
अंततः प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) किंगपिन/सरगना (और कांग्रेस के कोषाध्यक्ष) अहमद पटेल के घर, सैंडेसरा-स्टरलिंग बायोटेक समूह से संबंधित धन शोधन (मनी लॉन्ड्रिंग) घोटाले में और 6000 करोड़ रुपये से अधिक के बैंक धोखाधड़ी मामले में, पहुँचा। एजेंसियों को अहमद पटेल तक पहुंचने और आठ घंटे तक उनसे पूछताछ करने में तीन साल लग गए। गुजरात स्थित सैंडेसरा समूह के भगोड़े मालिकों पर अहमद पटेल की विशेष कृपा थी। सितंबर 2017 में पीगुरूज ने सबसे पहले अहमद पटेल के दामाद इरफान सिद्दीकी के बारे में रिपोर्ट की, जो सैंडेसरा भुगतान डायरी का खुलासा होने के बाद केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और ईडी के रडार पर थे। सीबीआई की प्राथमिकी (एफआईआर) में उल्लेख किया गया है कि इरफान रिश्वत के पैसे के लेनदेन में किस तरह शामिल थे[1]।
ईडी ने अहमद पटेल के बेटे फैजल पटेल की धन के आवागमन (मनी ट्रांसपोर्टिंग) और निपटारण (हैंडलिंग) की भूमिका का भी खुलासा किया। एक हवाला ऑपरेटर जॉनी ने अदालत के सामने स्वीकार किया कि उसने वडोदरा स्थित सैंडेसरा समूह के भगोड़े मालिकों से कई बार सीधे तौर पर अहमद पटेल को पैसे दिए। एजेंसियों ने अहमद पटेल के करीबी सहयोगी गगन धवन को भी सेंडेसरा समूह से पैसे के व्यवहार के लिए दर्ज किया, सैंडेसरा समूह दुनिया भर से सभी प्रकार के आयात और निर्यात (एक प्रकार से तस्करी) में लगा हुआ था[2]।
सैंडेसरा समूह की जांच ने पिछले तीन सालों से सीबीआई, ईडी और आयकर विभाग में एक बड़ी गड़बड़ी और एक विभाजन पैदा कर दिया है क्योंकि गुजरात के कई अधिकारी इस हाई प्रोफाइल मामले में छेड़छाड़ करने की कोशिश कर रहे थे।
सेंडेसरा समूह के खिलाफ जांच ने सीबीआई में एक बड़ी गड़बड़ी पैदा कर दी, जिसके कारण इसके निदेशक आलोक वर्मा बाहर हो गए, जिन्होंने विशेष निदेशक राकेश अस्थाना की निरंतरता का विरोध किया, राकेश अस्थाना का नाम 3.8 करोड़ रुपये की रिश्वत लेने हेतु सैंडेसरा भुगतान डायरियों में मिला। गुजरात के कई आईएएस, आईपीएस और आईआरएस अधिकारी सैंडेसरा समूह के भुगतान सूची में थे, समूह की प्रमुख कंपनी स्टर्लिंग बायोटेक है। सीबीआई ने पहले ही इस संबंध में तीन आयकर आयुक्तों के खिलाफ मामला दर्ज किया था। सीबीआई प्राथमिकी के अनुसार, एक आयुक्त ने अहमद पटेल के दामाद इरफान सिद्दीकी से रिश्वत ली थी[3]।
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गुजरात के कई अधिकारियों की भूमिका के कारण, सैंडेसरा मामले में अहमद पटेल के खिलाफ जांच में देरी हो रही थी। इनमें से कई अधिकारी समान रूप से प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और अहमद पटेल के करीबी थे, जो मई 2014 तक गढ़ पर शासन कर रहे थे। सैंडेसरा समूह की जांच ने पिछले तीन सालों से सीबीआई, ईडी और आयकर विभाग में एक बड़ी गड़बड़ी और एक विभाजन पैदा कर दिया है क्योंकि गुजरात के कई अधिकारी इस हाई प्रोफाइल मामले में छेड़छाड़ करने की कोशिश कर रहे थे। आशा है कि प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने इस बार नौकरशाही में सभी अयोग्य भ्रष्ट तत्वों को सबक सिखाने के लिए सख्त आदेश दिए हैं। यह स्पष्ट है कि अहमद पटेल एजेंसियों द्वारा उनके घर में घुसने और उनसे आठ घण्टे तक पूछताछ करने के लिए मोदी और शाह के खिलाफ सभी गंदी चालें चलेंगे। पिछले दो महीनों से, अहमद पटेल ईडी सम्मन की अनदेखी कर रहे थे, उन्होंने पूछताछ से बचने के लिए कोविड-19 का हवाला दिया।
संदर्भ:
[1] CBI FIR names son-in-law of Ahmed Patel (Irfan) of bribing Income Tax officials – Sep 25, 2017, PGurus.com
[2] Ahmed Patel directly received money from Sterling-Sandesara Group, confesses the accused hawala operator Johny – Aug 5, 2018, PGurus.com
[3] Son of Asthana worked at Sterling Biotech, daughter’s marriage party at Sterling farmhouse, accuses Prashant Bhushan – Nov 22, 2017, PGurus.com
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