जम्मू कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती ने सेना के खिलाफ सख्त कार्यवाही के आदेश देकर सहयोगी दल भारतीय जनता पार्टी के लिए मुसीबतों का पहाड़ खड़ा कर दिया है ।
जम्मू कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती ने शोपियां फायरिंग मामले में सेना के खिलाफ सख्त कार्यवाही के आदेश देकर और हत्या का मामला दर्ज कर के न सिर्फ ‘भानुमती’ का पिटारा खोल दिया है बल्कि अपने सहयोगी दल भारतीय जनता पार्टी के लिए भी मुसीबतों का पहाड़ खड़ा कर दिया है ।
27 जनवरी के दिन सेना के काफिले पे उस समय पत्थरबाजों की उग्र भीड़ ने हमला बोल दिया था जब वो शोपियां जिले के गनोव्पोरा गाँव से गुज़र रहे थे । इस से पहले की सेना के जवान कुछ संभल पाते और हालात काबू करने की कोशिश करते पत्थरबाजों ने सेना के काफिले पे हमला किया और सेना के जवानों से उनके हथियार छिनने का प्रयास भी किया ।
इस बीच पत्थरबाजों ने काफिले के साथ चल रहे सेना के एक वरिष्ठ ऑफिसर पे जान लेवा हमला करने का भी प्रयास किया । सेना ने जवाबी कार्यवाही में आत्मा रक्षा करते हुए भीड़ को तितर बितर करने के लिए पहले हवा में और फिर भीड़ पे फायरिंग की ।
इस घटनाक्रम में दो पत्थरबाज मारे गए और कम से कम ९ लोग गंभीर रूप से घायल हुए । सेना के भी ७ जवान हमले में घायल हुए और काफिले में चल रही गाड़ियाँ को भी नुक्सान झेलना पड़ा । मारे गए पत्थरबाजों के पहचान जावेद अहमद भट और सुहैल जावेद लोन के नाम से हुई है ।
घटना के तुरंत बाद पुलिस ने सेना की 10 गडवाल यूनिट के एक मेजर रैंक के अधिकारी सहित अन्य लोगों के खिलाफ 302 (हत्या), 307 (हत्या के प्रयास) आरपीसी के तहत मामला दर्ज कर लिया । मामले के गंभीरता को देखते हुए मुख्यमंत्री ने साथ ही मजिस्ट्रेट जांच के आदेश भी दे दिए ।
अपनी तरफ से जारी बयाँ में सेना ने साफ़ तौर पे यह बात कही कि उनके जवानों ने आत्मा रक्षा के लिए पत्थरबाजों की भीड़ पे गोली चलाई ।
ऐसा पहली बार नहीं हुआ है की सेना के ऊपर किसी मामले में FIR दर्ज हुई है । पहले भी ऐसे मामलों में येही कार्यवाही होती आयी है । हैरानगी की बात बस इतनी है की तफ्तीश शुरू करने से पहले रियासत की पुलिस ने कैसे सेना के अधिकारी के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किया ।
जब उग्र भीड़ काबू से बहार हो रही थी और सेना के अधिकारी के ऊपर हमला कर रही थी उस समय उनकी जान की हिफाजत के लिए गोली चली ।
ऐसा उस समय हुआ है जब रियासत में Armed Forces Special Powers Act (AFSPA) अभी लागू है । इस से साफ़ ज़ाहिर होता है पुलिस ने भी राजनीतिक दबाव में आकर यह मामला दर्ज किया है ।
इस सब के बीच रियासत में सियासत का पारा ऊपर चढ़ गया है । जहाँ एक और भाजपा और घटक दल PDP,जो इस समय सत्ता में काबिज़ हैं आपस में आम राय नहीं बना पा रहे वहीँ दूसरी और विपक्षी दल हाथ धो कर सरकार के पीछे पड़े हैं ।
सदन के पटल पे अपनी साख बचाने के लिए भाजपा के तेज तरार विधायकों ने तो सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला और इस कार्यवाही की निंदा की साथ ही सेना के खिलाफ दर्ज मामले को भी वापिस लेने के लिए दबाव बनाया । इस बीच भाजपा के वरिष्ठ मंत्री चुप्पी साधे बैठे रहे । पुलिस ने भी भाजपा के विधायकों के मांग पे अभी तक कोई कार्यवाही नहीं की है ।
सेना ने आत्मा रक्षा में गोली चलाई : १५ कोर के सेना अधिकारी
