौती भी नहीं दी गई है। केंद्र सरकार ने एम्स फॉरेंसिक प्रमुख सुधीर गुप्ता की संदिग्ध रिपोर्टों की जांच केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मेडिकल बोर्ड से कराये जाने की भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी की मांग का जवाब नहीं दिया है[1]।
चुनाव जीत गए, केस भूल गए?
बिहार सरकार, जिसने मुंबई पुलिस की सुस्त जांच को चुनौती दी थी, जिसके बाद, सीबीआई द्वारा प्राथमिकी (एफआईआर) दर्ज की गई थी, नवंबर के पहले सप्ताह में विधानसभा चुनाव खत्म होने के बाद वह भी चुप है। सीबीआई को 19 अगस्त को उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद रहस्यमय मौत की जांच करने की पूरी शक्ति मिली, लेकिन अब एजेन्सी मौन है[2]। वास्तव में, भाजपा शासित केंद्र सरकार और भाजपा समर्थित बिहार सरकार सुशांत सिंह राजपूत मामले में न्याय प्रदान करना भूल गई है। 14 जून को युवा नायक के मृत पाये जाने के बाद देश में एक तूफान आया था, जिससे मुंबई फिल्म जगत के पर्दे के पीछे के और नशीले पदार्थों के व्यापार की भूमिका संबंधित कई खुलासे हुए थे।
बीजेपी आईटी सेल में कई गुर्गों ने सुशांत मामले पर आदित्य ठाकरे को बदनाम करने की कोशिश की और एक बीजेपी कार्यकर्ता समीर ठक्कर को कई हफ्तों की कैद का सामना करना पड़ा। बेचारे एसएसआर की मृत्यु कई लोगों के लिए एक भद्दा खेल बनकर रह गयी।
हतोत्साहित एनसीबी
नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) ने इस मामले में काफी दिलचस्पी दिखाई थी परंतु अब वह भी निस्क्रीय है, मुख्य आरोपी रिया चक्रबर्ती और उसके भाई को अदालतों द्वारा दिये जमानत आदेश सिद्ध करते हैं कि एनसीबी ने इस मामले में कितनी लापरवाही बरती है। एक समय समाचारों की सुर्खियाँ बटोरने वाली एनसीबी अब चुप है, जबकि मुख्य जाँचकर्ता सीबीआई भी चुप्पी साधे हुए है। एक अन्य एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मनी लॉन्ड्रिंग (काले धन को वैध बनाने) कोण और भारी धन के लेन-देन के बारे में बात की थी, लेकिन अब इसने भी मौन व्रत धारण कर लिया है। दो युद्धरत पार्टियां बीजेपी और उसकी प्रतिद्वंद्वी महाराष्ट्र की सत्तारूढ़ शिवसेना, जो इस रहस्यमयी मौत के मामले में आपस में भिड़ रहे थे, अब अचानक चुप्पी साधे हुए हैं।
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मुंबई पुलिस कहीं और व्यस्त है
मुंबई पुलिस के बारे में क्या कहें, जिसने सुशांत की मैनेजर दिशा सालियान की रहस्यमय मौत की जांच शुरू कर दी है? कई फर्जी यूट्यूबर, जिन्होंने इस घटना पर बहुत सारे सिद्धांत निर्मित किये और बहुत पैसा कमाया, मुंबई पुलिस द्वारा उनमें से कुछ को जेल में डालने के बाद, दिखाई नहीं दे रहे हैं। ऐसे ही एक यूट्यूबर ने 15 लाख रुपये कमाए[3]। बीजेपी आईटी सेल में कई गुर्गों ने सुशांत मामले पर आदित्य ठाकरे को बदनाम करने की कोशिश की और एक बीजेपी कार्यकर्ता समीत ठक्कर को कई हफ्तों की कैद का सामना करना पड़ा। बेचारे एसएसआर की मृत्यु कई लोगों के लिए एक भद्दा खेल बनकर रह गयी।
अब कार्यवाही करो सीबीआई!
मामले की प्रमुख एजेंसी, सीबीआई को न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय के 35 पन्नों के आदेश को याद करना चाहिए, जिसमें सीबीआई को जाँच हेतु सशक्त करते हुए कहा गया था कि, “जब सत्य उजागर होगा तब केवल जिवित ही नहीं परंतु जीवन में कष्ट झेलकर मृत्यु प्राप्त करने वालों की आत्मा को भी शांति मिलेगी, सत्यमेव जयते!” यही सही समय है जब सीबीआई मामले में आरोप पत्र दायर करे। इससे पहले, एम्स की विवादास्पद रिपोर्ट को सत्यापित करने के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को मेडिकल बोर्ड की नियुक्ति करनी चाहिए।
संदर्भ:
[1] एसएसआर मामला: सुब्रमण्यम स्वामी ने स्वास्थ्य मंत्रालय के मेडिकल बोर्ड द्वारा एम्स की रिपोर्ट का विश्लेषण कराने हेतु प्रधानमंत्री से आग्रह किया। – Oct 22, 2020, hindi.pgurus.com
[2] When Truth Meets Sunshine…’: SC Orders CBI Probe Into Sushant Singh Rajput Death Case – Aug 19, 2020, Outlook India
[3] Sushant Singh Rajput Case: Fake News YouTube Channel Raked In Lakhs – Nov 19, 2020, Mid-Day
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