जम्मू -कश्मीर और लद्दाख आज से दो नए केंद्र शासित प्रदेश बने, सम्पति के बंटवारे में लगेगा १ साल का वक़्त

अब IPC के तेहत होंगे मामले दर्ज। सात सरकारी आयोगों को बंद करने का फैसला।

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अब IPC के तेहत होंगे मामले दर्ज। सात सरकारी आयोगों को बंद करने का फैसला।
अब IPC के तेहत होंगे मामले दर्ज। सात सरकारी आयोगों को बंद करने का फैसला।

जम्मू कश्मीर राज्य 31 अक्टूबर को आधिकारिक रूप से दो केंद्रशासित प्रदेशों जम्मू कश्मीर और लद्दाख में विभाजित हो गया।

शीतकालीन राजधानी जम्मू में होने के बावजूद पुनर्गठन का सारा कार्यक्रम कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच श्रीनगर में संपन्न हुआ।

जम्मू में नागरिक सचिवालय में काम काज विधिवत रूप से 4 नवम्बर से आरम्भ होगा।

संसद से पारित जम्मू कश्मीर पुनर्गठन कानून 2019 के मुताबिक जम्मू कश्मीर विधान सभा के साथ केंद्र शासित प्रदेश होगा और दूसरी ओर बिना विधानसभा वाला लद्दाख सीधे केंद्र शासित होगा।

जम्मू कश्मीर में आधार सहित 106 नए कानून पहली बार लागू होंगे। विशेष राज्य का दर्जा होने से यहाँ जो 153 कानून विशेष रूप से लागू किये गए थे वो अब ख़त्म हो जायेंगे।

तय कार्यक्रम के अनुसार 31 अक्टूबर के दिन जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट की मुख्यान्याधीश गीता मित्तल ने सुबह पहले राधा कृष्ण माथुर को लद्दाख में आयोजित हुए कार्यक्रम में शपथ दिलाई और उस के बाद उन्होंने श्रीनगर लौट कर जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल गिरीश चंद्र मुर्मू को शपथ दिलाई।

इस मौके पर किसी भी अप्रिये घटना को रोकने के लिए सरकार ने पूरी तरह से कमर कस्सी हुई थी और अर्धसैनिक बलों के साथ साथ जम्मू कश्मीर पुलिस की जगह जगह तैनाती की थी।

श्रीनगर के साथ साथ जम्मू में भी सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किये गए थे। आम दिनों के मुकाबले अर्धसैनिक बलों की बड़ी संख्या में संवदेनशील इलाकों में तैनाती की गयी थी।

अगर बात आम आदमी की करें यान व्यापारी वर्ग की जम्मू में सब नयी व्यवस्था के पूरी तरह से लागू होने का इंतज़ार कर रहे हैं।

जम्मू शेहर के एक दुकानदार सुरेश कुमार ने कहा, “बाज़ार में डर और खौफ का माहौल पसरा हुआ है ! किसी जगह कोई जश्न नहीं मना रहा। अधिक संख्या में सुरक्षा बल तेनात किये गए हैं”।

सुरेश कुमार कहते हैं 5 अगस्त को जब जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा ख़त्म किया गया उस दिन से हम सिर्फ कश्मीर के बारे में सुन रहे हैं। कश्मीर में ५०,००० सरकारी नौकरियां दी जाएँगी, कश्मीरी व्यापारियों के लिए पैकेज दिया जायेगा, कोई भी जम्मू के बारे में, यहाँ के व्यापारियों के बारे में नहीं बोल रहा। वो कहते हैं अगर धारा 370 जम्मू कश्मीर के विकास के लिए बाधक थी तो आने वाले दिनों में सीधे तौर पे पता चल जायेगा इसे समाप्त करने के बाद जम्मू कश्मीर में कितना विकास हुआ है।

नयी वयवस्था के अंतर्गत क्या क्या बदलेगा ?