कश्मीर घाटी में तेनात १५ कोर के वरिष्ठ सेना अधिकारी Lt-Gen ज स संधू ने एक बयाँ से सीधे तौर पे कहा है की सेना ने गोली हालात को काबू करने के लिए मजबूर हो कर बड़ी गंभीर स्थिति में चलाई थी । उन्होंने कहा जब उग्र भीड़ काबू से बहार हो रही थी और सेना के अधिकारी के ऊपर हमला कर रही थी उस समय उनकी जान की हिफाजत के लिए गोली चली । सेना के अधिकारी ने कहा सेना कभी नहीं चाहती की वो अवाम पे गोलीबारी करे लेकिन जब ऐसे हालात पैदा हो गए तो आत्मा रक्षा के इलावा कोई दूसरा रास्ता भी नहीं बचा था । उन्होंने कहा सेना पुलिस को जांच में पूरा सहयोग दे रही और अगर कोई भी इस मामले में दोषी पाया गया उस पे कानून के मुताबिक कार्यवाही होगी ।
कश्मीर घाटी में प्रदर्शन
इस बीच सेना की फायरिंग के खिलाफ घाटी के कई जगहों में बंद रहा और पत्थरबाज़ी के मामले सामने आये ।
कश्मीर घाटी में चार जिलों में कुछ समय के लिए इंटरनेट सेवाएं ठप रहीं ।
कई क्षेत्रों में सड़कों पर सार्वजनिक और प्राइवेट वाहन नहीं चले। पुराने शहर के नवाकदल, सफाकदल, खान्यार, नौह्ट्टा रैनवाड़ी एमआर गंज पुलिस थाना क्षेत्र में कर्फ्यू रहा ।
नवाकदल क्षेत्र में कुछ युवाओं ने सुरक्षा बलों पर पथराव किया । सुरक्षा बलों के पथराव को रोकने और युवाओं को तितर-बितर करने के लिए करीब आधा दर्जन आंसू गैस के गोले भी दागे ।
जांच को तर्कसंगत निष्कर्ष तक पहुंचाया जाएगा : महबूबा मुफ़्ती
राजनीतिक दबाव झेल रही मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने सोमवार को सदन के अन्दर बयाँ देकर अपने घटक दल भाजपा के लिए मुश्किलें और बढ़ा दी जब उन्होंने यह कहा कि शोपियां में फायरिंग में दो युवकों की मौत की जांच को तर्कसंगत निष्कर्ष तक पहुंचाया जाएगा । यह बयान उन्होंने विधानसभा में काम रोको प्रस्ताव पर हो रही चर्चा के जवाब में दिया ।
मुख्यमंत्री ने कहा कि ऐसी घटनाएं राज्य मे राजनीतिज्ञ प्रक्रिया को कमजोर और धीमी कर देती हैं
घटना के तुंरत बाद ही दोषियों के खिलाफ एफ आईआर दर्ज करवाई गई थी। डीसी शोपियां को मजिस्ट्रेटी जांच के आदेश दिए गए थे । 15 दिनों के भीतर इसकी रिपोर्ट देने के आदेश दिए गए हैं । घटना का पता चलते ही उन्होंने नई दिल्ली में रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण से बात की ।
सेना के खिलाफ चाहे मामले दर्ज हो जाएं या फिर मजिस्ट्रेट जांच के आदेश जारी हो जाएं, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता ।
उन्होंने इस संबंध मे उचित कदम उठाने का आश्वासन दिया है । कहा कि यूनिफाइड कमांड की बैठकों में भी उन्होंने सुरक्षा एजेंसियों से अधिकाधिक संयम बरतने को कहा है ।
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पुलिस की कोशिश थी सेना उस इलाके से न गुजरे
मुख्यमंत्री ने कहा कि पुलिस की कोशिश थी कि सेना उस इलाके से न गुजरे, लेकिन उनका जाना जरूरी था । ऐसे में यह घटना हो गई । उन्होंने कहा कि यूनिफाइड कमांड की बैठकों में भी वह लगातार सुरक्षाबलों से अधिकाधिक संयम बरतने को कहती रही है । पहले मुठभेड़ के दौरान गांव खाली हो जाते थे, लेकिन आज मुठभेड़ शुरू होते ही सैकड़ों की भीड़ सुरक्षाबलों पर पत्थर बरसाने लगते हैं ।
सेना ने जो किया ठीक किया : रैना
