ज्ञानवापी मामले पर उमा भारती बोलीं- मुस्लिम पक्ष अयोध्या के साथ काशी, मथुरा हिन्दुओं को सौंप दे!

हमने उस वक्त (पूजा स्थान अधिनियम 1991) आडवाणी जी के नेतृत्व में विरोध किया था। बीजेपी का पक्ष मैंने रखा था। मैंने कहा था कि ये बहुत दर्द भरी यादें हैं। उन्हें मत छेड़ो।

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ज्ञानवापी मामले पर उमा भारती बोलीं- मुस्लिम पक्ष अयोध्या के साथ काशी, मथुरा हिन्दुओं को सौंप दे!
ज्ञानवापी मामले पर उमा भारती बोलीं- मुस्लिम पक्ष अयोध्या के साथ काशी, मथुरा हिन्दुओं को सौंप दे!

ज्ञानवापी मामले पर भाजपा नेता उमा भारती रखी राय

ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी केस में वाराणसी जिला न्यायालय ने हिंदू पक्ष की याचिका स्वीकार कर ली है। बीजेपी नेता और पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने इसका स्वागत किया है। ज्ञानवापी की याचिका सुनने योग्य है। उन्होंने कहा मैं ख़ुशियां जता रही हूं। हमारी काशी में काशी विश्वेश्वर के मूल स्थान पर पूजा करने का रास्ता निकल आएगा। नंदी बहुत दिनों से देख रहे हैं उनकी भी आकांक्षा पूरी होगी। मथुरा का भी बातचीत से समाधान निकल आए।

उमा भारती ने कहा – हमने उस वक्त (पूजा स्थान अधिनियम 1991) आडवाणी जी के नेतृत्व में विरोध किया था। बीजेपी का पक्ष मैंने रखा था। मैंने कहा था कि ये बहुत दर्द भरी यादें हैं। उन्हें मत छेड़ो। सीने में चुभे हुए नश्तर हैं। बहुत बेइज़्ज़ती होती है। गर्दन झुक जाती है। इसलिए अयोध्या के साथ काशी और मथुरा जोड़ लो। नहीं तो आगे दिक़्क़त होगी।

उमा भारती ने कहा – अयोध्या, मथुरा और काशी हिन्दुओं की आस्था के स्थान हैं। तीनों हिन्दू समाज की मूल आस्था के केन्द्र हैं। कल को ये चीज़ें सामने आएंगी और आप नहीं रोक पाओगे। इसलिये ये तो पहले ही कर लिया जाना चाहिए था। उन्होंने कहा ये लिस्ट ख़त्म होती इसलिए नहीं दिख रही है क्योंकि अगर तीनों मूल स्थानों का पहले ही समाधान हो जाता। अगर मुस्लिम समुदाय तीनों स्थान अपने आप ही प्रेम से हिंदुओं को सौंप दें तो खुद हिन्दू समाज सारी मस्जिदों की रक्षा करेगा। अयोध्या को पूजा स्थल विधेयक से बाहर तो रखा लेकिन तब तक डिस्प्यूटेड तो मान रहे थे।

बीजेपी नेता ने कहा – अब जो हालात बन गए हैं उसमें दोनों समुदायों को अच्छी पहल के साथ आगे आना पड़ेगा। नुपूर शर्मा ने माफ़ी मांग ली। पार्टी ने कार्रवाई कर दी। उसके बाद भी उसकी फोटो को जूतों से रौंदा जा रहा है। इन सबने माहौल ख़राब कर दिया।

ज्ञानवापी मुद्दे पर जिला जज एके विश्वेश की एकल पीठ ने केस को सुनवाई योग्य माना। अदालत ने मुस्लिम पक्ष की याचिका को खारिज कर दिया और कहा मुकदमा विचारणीय है। मामले की अगली सुनवाई 22 सितंबर को होगी। इस मामले में मुस्लिम पक्ष ने साल 1991 के वर्शिप एक्ट के तहत दलील पेश कर परिसर में दर्शन-पूजन की अनुमति पर आपत्ति जताई थी। हिंदू पक्ष का कहना था श्रृंगार गौरी में दर्शन-पूजन की अनुमति दी जाए। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की पोषणीयता पर वाराणसी की जिला अदालत को विचार करने का निर्देश दिया था।

[आईएएनएस इनपुट के साथ]

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