इस समय जम्मू कश्मीर के विधान सभा में 107 सदस्य हैं लेकिन परिसीमन के बाद इनकी संख्या 114 तक पहुँच जाएगी। उपराज्यपाल के पास दो महिला सदस्यों को मनोनीत करने का अधिकार प्राप्त होगा।

जम्मू कश्मीर दिल्ली मॉडल और लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ की तर्ज़ पे काम करेगा।

केंद्र सरकार से दोनों क्षेत्रों के बीच संसाधनों के बंटवारे को अमलीजामा पहनाने के लिए पूर्व रक्षा सचिव की अगुवाई वाली समिति को 6 महीने के अन्दर अन्दर रिपोर्ट सौंपने को कहा है। यह समिति दोनों प्रदेशों की देनदारियों का बंटवारा करेगी और दोनों क्षेत्रों के राजस्व का बंटवारा उनकी जनसँख्या के अनुपात में होगा।

इस तबदीली के साथ साथ जम्मू कश्मीर में आधार सहित 106 नए कानून पहली बार लागू होंगे। इनमे मुस्लिम विवाह विच्छेद कानून, शत्रु सम्पति कानून, मुस्लिम वीमेन प्रोटेक्शन एक्ट, भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम, RTI, शिक्षा का अधिकार शामिल हैं। विशेष राज्य का दर्जा होने से यहाँ जो 153 कानून विशेष रूप से लागू किये गए थे वो अब ख़त्म हो जायेंगे।

सरकार की तरफ से नियुक्त किए गए पब्लिक प्रासिक्यूटर (पीपी) के पद खत्म हो जाएंगे। इस समय सरकार की तरफ से 40 से अधिक पीपी तैनात किए हुए हैं।

अब पुलिस स्टेशन में IPC के तेहत दर्ज होंगे मामले

31 अक्टूबर से जम्मू कश्मीर के थानों में इंडियन पैनल कोड (IPC) के तेहत ही मामले दर्ज किये जायेंगे। इससे पहले रणबीर पैनल कोड (RPC) के अंतर्गत मामले दर्ज किये जाते थे। देखा जाये तो IPC और RPC में कुछ ज्यादा अंतर नहीं है लेकिन कुछ अपराध ऐसे हैं जिसके तेहत कार्यवाही करने के लिए जम्मू कश्मीर में विशेष अधिकार प्राप्त था। जम्मू कश्मीर में कुल मिला कर 227 पुलिस स्टेशन हैं जहाँ पे IPC धारा से सम्बंधित अपराध और इनके तेहत दर्ज होने वाले मामलो की जानकारी वाली किताबे पहुँच गयी हैं।

सात सरकारी आयोगों को बंद करने का फैसला

31 अक्जटूबर से जम्मू कश्मीर प्रशासन ने सात सरकारी आयोगों को बंद करने का भी फैसला किया है।

इनमें मानवाधिकार आयोग, महिला एवं बाल विकास आयोग और सूचना आयोग मुख्या रूप से शामिल हैं।

इस संबंध में सामान्य प्रशासनिक विभाग द्वारा २३ अक्टूबर को आधिकारिक आदेश जारी किया गया था, जिसमें कहा गया था कि 31 अक्टूबर से राज्य के सात आयोग अस्तित्व में नहीं रहेंगे। हालांकि इन आयोगों को बंद करने का कोई कारण नहीं बताया गया।

ये आदेश 31 अक्‍टूबर से प्रभावी हो जाएंगे। 31 अक्टूबर से जम्मू कश्मीर एक केंद्र शासित प्रदेश बन जाएगा।

राज्य में जिन आयोगों को बंद किया जा रहा है, वे हैं,

जम्मू कश्मीर मानवाधिकार आयोग (एसएचआरसी)
राज्य सूचना आयोग (एसआईसी)
राज्य उपभोक्ता निवारण आयोग (एससीडीआरसी)
राज्य विद्युत नियामक आयोग (एसईआरसी)
महिला एवं बाल विकास आयोग (एससीपीडब्ल्यूसीआर)
दिव्यांग जनों के लिए बना आयोग (एससीपीडब्ल्यूडी)
राज्य पारदर्शिता आयोग (एसएसी)

इस संबंध में जारी आधिकारिक आदेश में कहा गया है कि जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 के तहत इन आयोगों को बंद करने का फैसला किया गया है।

इस संबंध में जारी आदेश में सातों आयोगों के सचिवों से इमारतें, फर्नीचर, इलेक्ट्रॉनिक सामान आदि डायरेक्टर एस्टेट को सौंपने को कहा गया है। इसके साथ ही आयोगों से कहा गया है कि वे संबंधित रिकॉर्डों को कानून, संसदीय मामलों, न्याय विभाग को सौंप दें।