कश्मीर के शोपियां क्षेत्र में शनिवार को सेना ने जो किया, वह बहुत जरूरी था। सेना ने जो किया अपने बचाव में किया, इसकी निंदा नहीं होनी चाहिए । बाढ़ आए तो सेना, भूकंप आए तो सेना, युद्ध लड़े तो सेना । इसके बाद भी सेना के ऊपर पथराव जैसी घटनाओं के बाद सेना के हक में बयान देने के लिए नेताओं की जबान पर ताला नहीं लगना चाहिए ।
सेना के खिलाफ चाहे मामले दर्ज हो जाएं या फिर मजिस्ट्रेट जांच के आदेश जारी हो जाएं, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता । राज्य में सेना को विशेष अधिकार हासिल है । सेना का अपना कोर्ट है । पत्थरबाजों को पकड़कर जेल में डालेंगे और इनका दिमाग ठिकाने लाएंगे । यह बातें पत्रकारों को संबोधित करते हुए भाजपा के विधायक रविन्द्र रैना ने कहीं ।
पत्रकारों को संबोधित करते हुए रैना ने कहा कि पाकिस्तान 26 जनवरी के अवसर पर राज्य में बड़े हमले की फिराक में था । इसमें वह सफल नहीं हुआ तो उसकी शह पर शोपियां क्षेत्र में सेना के काफिले के ऊपर 250 के करीब लोगों ने हमलाकर जवानों के हथियार खींचने व जवानों को आग के हवाले करने का प्रयास किया। उस समय सेना के जवानों ने जो किया, वह अपने बचाव में किया और यह जरूरी भी था । सेना ने जो किया, अपने बचाव में किया ।
पुलिस के मुखिया ने साफ़ तौर पे कहा कि किस हालात में सेना के काफिले पर हमला हुआ
एक और भाजपा विधायक आर एस पठानिया ने सीधे शब्दों में कहा सरकार ने सेना के खिलाफ जल्दबाजी की है । उन्होंने हत्या के मामले को वापिस लेने की मांग की और इसे गंभीर मामला बताते हुए नेताओं से राजनीतिक रोटियां न सेकने की बात कही ।
वहीँ दूसरी और रियासती पुलिस के मुखिया डॉ स पी वैद ने भी यह कह कर पुलिस का बचाव किया की अभी जो मामला दर्ज किया गया है उस में जैसे जैसे जाच आगे चलेगी तस्वीर साफ़ होगी । उन्होंने कहा फिलहाल किसी भी सेना के अधिकारी के खिलाफ मामला दर्ज नहीं हुआ है । शिकायत में बस इतना लिखा गया है की घटना के समय एक सेना की टुकड़ी वहां से गुज़र रही थी जिसे एक अधिकारी लीड कर रहे थे । पुलिस के मुखिया ने साफ़ तौर पे कहा कि किस हालात में सेना के काफिले पर हमला हुआ, गोली चली और पत्थरबाज मारे गए ये जांच के बाद पता चलेगा । “जांच के दौरान हम हर किसी को अपनी बात रखने का मौका देंगे”, पुलिस अधिकारी के कहा ।
सरकार भ्रम फैला रही है : उमर अब्दुल्लाह
रियासत के भूतपूर्व मुखमंत्री और विपक्षी नेता उम्र अब्दुल्लाह ने सर्कार को आड़े हाथों लेते हुआ कहा है की जहाँ एक और सरकार ने मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दिए हैं वहीँ दूसरी और पुलिस ने अपनी रिपोर्ट में सेना की अधिकारी का नाम लेकर उनपे हत्या का मामला दर्ज किया है तो इससे येही सन्देश मिलता है की सरकार खुद भ्रम की स्तिथि पैदा कर रही है और अवाम को गुमराह कर रही है ।
Note:
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बहुत शर्मनाक.. AFPSA लगे होने के बावजूद अपनी आत्मरक्षा के लिए जवाबी कार्यवाही को लेकर सेना के खिलाफ FIR दर्ज करना वो भी इतनी गंभीर चार्जेज के साथ बहुत ही ग्लानि होती है। क्या स्थिति होगी उनके मनोबल की, स्वाभिमान की!
Bhajpa sarakar satta md me napunsak ho gai
Kewal jumle nahi aur tatha sthiti bad ka poshak
Congree se bhi jyada secular dikhne ke chakkar me
Apni bahumat ki sarakar ki nak katwa lee
Ab hinduo ka bishwas tut gaya mullayam banane se
Koi rok nahi sakta