
आप सोचते होंगे कि अमीरों से छीन कर ग़रीबों को अमीर बनाने का वादा करने वाले ठग बारह करोड़ लोगों को मारने के बाद व सैकड़ों देशों को बरबाद करने के बाद आत्मग्लानि व अपराधबोध की वजह से कही छुप गए होंगे।
लेकिन इन ठगों के अंदर आत्मा ही नहीं है तो आत्मग्लानि कैसी व अपराधबोध कैसा। इसलिए हर कुछ महीने बाद वही पुराने दावे लेकर उपस्तिथ हो जाते है ग़रीबों के सामने कि चलो अमीरों को लूटते है तुम अमीर हो जाओगे।
वामपंथी “क्रांति” के बाद वामपंथी लुटेरों के हाथ केवल कुडा आता है, व देश डूब जाता है। जो तथाकथित ग़रीब है वे इतने अमीर कभी नहीं रहे जितने आज है।
अभी ऑक्सफैम नाम का एनजीओ आया है कि भारत के एक प्रतिशत लोगों के पास भारत के ग़रीब सत्तर प्रतिशत से चार गुना अधिक सम्पत्ति है व सरकार कुछ नहीं कर रही है।
भारत के या कही के भी अमीरों के पास वास्तव में कोई सम्पत्ति नहीं है। आप को एक उदाहरण से समझाता हुँ: मुकेश अम्बानी के पास कुल सम्पत्ति 4,27,700 करोड़ रुपए बतायी जाती है। लेकिन ये वास्तव में उसकी कम्पनी में उसके शेयरो का मूल्य है। उसके शेयरो का मूल्य केवल उसकी कम्पनी में हमारा विश्वास है। हमारा विश्वास समाप्त हो जाय तो उसकी सम्पत्ति शून्य हो जाएगी, क्यूँकि ऐंटिला भी कोई ख़रीदेगा नहीं क्यूँकि कोई उस बिल्डिंग का बिजली का भी बिल नहीं भर पाएगा। भारत के व विश्व के तथाकथित सारे अरबपति तभी तक अरबपति है जब तक उनकी योग्यता में हमारा विश्वास है। इसीलिए वामपंथी “क्रांति” के बाद वामपंथी लुटेरों के हाथ केवल कुडा आता है, व देश डूब जाता है। जो तथाकथित ग़रीब है वे इतने अमीर कभी नहीं रहे जितने आज है। और उनकी इस प्रगति का एकमात्र कारण मुकेश अम्बानी जैसे योग्य लोग है। बहुत सारे देश है जहाँ मुकेश अम्बानी जैसे अरबपति नहीं है। वहाँ के ग़रीब अभी भी भूखे मरते है व फूस के झोपड़ों में रहते है।
दुनिया में धन या सम्पत्ति ऐसे किसी रूप में है ही नहीं जिसे लूटा जा सके। हमारी कौशल व योग्यता व सत्यनिष्ठा (honesty) ही सम्पत्ति है। जहाँ योग्य लोगों को काम करने दिया जाता है व लोग सत्यनिष्ठ है वहाँ लोग सम्पन्न होते है नहीं तो भूखे मरते है।
इतनी सी बात इन मेमनो, याने वामपंथीयो के भेजे में घुसती नहीं है। और मुफ़्तखोर सच जानना नहीं चाहते है।
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