न्यायिक व्यवस्था में भी होगा बदलाव

जम्मू कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश के अस्तित्व में आते ही यहाँ की न्यायिक व्यवस्था में भी बदलाव देखने को मिलेगा।

सरकार की तरफ से नियुक्त किए गए पब्लिक प्रासिक्यूटर (पीपी) के पद खत्म हो जाएंगे। इस समय सरकार की तरफ से 40 से अधिक पीपी तैनात किए हुए हैं।

इस समय हर जिला में सेशन कोर्ट के साथ चार से पांच पीपी तैनात रहते हैं।

केंद्र शासित प्रदेश बनते ही सरकार की यह व्यवस्था खत्म हो जाएगी। ऐसे में पुलिस के प्रासिक्यूटरों का काम बढ़ सकता है।

समान पद पर बने रहेंगे अधिकारी और कर्मचारी

जम्मू कश्मीर राज्य के केंद्र शासित प्रदेश बन्ने पर यहाँ के विभागीय अधिकारी पहले जैसे ही समान पदों पर कार्य करते रहेंगे। जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम – 2019 की धारा-91 के तेहत सभी प्रशासिनिक सचिव, विभागय्ध्यक्ष, उपायुक्त और अन्य अधिकारी समान पदों पर बने रहेंगे।

शर्मा कहता हैं हमने केंद्र शासित क्षेत्रों को राज्य का दर्जा हासिल करते देखा है लेकिन इतिहास में यह पहली बार हुआ है जब एक रियासत को दो केंद्र शासित क्षेत्र में बाँट दिया गया।

क्या कहती है जम्मू की जनता

जम्मू के कच्ची छावनी में रहने वाले राजेश सिंह ने कहा, “कश्मीर घाटी में व्यापत अलगाववाद को समाप्त करने के लिए धारा 370 को हटाया गया है। जम्मू पहले भी जम्मू कश्मीर इकाई का हिस्सा था और आज भी है। अब उस इकाई को चाहे राज्य का दर्जा हासिल हो यान केंद्र शासित क्षेत्र का इस से ज्यादा फर्क नहीं पड़ता”।

राजेश सिंह ने कहा, “स्थानीय व्यापारियों के मन में चिंता घर कर गयी है कि उन्हें इस नयी व्यवस्था के अंतर्गत बाहरी राज्यों के व्यापारियों के साथ प्रतिस्पर्धा करनी पड़ सकती है, इसलिए वो चाहते हैं की उन्हें उनके हक से महरूम न किया जाए और सरकार उन्हें इस बात का विश्वास दिलाये कि उनका हक उनसे छीना नहीं जायेगा”।

जम्मू चैम्बर ऑफ़ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के प्रधान राकेश गुप्ता ने पत्रकारों से जम्मू में कहा, “जब तक हम नयी व्यवस्था के अंतर्गत लागू होने वाले नियम कानूनों के बारे में ठीक से जानकारी हासिल नहीं कर लेते हम कोई भी टिप्पणी नहीं करना चाहते”। उन्होंने कहा हम 31 अक्टूबर के दिन किसी विशेष कार्यक्रम का आयोजन नहीं कर रहे।

राकेश गुप्ता ने कहा, “अगर केंद्र सरकार ने राष्ट्र हित में कोई फैसला लिया है तो हमे उस का स्वागत करना चाहिए। इस के साथ साथ वो यह भी कहने से नहीं चुकते हैं कि जम्मू संभाग से लगातार हो रहा भेदभाव अब समाप्त होना चाहिए और हम उम्मीद करते हैं कि नए उपराज्यपाल गिरीश चंद्र मुर्मू अपना पदभार सँभालने के बाद इस भेदभाव को समाप्त करेंगे”।

वहीँ दूसरी और जम्मू में कांग्रेस के नेता रविंदर शर्मा ने कहा, “केंद्र सरकार ने जम्मू कश्मीर के लोगों से उनका हक छीना है। जम्मू कश्मीर राज्य को विशेष दर्जा हासिल था लेकिन इस समय उसे देश का सबसे कमज़ोर हिस्सा माना जा रहा है”।

