सबसे पुरानी पार्टी के अंदर की हलचल तेज हो रही है; पहले ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पार्टी छोड़ दी और अब पार्टी के युवा ब्रिगेड का एक महत्वपूर्ण वर्ग जब मन चाहे तब अध्यक्ष बन सकने वाले राहुल गांधी के मार्गदर्शक मंडल में पी चिंदबरम (पीसी) को शामिल करने पर सोनिया के जोर देने से नाखुश हैं।
अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी अभी भी पूर्व भ्रष्ट वित्त मंत्री चिदंबरम पर इतना भरोसा करती हैं कि उन्हें कांग्रेस की कोविड-19 से निपटने और सलाह देने और आगामी अध्यक्ष राहुल गांधी के लिए सलाहकार के रूप में काम करने वाली टीम में स्थान दिया गया है। आज की अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के मार्गरक्षक-मंडल सम्बंधित दिग्गजों मनमोहन सिंह, और “आरोपी” चिदंबरम के साथ सलाहकार समूह के गठन पर प्रेस विज्ञप्ति जारी की है, इन नेताओं की मौजूदगी से कांग्रेस हलकों, खासकर युवा नेताओं के बीच कईयों की भौहें तन गयीं। इस समूह की मुख्य गतिविधि कोविड-19 से संबंधित मुद्दों पर राहुल गांधी का मार्गदर्शन करना (पढ़ना सिखाना) है।
कई कांग्रेसी नेताओं ने पूछा “सोनिया अभी भी यह चाहती हैं कि चिदंबरम राहुल को सिखाएं? कैसी विडंबना है? पीसी क्या सिखाएंगे? एक महामारी के दौरान पैसे कैसे कमाए जाएं? कैसे सरकार पर अपमानित शब्दों से हमला करना है? इस दौरान सरकार का समर्थन नहीं करना और जनता के गुस्से का फायदा प्राप्त करना?”
कांग्रेस नेताओं ने कहा, “सोनिया भूल रही हैं कि देश भर में पीसी से कितनी नफरत की जाती है! और अब वह जानबूझकर राहुल गांधी के साथ उन्हें जोड़ रही हैं, यह राहुल गांधी को पूरी तरह से खत्म करने वाला कदम है।”
कांग्रेस के दिग्गजों का कहना है कि, सोनिया गांधी के साथ चिदंबरम की निकटता बोफोर्स घोटाले के दिनों से शुरू हुई थी और वह सोनिया परिवार के अंतर्राष्ट्रीय-मुद्रा-संग्रहण-तरीकों के सलाहकार हैं। बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने कई बार आरोप लगाया है कि एई सर्विसेज, फर्जी खोल (शेल) कंपनी जिसने बोफोर्स घोटाले में ओटावियो क्वात्रोची और सोनिया के तत्कालीन बहनोई वाल्टेयर विंची को रिश्वत का पैसा दिया था, उन्हें सबसे पहले चिदंबरम के विवादास्पद चचेरे भाई एसी मुथैया ने बढ़ावा दिया था[1]। सोनिया की बहन नादिया के पूर्व पति वाल्टेयर विंची एक आधिकारिक प्रतिनिधिमंडल की यात्रा में मौजूद थे, जिन्होंने बोफोर्स सौदे पर मुहर लगाई थी और सौदे से अधिकतम कमीशन प्राप्त किया था और बाद में उन्होंने परिवार से किनारा कर लिया।
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भाजपा के सत्ता में आने के बाद, सोनिया ने चिदंबरम को भ्रष्टाचार के मामलों से बचाने के लिए अपने स्तर पर पूरी कोशिश की। सबसे पहले, उन्होंने कांग्रेस नेताओं के विरोध के बावजूद महाराष्ट्र से उन्हें राज्यसभा की सीट दी, बेटे कार्ति को एक लोकसभा सीट दी, जिन्हें पहले ही आईएनएक्स मीडिया रिश्वत मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने गिरफ्तार कर लिया था और टैक्स हेवन्स (कर आश्रयों) में कालेधन को रखने के मामलों में आयकर विभाग का सामना कर रहे थे। यहां तक कि जब चिदंबरम को आईएनएक्स मीडिया रिश्वत मामले में जेल हुई तब सोनिया उनसे मिलने जेल भी पहुँचीं और सभी कांग्रेस नेताओं को आरोपी को खुश करने के लिए जेल का दौरा करने के लिए कहा।
पार्टी के विख्यात वकीलों कपिल सिब्बल और अभिषेक सिंघवी की उपेक्षा करते हुए, सोनिया ने चिदंबरम को नेशनल हेराल्ड से संबंधित आयकर मामले को संभालने के लिए सौंपा। ये घटनाएँ सोनिया का चिदंबरम के प्रति आकर्षण दिखाती हैं। कई कांग्रेस नेताओं ने कहा, “राहुल गांधी केवल चिदंबरम से अभिमानी बनना सीखेंगे।”
कई युवा कांग्रेसी नेताओं का कहना है कि चिदंबरम, अहमद पटेल, मनमोहन सिंह, एके एंटनी, गुलाम नबी आजाद और आनंद शर्मा को “मार्गदर्शक मंडल” से अलग करने का समय आ गया है- बाहर निकालने/सेवा से हटाने के लिए मंगल भाषण (कठोर बात को कोमल रीति से कहना)! उन्होंने सोनिया गांधी पर ज्योतिरादित्य सिंधिया के मामले का हवाला देते हुए सचिन पायलट जैसे कई युवा नेताओं को दरकिनार करने का आरोप लगाया, सिंधिया निराश हो गए और अंततः भाजपा में चले गए।
कांग्रेस के कई नेता शोक के साथ कहते हैं – “लोग पुराने भ्रष्ट राजनेताओं और उनके सहयोगियों से नफरत करते हैं। जब भी टीवी पर चिदंबरम जैसे नेताओं का चेहरा आता है, तो पूरी कांग्रेस को गाली मिलती है। सोनिया अभी भी चाहती हैं कि राहुल को इन भ्रष्ट राजनेताओं का मार्गदर्शन मिले, जिनमें विश्वसनीयता की कमी है। ऐसा लगता है कि कांग्रेस 2024 चुनावों से पहले ही हथियार डाल चुकी है। उनके पास केवल मनमोहन सिंह और चिदंबरम हैं जो अनिच्छुक और शर्मीले राहुल गांधी के साथ पार्टी का नेतृत्व करेंगे। भगवान सबसे पुरानी पार्टी को आशीर्वाद दें!”
संदर्भ:
[1] Chidambaram’s cousin A C Muthaiah charge sheeted by CBI for looting Rs.102 crores from Syndicate Bank – Jun 8, 2018, PGurus.com
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