शर्मा कहता हैं हमने केंद्र शासित क्षेत्रों को राज्य का दर्जा हासिल करते देखा है लेकिन इतिहास में यह पहली बार हुआ है जब एक रियासत को दो केंद्र शासित क्षेत्र में बाँट दिया गया। “किसने यह मांग की थी। राज्य की जनता को हासिल विशेष अधिकार उनसे छीन लिए गए हैं। विधान सभा की ताकत कमज़ोर कर दी, विधान परिषद् समाप्त कर दी गयी है”। रविंदर शर्मा कहते हैं आने वाले दिनों में जम्मू कश्मीर को राज्य का दर्जा वापिस दिलाने के लिए आंदोलन होगा और आम जनता उस में शामिल होगी।

जम्मू कश्मीर पैंथर्स पार्टी के नेता हर्षदेव सिंह कहते हैं, “भाजपा ने जम्मू के लोगों के साथ एक भद्दा मजाक किया है”। उनका मानना है कि अगर सरकार को कश्मीर में हालात ठीक करने थे तो वो कश्मीर को सिर्फ केंद्र शासित क्षेत्र बनाते जम्मू को क्यूँ सजा दी गयी है। उन्होंने कहा आने वाले दिनों में भाजपा को इस का जवाब देना पड़ेगा कि क्यूँ उन्होंने महाराजा की रियासत को एक मुनिसिपलिटी (MUNICIPALITY) बनाया दिया और उसे एक अधिकारी के हवाले कर दिया।

जम्मू में नेशनल कांफ्रेंस के नेता देवेंदर सिंह राणा ने भी एक प्रेस कांफ्रेंस में केंद्र सरकार से अपील करते हुए कहा की जम्मू कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल किया जाना चाहिए।

वेस्ट पाकिस्तान रिफ्यूजी नेता लाभा राम गाँधी ने कहा वो 31 अक्टूबर के दिन एक बार फिर दिवाली मनायेगे क्यूंकि सालों के बाद उन्हें उनका हक हासिल हुआ है।

वो कहते हैं केंद्र शासित क्षेत्र बन जाने के बाद अब उनके बच्चे भी सरकारी नौकरियों में आवेदन कर सकेंगे। उन्होंने सरकार से अपील की है की कश्मीरी पंडित विस्थापित परिवारों की मदद के लिए जिस प्रकार एक विशेष रिलीफ कमिश्नर कार्यालय बनाया गया है उनके लिए भी ऐसी ही व्ययवस्था की जानी चाहिए ताकि सभी परिवारों को उनका हक मिल सके और वो अपना जीवन स्तर सुधर सकें।

जम्मू में भाजपा प्रवक्ता अनिल गुप्ता नें कहा, “5 अगस्त को जो निर्णय हुआ था वो एक ऐतिहासिक निर्णय था जिस को जम्मू के लोगों का पूर्ण समर्थन हासिल है और जम्मू के लोग इस बात को लेकर बहुत खुश हैं कि जम्मू के साथ जो भेदभाव होता था अब वो बिलकुल खत्म हो जायेगा और जम्मू में भी विकास होगा और जम्मू के लोग अपने भाग्य के खुद विधाता होंगे”।

उन्होंने कहा इस लिए 31 अक्टूबर के दिन विशेष कार्यक्रम आयोजित किये गए हैं, पूरे जम्मू में जश्न मनाया जायेगा। उन्होंने कहा सरदार वल्लभ भाई पटेल के जन्म दिन के अवसर पर ‘रन फॉर यूनिटी‘ कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है, पूरे शेहर में जगह जगह सजावट की जा रही, पार्टी के युवा कार्यकर्ता मोटरसाइकिल रैली का आयोजन कर रहे है। इस के इलावा पार्टी के नेता आम जनता के बीच जा कर इस बात का प्रचार करेंगे की आने वाले दिनों में सरकार उनके भविष्य को बेहतर बनाने के लिए विशेष कदम उठाएगी और तरक्की की राह पे ले जाएगी।

ध्यान दें:
1. यहां व्यक्त विचार लेखक के हैं और पी गुरुस के विचारों का जरूरी प्रतिनिधित्व या प्रतिबिंबित नहीं करते हैं।

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